शैवालों का वर्गीकरण (Classification of Algae) में सर्वमान्य तथा सर्वाधिक प्रचलित एफ. ई. फ्रीश्च (F.E. Fritsch) है।
शैवालों के विषय में प्रथम जानकारी हमें चीन के साहित्य में मिलती है जहाँ नाॅनस्टाॅक (Nostoc) को भोजन के रूप में तथा लेमिनेरिया (Laminaria) को औषधि के रूप में प्रयोग किया गया।
फाइकोस (Phykos) शब्द का अर्थ है शैवाल। अतः वह शाखा जिसमें शैवालों के विषय में बताया जाता है, फाइकोलोजी (Phycology) अथवा आल्गोगोजी (Algology) कहलाती है।
लीनियस ने सर्वप्रथम एल्गी (Algae) शब्द का प्रयोग किया किन्तु ए. एल. डी. जूसीय (A.L. De Jussieu) ने 1789 में इस समूह के पादपों की सही पहचान की। 1753 में लीनियस (Linnaeus) ने वर्गीकरण में क्रिप्टोगेमिया (Cryptogamia=अनुष्पीपादप) में तथा बाद में इनको थैलोफाइटा (Thallophyta) प्रभाग में 1886 में आइक्लर (Eichler) ने रखा।
Algae Classification
शैवालों के अनेक वर्गीकरण प्रस्तुत किए गए है। इनमें से ब्रिटिश शैवालविद् एफ. ई. फ्रीश्च (F.E. Fritsch) द्वारा 1935 में दिया गया वर्गीकरण सर्वमान्य तथा सर्वाधिक प्रचलित है। एफ. ई. फ्रिश्च (F.E. Fritsch) ने इस वर्गीकरण को अपनी पुस्तक ’’The structure and Reproduction of the aigae’’ में 1935 तथा Vol I में तथा तथा Vol II 1945 में प्रस्तुत किया।
उन्होंने शैवालों को निम्नलिखित 11 वर्गों (Classes) में विभाजित किया है। यह वर्गीकरण वर्णक (Pigments), संचित खाद्य पदार्थ (Reserve food material) तथा कशाभिकाओं (Flagella) के प्रकारों पर आधारित है-
Types Of Algae
1. क्लोरोफाइसी (Chlorophyceae)- हरित शैवालों ( Green Algae) में मुख्य वर्णक (Main Pigments) क्लोराफिल a, एवं b α तथा β कैरोटीन, ल्यूटीन (Lutein), पीले वर्णक भी अल्प मात्रा में होते हैं, संचित भोज्य पदार्थ (Reserve food material) स्टार्च (Starch) तथा वसा (Fat) के रूप में मिलता है। उदाहरण- यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगाइरा, कारा, क्लेमाइडोमोनास आदि।
2. जैन्थोफाइसी (Xanthophyceae)- पीले-हरे शैवाल (Yellow Green Algae) मुख्य वर्णक क्लोरोफिल एवं e β कैरोटीन होते है, संचित भोज्य पदार्थ (Reserve food material) क्रोइसोलेमिनेरिन (Chrysolaminarin) तथा तेल (Oil) होता है। उदाहरण बाॅट्रिडियम, वाॅकैरिया आदि।
3. क्राइसोफाइसी (Chrysophycae)- मुख्य वर्णक क्लोरोफिल α तथा फारक्रोक्राइसिन (Phycochrycin), संचित भोज्य पदार्थ (Reserve food material) ल्यूकोसिन (Lucosin) तथा तेल होता है। उदाहरण क्रिप्टोफोरा।
4. बेसिलेरियोफाइसी (Bacillariophyceae)- पीले सोने जैसे भूरे शैवाल (Yellow, golden brown Algae), मुख्य वर्णक क्लोरोफिल, α , एवं c, β कैरोटीन। संचित भोज्य पदार्थ तेल (Oil), वसा (Fats), तथा ल्यूकोसिन (Lucosin) अथवा क्राइसोलेमिनेरिन के रूप में मिलता है। उदाहरण- पिन्यूलेरिया, नेवीकुला आदि।
5. क्रिप्टोफाइसी (Cryptophyceae)-
मुख्य वर्णक क्लोरोफिल a, तथा क्लोरोफिल c तथा β कैरोटीन। संचित भोज्य पदार्थ स्टार्च (Starch) व तेल (Oil) के रूप में मिलता है। उदाहरण- फिओप्लेकस, क्रिप्टोमोनास आदि।
6. डाइनोफारसी (Dinophyceae)- मुख्य वर्णक क्लोरोफिल a तथा क्लोरोफिल c तथा पाइरोफिल। संचित भोज्य पदार्थ स्टार्च (Starch) व वसा (Fats) के रूप में मिलता है। उदाहरण- जिम्नोडीनियम, डेस्मोकेप्सा आदि।
7. क्लोरोमोेनेडिनी (Chloromonadineae)- चमकीले हरे पौधे, मुख्य वर्णक क्लोरोफिल a तथा जैन्थोफिल, संचित भोज्य पदार्थ वसा (Fats) के रूप में मिलता है। उदाहरण- ट्रेन्टोनिया, वेक्युओलेरिया आदि।
8. युग्लीडिनी (Eugledinea)- मुख्य वर्णक क्लोरोफिल a तथा क्लोरोफिल b, β कैरोटीन व ल्यूटिन। संचित भोज्य पदार्थ पैरामिलोन व तेल (Oil) के रूप में मिलता है। इनमें कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती है। उदाहरण- एस्टोसिया, यूग्लीना आदि।
9. फियोफाइसी (Phaeophyceae)-
भूरे शैवाल (Brown Algae or Sea weed or kelp) मुख्य वर्णक क्लोरोफिल-a, क्लोरोफिल-c, β कैरोटीन, फ्यूकोजेन्थिन (Fucoxanthin) तथा वायोलाजेन्थिन (Violaxanthin)। संचित भोज्य पदार्थ लेमिनेरिन स्टार्च (Laminarin Starch), मैनीटाॅल (Mannitol) आदि के रूप में पाया जाता है। कोशिका भित्ति में सेल्यूलोस (Cellulose) के अतिरिक्त एल्जिनिक तथा फ्यूसिनिक अम्ल (alginic and fucinic acid) भी पाया जाता है। उदाहरण- सारगासम, लैमिनेरिया, फ्यूकस, मैक्रोसिस्टिस, एक्टोकार्पस आदि।
10. रोडोफाइसी (Rhodophyceae)- लाल शैवाल (Red algae) मुख्य वर्णक क्लोरोफिल-a, क्लोरोफिल-d, α तथा β कैरोटीन, r-फाइकोइरिथ्रन तथा r- फाइकोसाइनिन बहुत ही अल्प मात्रा में पाया जाता है। संचित भोज्य पदार्थ फ्लोरीडियन स्टार्च (Floridosides Starch), गेलेक्टन सल्फेट बहुलक (Galactan sulphte polymers) तथा फ्लोरिडोसाइड्स (Floridosides) के रूप में मिलता है। उदाहरण- पोलीसाइफोनिया, ग्रैसिलेरिया, जेलेडियम, बैन्गिया, पोरफाइरा आदि।
11. मिक्सोफाइसी अथवा साइनोफाइसी (Miyxophyceae or Cyanophyceae)-
नील हरित शैवाल (Blue green algae) मुख्य वर्णक क्लोरोफिल a, β कैरोटीन, c-फाइकोसाइनिन तथा c-फाइकोइरिथ्रिन होते है। संचित भोज्य पदार्थ साइनोफाइसियन स्टार्च (Cyanophycean Starch) तथा ग्लाइकोजन (Glycogen) तथा साइनोफाइसिन ग्रेन्यूल (Cyanophycin granules) के रूप में मिलता है।
आधुनिक वर्गीकरण में इन शैवालों को जीवाणुओं के साथ साइनोबैक्टीरिया के रूप में वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि इनका कोशिकीय संगठन प्रोकेरियोटिक प्रकार का होता है। उदाहरण- नाॅनस्टाॅक, एनाबीना, ऑक्सीलेटोरिया आदि।
कई अन्य शैवालवेत्ताओं ने भी फ्रिश्च के पश्चात् एल्गी का वर्गीकरण किया है। उनमें से कुछ प्रमुख वैज्ञानिक है- चेपमेन (1973), राउण्ड (1965), कुमार तथा सिंह (1971), जी. एम. स्मिथ (1955) तथा आर. डी. ली (1987)।
कुछ अपवादों को छोङकर वर्तमान में भी फ्रिश्च का वर्गीकरण सर्वाधिक मान्य व चर्चित है।