आज के आर्टिकल में हम राजस्थान लोकसेवा आयोग(Rajasthan Public Service Commission) के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करने वाले है। हम RPSC के गठन,कार्य और महत्त्वपूर्ण अनुच्छेदों के बारे में भी पढेंगे।
राजस्थान लोकसेवा आयोग(RPSC)
राजस्थान लोक सेवा आयोग के बारे में हम अच्छे से समझने वाले है। इस आर्टिकल को पूरा पढने के बाद आपको यह टॉपिक अच्छे से कवर हो जाएगा ,ऐसी हम आशा करेंगे । वर्ष 1923 में ली कमीशन ने भारत में एक संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की सिफारिश की थी किन्तु इस कमीशन ने प्रांतो में लोकसेवा आयोगों की स्थापना के बारे में कोई विचार नहीं किया। प्रांतीय सरकारें अपनी आवश्यकतानुसार नियुक्तियां करने एवं राज्य सेवा नियम बनाने हेतु स्वतंत्र थी ।
राजस्थान लोक सेवा आयोग को मेरीट पद्धति का वाच डॉग (सुरक्षा प्रहरी) कहते है।
भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत प्रान्तों में लोकसेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया गया।
राजस्थान राज्य के गठन के समय कुल 22 प्रांतों में से मात्र 3 रियासतों में ही लोकसेवा आयोग कार्यरत थे।
- जोधपुर (1939),
- जयपुर(1940)
- बीकानेर (1946)
इन रियासतों को क्रमवाईज याद रखें।
ट्रिक : जो जय बोले।
राज्य लोक सेवा आयोग का इतिहास
रियासतों के एकीकरण के समय गठित राजस्थान राज्य के तत्कालीन राजप्रमुख मानसिंह – II ने 16 अगस्त, 1949 को एक अध्यादेश के अधीन राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना की। इसका नोटिफिकेशन राजस्थान के राजपत्र में 20 अगस्त 1949 को हुआ।
इस अध्यादेश में बिंदु संख्या (1) के तीसरे पद में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग में जिस तिथि को नियुक्त किये जाने की अधिसूचना राजस्थान राज – पत्र में प्रकाशित की जाएगी तब से आयोग प्रभाव में माना जाएगा। तत्पश्चात नियुक्ति सम्बंधित अधिसूचना राजस्थान राजपत्र में दिनांक 22 दिसंबर, 1949 में प्रकाशित हुई। इसी दिन से राजस्थान लोक सेवा आयोग प्रभाव में आया। राजस्थान लोक सेवा आयोग शुरूआती चरण में एक अध्यक्ष एस. के. घोष एवं दो सदस्य श्री देवीशंकर तिवारी एवं श्री एन. आर. चन्दोरकर थे ।
- ‘राजस्थान लोक सेवा आयोग अध्यादेश 1949’ पर राज्यपाल ने 16 अगस्त 1949 को हस्ताक्षर।
- राजस्थान के राजपत्र या गजट में 20 अगस्त 1949 को प्रकाशित।
- राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC)की विधिवत् शुरुआत 22 अगस्त 1949 को हुई।
- राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने 22 अगस्त 1949 से कार्य प्रारंभ ।
नोट : स्थापना के समय राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने जयपुर में कार्य करना प्रारम्भ किया था।
राजस्थान लोकसेवा आयोग का मुख्य कार्यालय जयपुर से अजमेर से कब स्थानांतरण कब किया गया?
सत्यनारायण राव समिति(1 नवम्बर 1956 ) की सिफारिश पर 21.08.1958 को राजस्थान लोकसेवा आयोग का हस्तानान्तरण जयपुर से अजमेर किया गया ।
राजस्थान लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष एवं 7 सदस्य हैं। यह पद संवैधानिक है एवं राज्य के राज्यपाल की आज्ञा से इन पदों पर नियुक्ति की जाती है । भारतीय प्रशासनिक सेवा(IAS) के अधिकारी को आयोग सचिवालय में सचिव के पद पर नियुक्त किया जाता है। सचिव द्वारा समस्त प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्यों का निष्पादन किया जाता है। 27 जून 2011 को सदस्यों की संख्या पाँच से बढाकर सात कर दी गयी । वर्तमान आयोग में एक अध्यक्ष एवं सात सदस्य है।
राजस्थान लोक सेवा आयोग में सदस्य संख्या
आवश्यकता के अनुसार आयोग में सदस्य संख्या बदलती रही है।
वर्ष | अध्यक्ष/सदस्य |
20 अगस्त 1949 | एक अध्यक्ष एवं 2 सदस्य |
1962 | एक अध्यक्ष एवं 3 सदस्य |
1965 | एक अध्यक्ष एवं 4 सदस्य |
1985 | एक अध्यक्ष एवं 5 सदस्य |
27.06.2011 | एक अध्यक्ष एवं 7 सदस्य |
राजस्थान लोक सेवा आयोग में वर्तमान सदस्य
वर्तमान में राजस्थान लोक सेवा आयोग में कुल 8 सदस्य है।
- अध्यक्ष – 1 अध्यक्ष
- सदस्य – 7 सदस्य
वर्तमान में RPSC में निम्नलिखित सदस्य है –
पद का नाम | नाम | पद ग्रहण | सेवानिवृत्ति |
---|---|---|---|
अध्यक्ष | श्री संजय कुमार श्रोत्रिय | 16/02/2022 | 01/08/2024 |
सदस्य | डॉ. संगीता आर्या | 14/10/2020 | 13/10/2026 |
सदस्य | डॉ.जसवंत सिंह राठी | 14/10/2020 | 09/03/2026 |
सदस्य | डॉ. मंजू शर्मा | 15/10/2020 | 14/10/2026 |
सदस्य | लेफ्टिनेंट कर्नल केसरी सिंह राठौड़ | 09/10/2023 | 08/10/2029 |
सदस्य | श्री कैलाश चंद मीना | 09/10/2023 | 08/07/2026 |
सदस्य | प्रोफेसर अय्यूब खान | 09/10/2023 | 30/06/2029 |
सचिव | श्री रामनिवास मेहता, आईएएस | 25/07/2023 | 31/07/2026 |
राजस्थान लोक सेवा आयोग – संवैधानिक संस्था
प्रमुख अनुच्छेद (315-323)
अनुच्छेद 315 संघ और राज्य के लिए लोकसेवा आयोग
दो या दो से अधिक राज्यों द्वारा उनके विधानमण्डल में इस आशय का संकल्प पारित करती है कि उन राज्यों के लिए एक संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग का गठन किया जाए । तो ऐसी स्थिति में संसद संयुक्त लोक सेवा आयोग का गठन कर सकती है।
अनुच्छेद- 316 सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि:
- राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाएगी।
- प्रत्येक लोक सेवा आयोग के सदस्यों में से यथाशक्य निकटतम आधे ऐसे व्यक्ति होंगे,जो अपनी अपनी नियुक्ति की तारीख पर भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन कम से कम दस वर्ष तक पद धारण कर चुके हैं।
- यदि आयोग के अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है या यदि कोई ऐसा अध्यक्ष अनुपस्थिति के कारण या अन्य कारण से अपने पद के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है तो, यथास्थिति, जब तक रिक्त पद पर खंड (1) के अधीन नियुक्त कोई व्यक्ति उस पद का कर्तव्य भार ग्रहण नहीं कर लेता है या जब तक अध्यक्ष अपने कर्तव्यों को फिर से नहीं संभाल लेता है तब तक आयोग के अन्य सदस्यों में से ऐसा एक सदस्य राज्य आयोग की दशा में उस राज्य का राज्यपाल इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे, उन कर्तव्यों का पालन करेगा।
- अनुच्छेद 316(2) – आयोग अध्यक्ष एवं सदस्य अधिकतम 6 वर्ष अथवा 62 वर्ष की उम्र जो भी पहले हो(41वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा), के लिए आयोग में कार्यरत रहते है ।
- राज्य आयोग की दशा में राज्य के राज्यपाल को संबोधित कर अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा ।
- लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य को, अनुच्छेद 317 के खंड (1) या खंड ( 3 ) में उपबंधित रीति से उसके पद से हटाया जा सकेगा ।
- कोई व्यक्ति जो लोक सेवा आयोग के सदस्य के रूप में पद धारण करता है, अपनी पदावधि की समाप्ति पर उस पद पर पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होगा ।
अनुच्छेद- 317 (लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की बर्खास्तगी (हटाया जाना / निलंबन का प्रावधान)
न्यायालय को राष्ट्रपति द्वारा निर्देश किए जाने पर उस न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 145 के अधीन इस निमित्त विहित प्रक्रिया के अनुसार की गई जाँच पर, यह प्रतिवेदन किए जाने के पश्चात् किया गया है कि, यथास्थिति, अध्यक्ष या ऐसे किसी सदस्य को ऐसे किसी आधार पर हटा दिया जाए ।
अनुच्छेद 317 (1) हटाने का कारण : कदाचार का आरोप लगने पर ।
- जांच – उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा।
- कदाचार के आरोप सिद्ध होने पर RPSC के अध्यक्ष व सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा पद से हटाया जाएगा।
अनुच्छेद 317 (3) : कदाचार के अलावा निम्नलिखित परिस्थितियों में भी राष्ट्रपति अध्यक्ष व सदस्यों को पद से हटा सकता है :
(क) दिवालिया घोषित हो जाएं।
(ख) मानसिक व शारीरिक रूप से अक्षम हो ।
(ग) अपनी पदावधि मे अपने पद के कर्त्तव्यों के बाहर किसी सवेतन नियोजन में लगता है। अर्थात् लाभ का पद स्वीकार कर लें।
अनुच्छेद 317 (4): यदि लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या कोई अन्य सदस्य किसी निगमित कंपनी के सदस्य के रूप में और कंपनी के अन्य सदस्यों के साथ सम्मिलित रूप से, किसी प्रकार से संयुक्त या हितबद्ध है या हो जाता है या उसके लाभ में भाग लेता है तो वह कदाचार क दोषी समझा जाएगा।
अनुच्छेद- 318. आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों और कर्मचारियों की सेवा शर्तों के बारे में भी नियम बनाने की शक्ति
अनुच्छेद- 319
- संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन किसी भी और नियोजन का पात्र नहीं होगा ।
- किसी राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या अन्य सदस्य के रूप में अथवा किसी अन्य राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने का पात्र होगा, किन्तु भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन किसी अन्य नियोजन का पात्र नहीं होगा ।
- संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष से भिन्न कोई अन्य सदस्य संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में या किसी राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने का पात्र होगा, किन्तु भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन किसी अन्य नियोजन का पात्र नहीं होगा ।
- किसी राज्य लोक सेवा आयोग के अध्ध्यक्ष से भिन्न कोई अन्य सदस्य संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य के रूप में अथवा उसी या किसी अन्य राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने का पात्र होगा, किन्तु भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन किसी अन्य नियोजन का पात्र नहीं होगा ।
अनुच्छेद – 321
लोक सेवा आयोगों के कृत्यों का विस्तार करने की शक्ति, संसद द्वारा या किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाया गया कोई अधिनियम संघ लोक सेवा आयोग या राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा संघ की या राज्य की सेवाओं के संबंध में और किसी स्थानीय प्राधिकारी या विधि द्वारा गठित अन्य निगमित निकाय या किसी लोक संस्था की सेवाओं के संबंध में भी अतिरिक्त कृत्यों के प्रयोग के लिए उपबंध कर सकेगा ।
अनुच्छेद- 322
अनुच्छेद-323. लोक सेवा आयोग के प्रतिवेदन
- राजस्थान लोक सेवा आयोग अपना वार्षिक प्रतिवेदन (रिपोर्ट) राज्यपाल को सौंपता है। राज्यपाल उस प्रतिवेदन की प्रति राज्य विधानमण्डल के समक्ष रखवाएगा।
- राजस्थान लोक सेवा आयोग सचिवालय आयोग में एक सचिव व अन्य अधिकारी होते है।
- आयोग का सचिव भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का अधिकारी होता है। जो प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्य देखता है। सचिव द्वारा समस्त प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्यों का निष्पादन किया जाता है, सचिव की सहायता हेतु उपसचिव तथा परीक्षा नियंत्रक होते है।
राज्य लोक सेवा आयोग के कार्य(अनुच्छेद 320)
1. विभिन्न भर्ती परीक्षाओं व साक्षात्कारों का आयोजन करवाना –
- राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS)
- असिस्टेंट प्रोफेसर
- स्कूल व्याख्याता
- उप-निरीक्षक ( SI)
2. राज्य सरकार को विभिन्न मामलों में सलाह प्रदान करना –
- भर्ती की पद्धति
- राज्य सरकार के कर्मचारियों के अनुशासनात्मक कार्यवाही के मामले
- पदोन्नति में अनुभव में छुट
- राज्य सरकार के कर्मचारियों के पेंशन संबंधित मामले
- स्थानांतरण नीति (Transfer Policy)
- प्रशिक्षण नीति (Training Policy)
- पदोन्नति नीति (Promotion Policy)
3. संविधान के अनुच्छेद 320 (2) के अनुसार विभागीय पदोन्नती समिति (DPC) की बैठकों का आयोजन करवाना।
4. संविधान के अनुच्छेद 323 (2) के अनुसार राज्यपाल को वार्षिक प्रतिवेदन सौंपना।
5. राज्य विधानमण्डल द्वारा सौंपा गया कोई अतिरिक्त कार्य करना(राज्य सरकार को ऐसे मामलों में सलाह देना जो राज्यपाल आयोग को सौंपे गए हो) ।
राजस्थान लोक सेवा आयोग के संभाग :
राजस्थान लोक सेवा आयोग को 6 संभागों में बांटा गया है –
- प्रशासनिक संभाग
- लेखा संभाग
- भर्ती संभाग
- परीक्षा संभाग
- विधि संभाग
- शोध संभाग
लोकसेवा आयोग का सचिवालय
राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्वतंत्रताएँ
- अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति में निश्चित कार्यकाल निर्धारित किया गया है।
- कार्यकाल पूर्ण होने के बाद पुनः नियुक्ति का प्रावधान नहीं है ।
- राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य केन्द्र और राज्य सरकार के कोई लाभ का पद धारण नहीं कर
सकते है । - एक बार नियुक्ति के बाद किसी प्रकार का अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों की सूची –
- सर्वाधिक कार्यकाल वाले आरपीएससी के चैयरमेन – देवीशंकर तिवाड़ी (1951-58) (6 वर्ष 5 माह ) ।
- न्यूनतम कार्यकाल वाले आरपीएससी के चैयरमेन – बी. एल. रावत ( 34 दिन) (01.08.1966 से 03.09.1966 तक)
क्रमांक | नाम | कब से | कब तक |
---|---|---|---|
1 | सर एस.के. घोष(मुख्य न्यायाधीश) | 22-12-1949 | 25-01-1950 |
2 | श्री एस.सी.त्रिपाठी | 28-07-1950 | 07-08-1951 |
3 | श्री डी.एस. तिवारी | 08-08-1951 | 17-01-1958 |
4 | श्री एम.एम. वर्मा | 18-01-1958 | 03-12-1958 |
5 | श्री एल.एल. जोशी, आईएएस (कार्यवाहक) | 04-12-1958 | 31-07-1960 |
6 | श्री वी.वी. नार्लिकर (प्रोफेसर एवं प्रमुख) | 01-08-1960 | 31-07-1966 |
7 | डॉ. बी.एल. रावत, आईएएस | 01-08-1966 | 03-09-1966 |
8 | श्री आर.सी. चौधरी, आरएचजेएस | 04-09-1966 | 08-10-1971 |
9 | श्री बी.डी.माथुर (सेवानिवृत्त चीफ इंजी.) | 09-10-1971 | 23-06-1973 |
10 | श्री आर.एस. कपूर (निदेशक कॉलेज शिक्षा) | 24-06-1973 | 10-06-1975 |
11 | श्री मोहम्मद याकूब, आरएचजेएस | 27-06-1975 | 30-06-1979 |
12 | श्री रामसिंह चौहान, आईएएस | 01-07-1979 | 10-09-1980 |
13 | श्री हरिदत्त गुप्ता (मुख्य अभियंता) | 11-09-1980 | 09-06-1983 |
14 | श्री एस. अदवियाप्पा (मुख्य अभियंता) | 10-06-1983 | 26-03-1985 |
15 | डॉ. दीनदयाल चौहान (प्रो.) | 27-03-1985 | 07-11-1985 |
16 | श्री जे.एम. खान, आईएएस | 08-11-1985 | 27-11-1989 |
17 | श्री एस.सी. सिंगारिया (कार्यवाहक) | 28-11-1989 | 04-09-1990 |
18 | श्री यतीन्द्र सिंह, आईएएस | 05-09-1990 | 06-10-1995 |
19 | श्री हनुमान प्रसाद, आईएएस | 06-10-1995 | 30-09-1997 |
20 | श्री पी.एस. यादव, आईपीएस | 01-10-1997 | 06-11-1997 |
21 | श्री देवेन्द्र सिंह, आईपीएस | 06-11-1997 | 30-12-2000 |
22 | श्री एन.के. बेरवा, आईएएस | 31-12-2000 | 22-03-2004 |
23 | डॉ. एस.एस. टाक (कार्यवाहक) (प्रोफेसर) | 26-03-2004 | 15-07-2004 |
24 | श्री जी.एस. तौक (सेवानिवृत्त चीफ इंजी.) | 15-07-2004 | 04-07-2006 |
25 | श्री एच.एन. मीना, आईपीएस (सेवानिवृत्त) (कार्यवाहक) | 04-07-2006 | 19-09-2006 |
26 | श्री सी.आर. चौधरी | 29-09-2006 | 28-02-2010 |
27 | श्री महेंद्र लाल कुमावत, आईपीएस (सेवानिवृत्त) | 28-02-2010 | 01-07-2011 |
28 | प्रो बी.एम. शर्मा | 01-07-2011 | 31-08-2012 |
29 | डॉ. हबीब खान गौरान, आईपीएस (सेवानिवृत्त) | 31-08-2012 | 22-09-2014 |
30 | डॉ. आर.डी. सैनी (कार्यवाहक) | 24-09-2014 | 10-08-2015 |
31 | डॉ. एल.के. पनवार, आईएएस (सेवानिवृत्त) | 10-08-2015 | 10-07-2017 |
32 | श्री श्याम सुन्दर शर्मा | 11-07-2017 | 28-09-2017 |
33 | डॉ. राधे श्याम गर्ग | 18-12-2017 | 01-05-2018 |
34 | श्री दीपक उप्रेती (आईएएस सेवानिवृत्त) | 23-07-2018 | 14-10-2020 |
35 | डॉ. भूपेन्द्र सिंह (आईपीएस सेवानिवृत्त) | 14-10-2020 | 01-12-2021 |
36 | डॉ. शिव सिंह राठौड़ (कार्यवाहक) | 02-12-2021 | 29-01-2022 |
37 | श्री जसवन्त सिंह राठी (कार्यवाहक) | 01-02-2022 | 15-02-2022 |
38 | श्री संजय कुमार श्रोत्रिय | 15-02-2022 | वर्तमान तक |
राजस्थान लोकसेवा आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष –
2. बी. एल. रावत
3. श्री एस. सी. सिंगारिया
4. 3. श्री एस. एस. टॉक
5. श्री एच. एन. मीणा
6. श्री आर.डी. सैनी
7. श्री जसवंत सिंह राठी
8. श्री शिव सिंह राठौर
राजस्थान लोक सेवा आयोग में अभी तक महिला सदस्य
2. कमला भील
3. प्रकाशवती शर्मा
4. दिव्या सिंह
5. राजकुमारी गुर्जर
6. संगीता आर्य
7. मंजू शर्मा
वेतन (Salary)-
- अध्यक्ष – 2.25 लाख रुपए/प्रतिमाह
- सदस्य – 2.15 लाख रुपए/प्रतिमाह
मुख्य तथ्य:
- एस.सी. त्रिपाठी संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य तथा RPSC के अध्यक्ष रहे
- सर्वाधिक लम्बा कार्यकाल देवीशंकर तिवारी का था ।
- आरपीएससी के सदस्य ओ. पी .गुप्ता ( ओमप्रकाश गुप्ता) राज्य सरकार में मुख्य सचेतक भी रहे हैं ।
- प्रथम सचिव – श्री श्यामसुन्दर शर्मा।
- प्रथम महिला सचिव – श्रीमती ओतिमा बोरडिया।
- राजस्थान के राज्यपाल रघुकुल तिलक राज्यपाल से पूर्व राजस्थान लोकसेवा आयोग के सदस्य रहे थे।
- एन के बैरवा आरपीएससी के सचिव एवं अध्यक्ष दोनों पदों पर रहे हैं।
- आरपीएससी की सदस्य कमला भील (MLA), राज्य सरकार में मंत्री भी रही हैं ।
- पी आर चौधरी जो सांसद थे, राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य रहे थे।
- एस. डी. उज्ज्वल ऐसे राजस्थान के मुख्य सचिव जो आरपीएससी के सदस्य भी रहे।
- कांता कथूरिया (MLA) एवं प्रकाशवती शर्मा RPSC एवं UPSC दोनों की सदस्य रही हैं।
- कमला भील, आरपीएससी की ऐसी सदस्य थी, जो राजस्थान सरकार में राज्य मंत्री भी रही थी।
- श्रीमती कांता कथूरिया आयोग सदस्य के साथ राजस्थान राज्य महिला आयोग की प्रथम अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक रही।
- एन.एल. जैन (नाथूलाल जैन) आरपीएससी के ऐसे सदस्य थे जो राजस्थान विधानसभा के पूर्व स्पीकर रहे।
- देवेंद्र सिंह तथा भूपेंद्र यादव राजस्थान पुलिस के पूर्व महानिदेशक जो आरपीएससी के चेयरमैन भी रहे।
- आयोग के कार्यों को नियमित करने के उद्देश्य से राष्ट्रपति द्वारा राजस्थान लोक सेवा आयोग (सेवा की शर्तें) नियम, 1951 एवं राजस्थान लोक सेवा आयोग (कार्यों की सीमा) नियम, 1951 पारित किए गये।
- सी.आर. चौधरी आरपीएससी के अध्यक्ष थे जो लोक सभा सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे।
2. शिवपाल सिंह जी
3. दिव्या सिंह जी
4. श्याम सुंदर शर्मा जी
वे मामले जिन पर राज्य सरकार आयोग से सलाह नहीं लेती है –
- नयी लोक सेवा का सृजन।
- पदों का वर्गीकरण
- प्रथम नियुक्ति के पश्चात वेतन का निर्धारण
- पदोन्नति के पश्चात वेतन का निर्धारण
- राज्य सरकार के कर्मचारियों का स्थानांतरण
- राज्य सरकार के कर्मचारियों की नियुक्ति
- प्रशिक्षण अवधि का निर्धारण
- प्रोबेशन अवधि या परिवीक्षा काल का निर्धारण