आज के आर्टिकल में हम हिन्द महासागर (Hind Mahasagar) के बारे में विस्तार से पढेंगे। (Hind Mahasagar,Indian Ocean in Hindi,Hind Mahasagar kaha hai,Hindi Mahasagar)
हिन्द महासागर – Hind Mahasagar
Hind Mahasagar About
हिन्द महासागर की जानकारी | |
स्थान | दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिमी एशिया, पूर्वोत्तर, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया। |
लम्बाई | 9,600 किलोमीटर (बंगाल की खाङी से अंटार्कटिका) |
चौड़ाई | 7600 किलोमीटर (अफ्रीका से ऑस्ट्रेलिया) |
क्षेत्रफल | 7,05,60,000 वर्ग किलोमीटर |
औसत गहराई | 3, 741 मीटर (12, 274 फीट) |
अधिकतम गहराई | 7,906 मीटर |
किनारे की लम्बाई | 66, 526 किलोमीटर |
निर्देशांक | 20’ दक्षिण 80’ पूर्व |
सबसे गहरा बिंदु | सुंडा द्वीप (7,450 मीटर) |
आवरण | पृथ्वी के कुल सतह क्षेत्र का 14.4 % |
हिंद महासागर -Indian Ocean in Hindi
हिन्द महासागर विश्व का तीसरा सबसे बङा महासागर है, जो दक्षिणी एशिया, अफ्रीका और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के बीच स्थित है। यह विश्व का एकमात्र महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम पर जैसे हिन्दुस्तान के नाम पर पङा है।इसे अर्द्धमहासागर भी कहते है। हिन्द महासागर का सबसे गहरा स्थान सुण्डा गर्त है, जिसे पहले जावा गर्त के नाम से भी जाना जाता है। हिंद महासागर पृथ्वी की सतह पर 70,560,000 किमी. (27, 240, 000 वर्ग मील) या 19.8 प्रतिशत पानी को कवर करता है।
पृथ्वी पर मौजूद पानी में से 20 प्रतिशत पानी हिंद महासागर में ही है। हिंद महासागर विदेशी पौधे और समुद्री जानवरों की प्रजातियोें में भी काफी समृद्ध है।
हिंद महासागर भारत के 14 प्रतिशत भाग पर बसा हुआ है। हिंद महासागर को प्रायद्वीपीय भारत दो भागों में क्रमशः बंगाल की खाङी एवं अरब सागर में बांटता है।
हिंद महासागर क्षेत्रफल और विस्तार की दृष्टि से विश्व का तीसरा सबसे बङा महासागर है। हिंद महासागर का क्षेत्रफल लगभग 7.4 करोङ वर्ग किलोमीटर है। हिंद महासागर दक्षिण में अंटार्टिका, उत्तर में भारत, पश्चिम में अफ्रीका और पूर्व में ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया है। हिंद महासागर का अधिकांश भाग पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध में आता है। हिंद सागर के दर्शन कन्याकुमारी (तमिलनाडु) में होते है। हिंद महासागर को एक युवा महासागर भी माना जाता है क्योंकि इसने मात्र 3.6 करोङ वर्ष पहले ही अपना वर्तमान रूप ग्रहण किया है। हिंद महासागर अंध महासागर और प्रशांत महासागर से जुङा हुआ है।
हिन्द महासागर का उद्भव ’गोंडवाना लैंड’ के विभाजन के बाद हुआ जिसे प्राचीन भारतीय भूगोल के अंतर्गत ’रत्नाकर’ कहा गया है। हिंद महासागर की आकृति अंग्रेजी के ’ड’ अक्षर के समान है। इसे अर्द्ध महासागर भी कहते है। हिंद महासागर में सोडियम क्लोराइड की मात्रा सबसे कम पाई जाती है। कर्क रेखा इस महासागर की अंतिम उत्तरी सीमा है। ’डि एगो गार्सिया’ द्वीप ब्रिटिश शासन में ब्रिटिश अधिकारियों का औपनिवेशिक नौ सेना व वायु सेना का अड्डा है। अमरीका का नौसैनिक हवाई अड्डा हिन्द महासागर के डि एगो गार्सिया में है।
- सोकोतेरा – अदल की खाङी में यह द्वीप है। यह यमन देश में है। यहां पर एशिया की सामरिक उपस्थिति है।
- कोकोद्वीप – अंडमान निकोबार का द्वीप है। चाइना की उपस्थिति है।
- हम्बनटोटा – श्रीलंका के ऊपर स्थित पोर्ट है जिस पर चाइना अपनी उपस्थिति कायम कर रहा है।
- प्रमुख सीमांत सागर – बंगाल की खाङी, अरब सागर, अंडमान सागर, ग्रेट ओस्ट्रे लियन व्हाइट, फारस की खाङी, अदन की खाङी, लाल सागर, मोजाम्बिक चैनल आदि।
हिन्द महासागर की भौगोलिक स्थिति – Hind Mahasagar
हिंद महासागर एशिया के दक्षिण में अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच फैला हुआ है। हिंद महासागर की औसत गहराई 4 किलोमीटर है।
हिंद महासागर ईरान, पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश के उत्तर में स्थित है। दक्षिण पश्चिम में यह अफ्रीका के दक्षिणी सिरे के दक्षिण में अटलांटिक महासागर से जुङती है और इसके पूर्व और दक्षिण-पूर्व में इसका जल प्रशांत महासागर के साथ मिलता है।
हिंद महासागर में लाल सागर और फारस की खाङी शामिल है यह दुनिया के कुल महासागर का 19.5 प्रतिशत भाग है। इसकी औसत गहराई 3,741 मीटर है। इसकी अधिकतम गहराई 7,906 मीटर है।
हिन्द महासागर को प्राचीन भारतीय ग्रंथों में ’रत्नाकर’ कहा गया है। हिंद महासागर की चौड़ाई लगभग 10,000 किलोमीटर है। हिंद महासागर का क्षेत्रफल 73,55,6000 वर्ग किलोमीटर है जिसमें लाल सागर और फारस की खाङी शामिल है। हिंद महासागर में जल की कुल मात्रा 292,131,000 घन किलोमीटर होने का अनुमान है।
हिन्द महासागर अटलांटिक महासागर से केप अगुलहास से दक्षिण में चल रहे 200 पूर्वी देशांतर और 147A0 पूर्वी मेरिडियन द्वारा प्रशांत से अलग होता है। हिंद महासागर अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी सिरे पर लगभग 10,000 किलोमीटर चौङा है। अनुमानित है कि हिंद महासागर का आयतन लगभग 292,131,000 घन किलोमीटर है।
1953 में अंतर्राष्ट्रीय जलविज्ञान संगठन द्वारा हिंद महासागर की सीमाओं में दक्षिणी महासागर को भी शामिल किया गया था, लेकिन 2000 में आईएचओ ने दक्षिणी महासागर को पृथक कर दिया और 60 डिग्री सेल्सियस के दक्षिण में पानी हटा दिया। हिंद महासागर में उत्तरी सीमांत समुद्र भी शामिल थे। मध्यकाल में हिंद महासागर अटलांटिक महासागर से 200 डिग्री मेरिडियन द्वारा, केप एजुलास से दक्षिण में चल रहा है, और प्रशांत महासागर से 146055’ ई के मध्याह्न तक, तस्मानिया के दक्षिणी इलाके से दक्षिण में चल रहा है। हिंद महासागर की उत्तरी सीमा लगभग 300 उत्तर फारसी खाङी में है।
हिंद महासागर में पानी एवं हवाओं का बहाव
हिन्द महासागर में पानी का बहाव साल में दो बार दिशा बदलता है –
- गर्मियों में मानसूनी हवाओं के कारण पानी भारत की ओर बहता है।
- सर्दियों में पानी अफ्रीका की ओर बहता है।
⇒ हिंद महासागर में समुद्रों में अंडमान सागर, अरब सागर, ग्रेट ऑस्ट्रेलियन बाइट, बंगाल की खाङी, अदन की खाङी, ओमान की खाङी, लाल सागर, मलक्का जलडमरूमध्य और अन्य सहायक जल निकाय शामिल है। यहां पर अक्टूबर से अप्रैल तक तेज उत्तर-पूर्वी हवाएँ चलती है और मई से अक्टूबर तक दक्षिण और पश्चिमी हवाएं चलती है। हिंद महासागर को दुनिया का सबसे गर्म महासागर कहा जाता है।
हिंद महासागर का आकार – Hind Mahasagar
- हिंद महासागर का आकार बेरिंग जलडमरूमध्य पर उत्तर में इसके शीर्ष के साथ लगभग त्रिकोणीय है। हिंद महासागर का आकार त्रिभुजाकार है।
हिंद महासागर में मिलने वाली नदियाँ
हिंद महासागर की जल निकासी बेसिन 21,100,000 वर्ग किमी को कवर करता है, जो लगभग प्रशांत महासागर के समान है और अटलांटिक बेसिन का आधा है। हिंद महासागर जल निकास बेसिनी लगभग 800 व्यक्तिगत बेसिनों में विभाजित है, जिनमें से 50 प्रतिशत एशिया में, 30 प्रतिशत अफ्रीका में और 20 प्रतिशत आस्ट्रेलिया में स्थित है।
हिंद महासागर में बहने वाली कुछ बङी नदियाँ जाम्बेजी, शट्ट अल-अरब, सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, जुबा और अय्यरवाडी नदी है।
विश्व की दो बङी नदियाँ ब्रह्मपुत्र और गंगा हिंद महासागर में मिलती है।
हिंद महासागर की जलवायु – Hind Mahasagar
हिंद महासागर में उष्णकटिबंधीय गर्म मौसम होता है, जो वातावरण के साथ क्षेत्रीय और विश्व स्तर पर जलवायु को प्रभावित करता है। हिंद महासागर थर्मोकलाइन के वेंटिलेशन को रोकता है।
हिंद महासागर की धाराएँ मुख्यतः मानसून द्वारा नियंत्रित होती है। सर्दियों के मानसून के दौरान हिंद महासारस के उत्तर में धाराएं उलट चलती है।
इसका गहरा पानी परिसंचरण मुख्य रूप से अटलांटिक महासागर, लाल सागर और आर्कटिक धाराओं के प्रवाह से होता है। 200 दक्षिणी अक्षांश का उत्तर न्यूनतम सतह का तापमान 22 डिग्री सेल्शियस है, जो पूर्व में 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक है। 400 दक्षिणी अक्षांश के दक्षिण में तापमान तेजी से गिरा रहता है।
हिंद महासागर में लवणता निम्नानुसार संचालित होती हैं –
- मुख्य रूप से बंगाल की खाङी से नदी बहती है।
- इंडोनेशियाई प्रवाह के द्वारा ताजा पानी।
- लाल सागर और फारस की खाङी से नमकीन पानी।
सतह से पानी की लवणता प्रति हजार 32 से 37 भागों में होती है, जो अरब सागर में सबसे अधिक होती है और दक्षिणी अफ्रीका और दक्षिण पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के बीच एक बेल्ट में होती है। पैक बर्फ और बर्फबारी लगभग पूरे 650 दक्षिण अक्षांश के पूरे वर्ष में पाए जाते हैं। हिमशैल की औसत उत्तरी सीमा 45 डिग्री दक्षिण अक्षांश है।
हिन्द महासागर का सबसे गहरा गर्त
हिन्द महासागर का सबसे गहरा गर्त सुण्डा गर्त है, जो पहले जावा गर्त के नाम से जाना जाता था। पूर्वोत्तरी हिन्द महासागर में स्थित यह 3,200 किमी तक चलने वाला एक महासागरीय गर्त है। इस गर्त की सर्वाधिक गहराई 7,725 मीटर है। यह गर्त जावा से आगे लघुतर सुन्दा द्वीपसमूह से शुरु होकर सुमात्रा के दक्षिणी तट से नीचे से निकलकर अण्डमान द्वीपों तक चलता है। भूवैज्ञानिक रूप से यह हिन्द-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट और यूरेशियाई प्लेट के बीच की सीमा है। यह गर्त प्रशांत अग्नि वृत्त का हिस्सा है। यह अनुमानित है कि हिंद महासागर लगभग 20 सेंटीमीटर चौङा हो जाता है।
हिंद महासागर कैसे बना ?
हिंद महासागर का निर्माण तब शुरू हुआ था जब लगभग 150 मिलियन वर्ष पूर्व वृहत महाद्वीप गोंडवाना टूटना प्रारंभ हुआ था। लगभग 36 मिलियन वर्ष पहले तक भी इस महासागर ने अपनी वर्तमान स्थिति आर आकार को प्राप्त नहीं किया था। हिन्द महासागर का पहले अधिकारिक उपयोग 1515 ईस्वी में किया जाता था और आज भी इसका यही नाम प्रचलित है।
हिन्द महासागर व्यापार का केन्द्र
हिन्द महासागर विश्व का तीसरा बङा महासागर है जो विश्व के 20.3 प्रतिशत समुद्री क्षेत्र में फैला हुआ है। 47 राज्य इसके तट को उत्तर से दक्षिण में केप कमोरिन से लेकर अटलांटिक महाद्वीप तक फैला हुआ है। इसके विस्तार तथा महत्त्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आस्ट्रेलिया, एशिया और अफ्रीका तक विस्तृत और महत्त्वपूर्ण आवागमन और व्यापार मार्ग उपलब्ध कराता है। 8 वीं शताब्दी से ही हिन्द महासागर व्यापारियों को एक देश से दूसरे देश में व्यापार करने का एक बङा माध्यम रहा है। अनुमानित है कि विश्व का लगभग 40 प्रतिशत तेल हिंद महासागर से आता है।
हिंद महासागर में समुद्र की गलियों में इसलिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यहाँ विश्व के 80 प्रतिशत से अधिक समुद्र के तलों में हिंद महासागर और उसके महत्त्वपूर्ण घुटन बिंदुओं के माध्यम से परिवहन होता है। साथ ही स्ट्रैट ऑफ़ होर्मुज, 35 मलक्का के स्ट्रेट के माध्यम से और बाब अल-मंदाब स्ट्रेट के माध्यम से 8 प्रतिशत व्यापार होता है।
हिंद महासागर यूरोप और अमेरिका के साथ मध्य पूर्व, अफ्रीका और पूर्वी एशिया को जोङने वाले प्रमुख समुद्री मार्गो को प्रदान करता है। इसमें फारस की खाङी और इंडोनेशिया के तेल क्षेत्रों से पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों का भारी यातायात है। सऊदी अरब, ईरान, भारत और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के अपतटीय क्षेत्रों में हाइड्रोकार्बन के बङे भंडार का उपयोग किया जा रहा है। हिंद महासागर से दुनिया का अपतटीय तेल उत्पादन 40 प्रतिशत होता है। समुद्र तट में समुद्र में भारी खनिजों से भरपूर है। सीमावर्ती देशों, विशेष रूप से भारत, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, श्रीलंका और थाईलैंड द्वारा ऑफ़शोर प्लेसर जमा सक्रिय रूप से शोषण कर रहे हैं।
हिन्द महासागर की जलधाराएँ – Hind Mahasagar ki Dharaye
हिन्द महासागर की दो जलधाराओं को दो भागों में बांटा जाता है।
- उत्तरी हिंद महासागर की धाराएं
- दक्षिण हिंद महासागर की धाराएं
1. उत्तरी हिंद महासागर की धाराएं
(1) उत्तरी विषुवतरेखीय धारा (गर्म)
(2) प्रति विषुवतरेखीय धारा (गर्म)
(3) उत्तर पूर्वी मानसूनी धारा (गर्म)
(4) दक्षिणी पश्चिमी मानसूनी धारा (गर्म)
2. दक्षिणी हिन्द महासागर की धाराएं
(1) दक्षिणी-विषुवत रेखीय धारा (गर्म)
(2) पछुआ पवन प्रवाह (ठंडी)
(3) पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया जलधारा (ठंडी)
(4) मोजाम्बिक धारा (गर्म)
(5) अगुलहास धारा (गर्म)
(6) मेडागास्कर धारा (गर्म)
हिन्द महासागर और भारत – Hind Mahasagar
19 वीं सदी के आरंभ में अमरीकर नौसेना विशेषज्ञ अल्फ्रेडमाहन ने कहा था – ’जो भी देश हिन्द महासागर को नियंत्रित करता है वह एशिया पर वर्चस्व स्थापित करेगा। हिन्द महासागर सात समुद्रों की कुंजी है। 21 वीं सदीं का भाग्य निर्धारण इसकी समुद्री सतह पर होगा। माहन का यह विचार न केवल ब्रिटेन के लिए बल्कि अमरीका, चीन और भारत, ऑस्ट्रेलिया समेत अनेक विश्व शक्तियों के लिए नौसैनिक और अन्य गतिविधियों का निर्धारण करता आ रहा है।
हिन्द महासागर का महत्त्व उसके भौगोलिक स्थिति और संरचना के कारण और भी बढ़ जाता है। यह न केवल जलमार्ग के लिए महत्त्वपूर्ण है बल्कि यह कच्चे माल का भी प्रमुख स्रोत है। इसका जल मार्ग पूर्व और पश्चिम की जीवन रेखा है, जिसके बंद होने या विरोधी का प्रभुत्व स्थापित हो जाने पर जीवन-मरण का प्रश्न पैदा हो सकता है। हिन्द महासागर के गर्भ में उत्पन्न कच्चे माल के भण्डार महाशक्तियों की प्रतिद्वन्द्विता का कारण है – विश्व का 37 प्रतिशत तेल, 90 प्रतिशत रबर, 70 प्रतिशत टिन, 28 प्रतिशत मैंगनीज, 27 प्रतिशत क्रोमियम, 10 प्रतिशत जिंक, 98 प्रतिशत हीरे और 60 प्रतिशत यूरेनियम इसके क्षेत्र में पाये जाने की संभावना है। इसके समुद्री सतह पर उपलब्ध स्रोतों विशेषकर ऊर्जा स्रोतों की कमी नहीं है।
हिन्द महासागर न केवल अपने जलमार्ग और प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से अपितु सामरिक दृष्टि से लैस द्वीपों और प्रवाल दीपों के कारण भी अत्यंत महत्त्व का है। हिन्द महासागर में सैकङों बङे छोटे द्वीपों की उपस्थिति इसे और भी महत्त्वपूर्ण बनाती है। हिन्द महासागर यूरोप, पूर्वी अफ्रीका, पश्चिमी, दक्षिणी और दक्षिण पूर्व एशिया, आस्टेªलिया व ओशिनिया का आपस में जोङने का कार्य करता है। इसके द्वारा अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोङने के कारण जलमार्गों का सबसे घना जाल तैयार होता है। संसार के हैंकरों से ढोये जाने वाले खनिज तेल का 57 प्रतिशत परिवहन यहीं से होता है।
हाल के वर्षों में अंटार्कटिका के महत्व में भारी वृद्धि हुई है। अंटार्कटिका के संसाधनों के आर्थिक दोहन के दौर में इसका महत्त्व और भी बढ़ेगा। इस कारण इस क्षेत्र में शांति और सहयोग का वातावरण बनाना तथा ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करना बहुत आवश्यक है जिससे सभी राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय विधि के अनुरुप महासागर का निर्बाध उपयोग कर सकें।
वर्तमान में हिंद महासागर विश्व का ऐसा क्षेत्र है जो अस्थिर और अशांत है। राजनीतिक हलचल और महाशक्तियों की प्रतिद्वन्द्विता इस क्षेत्र की मूल विशेषता है। नौसैनिक महत्त्व विशेषकर द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह क्षेत्र तनाव, संघर्ष, टकराव का केन्द्र बन गया है। अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए महाशक्तियाँ विशेषकर अमेरिका व रुस अपनी उपस्थिति बढ़ा रही है।
हिन्द महासागर भारत के लिए केन्द्रीय महत्त्व का बिंदु है। इस महासागर की आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियां प्रारंभिक काल से ही भारतीय उपमहाद्वीप से जुङी हैं। हिंद महासागर में भारत के लगभग 1156 द्वीप है, जिनकी सुरक्षा और विकास का दायित्व भारत पर ही है। इसके अतिरिक्त भारत का 98 प्रतिशत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार हिंद महासागर से ही होता है।
हिंद महासागर में स्थित द्वीप
- श्रीलंका
- माॅरीशस
- सैशेल्स
- मेडागास्कर
- अजम्पशन द्वीप
- मालद्वीप
- आगेलिया द्वीप
- डीएगाओ गरसिया
हिंद महासागर में अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, मोरिशस, मेडागास्कर, श्रीलंका आदि द्वीप प्रवाह है।
मेडागास्कर हिन्द महासागर का मुख्य द्वीप है जो विश्व का चौथा सबसे बङा द्वीप है। रीयूनियन द्वीप, कोमोरोस, सेशेल्स, मालदीव, माॅरिशस, श्रीलंका और इंडोनेशिया का द्वीपसमूह जो हिंद महासागर की पूर्वी सीमा का निर्धारण करते है।
हिंद महासागर में द्वीपों की सूची
पूर्वी हिंद महासागर
- अंडमान द्वीप समूह (भारत)
- एशमोर और कार्टियर द्वीप समूह (ऑस्ट्रेलिया)
- बर्ड आइलैंड (ऑस्ट्रेलिया)
- कार्नैक द्वीप (ऑस्ट्रेलिया)
- क्रिसमस द्वीप (ऑस्ट्रेलिया)
- कोकोस द्वीप समूह (ऑस्ट्रेलिया)
- डिर्क हार्टोग द्वीप (ऑस्ट्रेलिया)
- इनगागो द्वीप (इंडोनेशिया)
- गार्डन आइलैंड (ऑस्ट्रेलिया)
- हौटमैन अब्रोल्होस (ऑस्ट्रेलिया)
- लक्षद्वीप द्वीप समूह (भारत)
- लैंगकॉवी द्वीप समूह (मलेशिया)
- लिटिल आइलैंड (ऑस्ट्रेलिया)
- मन्नार द्वीप (श्रीलंका)
- मेंतवाई द्वीप समूह (इंडोनेशिया)
- मेरगुई द्वीपसमूह (म्यांमार)
- नियास द्वीप (इंडोनेशिया)
- निकोबार द्वीप समूह (भारत)
- पंबन द्वीप (भारत)
- पिनांग द्वीप (मलेशिया)
- पेंगुइन द्वीप (ऑस्ट्रेलिया)
- फी फी आइलैंड्स (थाईलैंड)
- फुकेत (थाईलैंड)
- रोजमेरी द्वीप (ऑस्ट्रेलिया)
- रॉटनेस्ट आइलैंड (ऑस्ट्रेलिया)
- सबांग (इंडोनेशिया)
- श्रीलंका
- सील द्वीप (ऑस्ट्रेलिया)
- सील द्वीप (ऑस्ट्रेलिया)
- शग द्वीप (ऑस्ट्रेलिया)
- सिम्युलु द्वीप (इंडोनेशिया)
- सेंट मैरी द्वीप समूह (भारत)
- ट्रिग आइलैंड (ऑस्ट्रेलिया)
पश्चिमी हिंद महासागर
- बाजुनी द्वीप समूह (सोमालिया)
- बाजारूटो द्वीपसमूह (मोजाम्बिक)
- छागोस द्वीपसमूह (यूके)
- कोमोरोस
- खुरिया मुरिया द्वीप समूह (ओमान)
- लक्षद्वीप द्वीपसमूह (भारत)
- लामू द्वीपसमूह (केन्या)
- मेडागास्कर
- माफिया द्वीप (तंजानिया)
- मालदीव
- मॉरीशस
- अगालेगा द्वीप समूह
- Cargados Carajos
- रॉड्रिक्स
- मायोट (फ्रांस)
- पेम्बा (तंजानिया)
- फनपतपउइें द्वीपसमूह (मोजाम्बिक)
- रीयूनियन (फ्रांस)
- सेशल्स
- ला डिग्यू द्वीप
- माहे, सेशेल्स
- प्रस्लिन द्वीप
- सिल्हूट द्वीप
- साद एड-दीन द्वीप समूह (सोमालिया)
- हिंद महासागर में बिखरे हुए द्वीप (फ्रांस)
- बैंक डू गीजर
- बासस दा इंडिया
- यूरोपा द्वीप
- ग्लोरियोसो द्वीपसमूह
- जुआन डे नोवा द्वीप
- ट्रोमेलिन द्वीप
- सोकोट्रा द्वीप (यमन)
- वायपिन द्वीप (भारत)
- वामिजी द्वीप (मोजाम्बिक)
- वल्लारपदम (भारत)
- विलिंगडन द्वीप (भारत)
- जांजीबार (तंजानिया)
दक्षिणी हिंद महासागर
- हर्ड आइलैंड और मैकडॉनल्ड आइलैंड्स (ऑस्ट्रेलिया)
- आइल एम्स्टर्डम, अनुसंधान केंद्र मार्टिन-डी-विविएस (फ्रांस) का घर
- आइल सेंट-पॉल (फ्रांसीडुफुदीउदुरुरुर)
- केर्गुएलन द्वीप समूह (फ्रांस)
- प्रिंस एडवर्ड आइलैंड्स (दक्षिण अफ्रीका)
- मैरियन द्वीप
- प्रिंस एडवर्ड द्वीप
Conclusion – Hindi Mahasagar
आज के आर्टिकल में हमनें हिन्द महासागर (Hind Mahasagar) के बारे में खूब जानकारी प्राप्त की ,हम आशा करतें है कि आपको जरुर नई जानकारी मिली होगी …धन्यवाद
FAQ – Hind Mahasagar in Hindi
1. हिन्द महासागर की कहाँ स्थित है ?
उत्तर – हिन्द महासागर दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिमी एशिया, पूर्वोत्तर, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में स्थित है।
2. हिन्द महासागर की लम्बाई कितनी है ?
उत्तर – हिन्द महासागर की लम्बाई 9,600 किलोमीटर (बंगाल की खाङी से अंटार्कटिका) है।
3. हिन्द महासागर की चौड़ाई कितनी है ?
उत्तर – हिन्द महासागर की चौड़ाई 7600 किलोमीटर (अफ्रीका से ऑस्ट्रेलिया) है।
4. हिन्द महासागर का क्षेत्रफल कितना है ?
उत्तर – हिन्द महासागर का क्षेत्रफल 7,05,60,000 वर्ग किलोमीटर है।
5. हिन्द महासागर की अधिकतम गहराई कितनी है ?
उत्तर – हिन्द महासागर की अधिकतम गहराई 7,906 मीटर है।
6. विश्व का तीसरा सबसे बङा महासागर कौनसा है ?
उत्तर – विश्व का तीसरा सबसे बङा महासागर हिन्द महासागर है।
7. किस महासागर का नाम देश के नाम हिन्दुस्तान पर पङा है ?
उत्तर – हिन्द महासागर विश्व का एकमात्र महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम पर जैसे हिन्दुस्तान के नाम पर है।
8. हिन्द महासागर का सबसे गहरा गर्त कौनसा है ?
उत्तर – हिन्द महासागर का सबसे गहरा गर्त सुण्डा गर्त है।
9. हिन्द महासागर की जलधाराएँ कौनसी है ?
उत्तर – हिन्द महासागर की दो जलधाराओं को दो भागों में बांटा जाता है –
1. उत्तरी हिंद महासागर की धाराएं
2. दक्षिण हिंद महासागर की धाराएं।
10. विश्व की दो बङी नदियाँ कौनसी है, जो हिंद महासागर में मिलती है ?
उत्तर – विश्व की दो बङी नदियाँ ब्रह्मपुत्र और गंगा हिंद महासागर में मिलती है।
11. भारत का सबसे बड़ा महासागर है – Bharat ka Sabse Bada Sagar
उत्तर – हिंद महासागर