आज के आर्टिकल में हम गंगा नदी (Ganga Nadi in Hindi) की पूरी जानकारी को विस्तार से पढेंगे इससे जुड़े रोचक तथ्य भी जानेंगे।
गंगा नदी की कहानी – Ganga Nadi History
⇒ गंगा नदी को पवित्र क्यों माना जाता है ?
गंगा नदी को पवित्र माने जाने के दो कारण है –
(1) इसका पानी बोतलों में रखने पर बहुत दिनों तक खराब नहीं होता है। इसमें कुछ ऐसे खनिज पदार्थ मिले हुए है जो पानी को सङने नहीं देते। इस आधार पर लोगों ने गंगा को पवित्र नदी मानना शुरू कर दिया।
(2) दूसरा कारण एक प्रचलित कथा है जिससे गंगा की महिमा बहुत ही अधिक बढ़ गई इस लोककथा के अनुसार गंगा पहले स्वर्ग में बहा करती थी ‘सगर’ नाम के राजा के साठ हजार पुत्र थे। जो किसी ऋषि के श्राप से मर गये थे। उनके उद्धार के लिए गंगा को भगीरथ स्वर्ग से धरती पर लाये थे। तभी से इसे उद्धार करने वाली माना जाने लगा है।
हिन्दू धर्म में गंगा नदी क्यों पूजनीय हैं ?
हिन्दू धर्म में, गंगा नदी को पापों का पूर्ण रूप से नाश करने वाली पवित्र देवी माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मूल रूप से गंगा नदी का अस्तित्व स्वर्ग लोक में है। अपने पूर्वजों की आत्माओं को मुक्त करने के लिए राजा भगीरथ की तपस्या के फलस्वरूप उसे स्वर्ग से पृथ्वी पर लाया गया था। उसके प्रवाह की प्रचंडता पृथ्वी सहन नहीं कर सकती थी इसलिए वह भगवान शिव के सिर पर गिरी थी। भगवान शिव ने उसे अपनी जटाओं में बाँध लिया और उसके बहाव को वश में करके उसे बाहर जाने दिया।
इस प्रकार गंगा ने संसार की यात्रा की, उसने पृथ्वी को विशुद्ध रूप उपजाऊ बना दिया और मनुष्यों को उसके पापों से मुक्ति दिलायी। भगीरथ के प्रयासों के कारण गंगा धरती पर उतरी इसलिए इस नदी को ‘भगीरथी’ भी कहा जाता है। इसे ’त्रिपथ गामिनी’ भी कहा जाता है क्योंकि वह एकमात्र नदी है जो तीनों लोकों में बहती है।
गंगा नदी का जल शुद्धतम माना जाता है और कई तीर्थ यात्री हर वर्ष मोक्ष प्राप्त करने के लिए इस में स्नान करते है। हिन्दू अपने परिवार के मृतक सदस्य की राख को गंगा में विसर्जित करते हैं ताकि उनकी आत्मा को मुक्ति मिले।
1 जून को ’गंगा अवतरण उत्सव’ के रूप में ’गंगा दशहरा’ का त्यौहार माना जाता है। ज्येष्ठ महिने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मोक्षदायिनी गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी। मान्यता है कि ’गंगा दशहरा’ पर गंगा स्नान करने से दस तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। वहीं हिन्दू धर्म में व्यक्ति के जीवन के अन्तिम क्षणों में गंगा जल की बूदें डालने की परम्परा है।
हिन्दू धर्म में जितने भी तीज और त्यौहार के व्रत रखे जाते है उसमें गंगा स्नान एवं गंगा जल का इस्तेमाल किए बिना कोई भी पूजा सम्पन्न नहीं होती है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि जब तक अस्थियों का विसर्जन और समर्पण गंगा न किया जाये तब तक जीव को मोक्ष एवं स्वर्ग की प्राप्ति नहीं होती।
गंगा नदी का वैज्ञानिक महत्त्व क्या है ?
गंगा का धार्मिक महत्त्व होने के साथ-साथ इसका वैज्ञानिक महत्त्व भी है। वैज्ञानिक नजरिये से भी गंगा जल को पवित्र एवं उपयोगी माना गया है। विज्ञान भी गंगा और औषधियों गुणों के बारे में मान्यता देता है वैज्ञानिक मानते है कि गंगा के पानी में बैक्ट्रिया को खत्म करने वाली ’बैक्टीरियोफेज वायरस’ नामक एक वायरस होता है।
दरअसल गंगा अपने उद्गम स्थान से लेकर कई स्थानों से गुजरती है। गंगा जगह-जगह पहाङों, जंगलों, प्राकृतिक स्थानों से तरह-तरह की वनस्पतियाँ को लेकर बहती है, जिस कारण से इसमें औषधीय गुण पाये जाते है। इसके अलावा वैज्ञानिक-शोध में यह भी पाया गया है कि गंगा-जल में ऑक्सीजन सोखने की क्षमता भी होती है।
गंगा नदी – Ganga Nadi in Hindi
दोस्तों अब हम गंगा नदी के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे –
- गंगा नदी की कुल लम्बाई 2,510 किमी है।
- गंगा नदी का भारत में अपवाह क्षेत्र लगभग 9,51,600 वर्ग किमी है।
- भारत का सबसे बङा नदी तंत्र गंगा नदी तंत्र है।
गंगा नदी का उद्गम स्थल – Ganga Nadi
गंगा नदी का रास्ता (Ganga River Route)
- गंगा नदी (Ganga River) का उद्गम स्थल (Ganga River Starting Point) उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमानी है। यहां यह नदी भागीरथी के नाम से जानी जाती है।
- गंगा नदी की दो शीर्ष धाराएं अलकनंदा और भागीरथी है। जो उत्तराखंड के देवप्रयाग में एक साथ मिलकर गंगा का निर्माण करती है।
- अलकनंदा नदी का उद्गम स्थल सतोपथ हिमानी में है। अलकनंदा की दो धाराएँ धौलीगंगा और विष्णु गंगा का संगम विष्णु प्रयाग के निकट है।
- अलकनंदा से नंदाकिनी ’नंदप्रयाग’ नामक स्थान पर मिलती है।
- पिण्डार नदी अलकनंदा से बायें तट पर कर्णप्रयाग नामक स्थान पर मिलती है। जबकि मंदाकिनी रुद्र प्रयाग के निकट अलकनंदा से दाहिने तट पर मिलती है।
- अलकनंदा को विष्णुगंगा भी कहा जाता है।
- बद्रीनाथ का प्रसिद्ध मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है।
- केदारनाथ का प्रसिद्ध मंदिर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।
- यह मध्य एवं लघु हिमालय श्रेणियों को काटकर संकरे महाखड्डों से होकर गुजरती है। गंगा नदी ऋषिकेश से होते हुए हरिद्वार के निकट पहाङों से निकलकर मैदानी भागों में प्रवेश करती है।
- इसके बाद गंगा नदी बिजनौर एवं नरौरा से होते हुए फर्रुखाबाद के रास्ते कन्नौज पहुँचती है जहाँ इससे रामगंगा नदी मिलती है।
गंगा नदी (Ganga Nadi) से तीन नहर निकाली गई –
1. ’ऊपरी गंगा नहर’ जो हरिद्वार से गंगा नदी में से निकाली गई है।
2. ’मध्य गंगा नहर’ जो बिजनौर से गंगा नदी में से निकाली गई है।
3. ’निम्न गंगा नहर’ जो नरौरा से गंगा नदी में से निकाली गई है।
- प्रयाग में गंगा के दाहिने ओर से यमुना नदी आकर मिलती है। यहाँ गंगा, यमुना, सरस्वती का संगम माना जाता है।
- अब गंगा नदी मिर्जापुर (माता विंध्यवासिनी का मंदिर), वाराणसी (बाबा विश्वनाथ का मंदिर) के रास्ते गाजीपुर पहुंचती है। जहाँ गोमती नदी इससे मिलती है।
- गाजीपुर के बाद गंगा बिहार के छपरा में पहुँचती है। जहाँ इसके दायें तरफ से घाघरा नदी मिलती है। फिर बिहार की राजधानी पटना में सोन नदी गंगा से मिलती है।
- हाजीपुर में गंडक नदी, भागलपुर में कोसी नदी (बिहार का शोक) मिलती है। फिर साहेबगंज, पाकुर (झारखंड-40 किमी.) के रास्ते पश्चिम बंगाल के फरक्का में पहुँचती है जहाँ इस फरक्का बैराज बनाया गया।
इस फरक्का बैराज (पश्चिम बंगाल) से गंगा नदी दो हिस्सों में बंट जाती है –
1. हुगली नदी
2. भागीरथी नदी
1. हुगली नदी – पश्चिमी बंगाल में दक्षिण की ओर बहते हुए बंगाल की खाङी में अपना जल गिरा देती है। कोलकाता हुगली नदी के तट पर है। छोटा नागपुर पठार के बीचोंबीच भ्रंश घाटी में बहने वाली दामोदर नदी पूर्व में बहकर हुगली नदी से मिल जाती है।
2. भागीरथी नदी – पश्चिमी बंगाल गंगा नदी को ’भागीरथी नदी’ कहते है। भागीरथी नदी (गंगा नदी) बांग्लादेश में प्रवेश करती है।
- अन्त में गंगा की मुख्य धारा बांग्लादेश में प्रवेश करती है जहाँ इसे ‘पद्मा’ के नाम से जाना जाता है।
- पद्मा में ही ब्रह्मपुत्र नदी (जिसे बांग्लादेश में जमुना कहा जाता है) आकर मिलती है और इसी धारा में बराक नदी भी मिलती है। अब इसे ‘मेघना नाम’ से जाना जाता है।
- गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदियों के द्वारा बनाये गये डेल्टा को ‘सुन्दरवन डेल्टा’ कहा जाता है। यह डेल्टा हुगली और मेघना नदियों के मध्य निर्मित है।
- गंगा ब्रह्मपुत्र का सुन्दरवन डेल्टा विश्व का सबसे बङा डेल्टा है। सुन्दरवन डेल्टा ’मैग्रोव वनों’ के लिए प्रसिद्ध है।
- हुगली नदी को विश्व की सबसे अधिक ‘विश्वासघाती नदी’ कहते है। इसी के तट पर कोलकाता बन्दरगाह है जिसे पूर्व का लंदन कहते है।
गंगा नदी की सहायक नदियाँ – Ganga ki Sahayak Nadiya
गंगा नदी(Ganga Nadi in Hindi) के बाएँ तट पर मिलने वाली सहायक नदियाँ –
- रामगंगा नदी
- गोमती नदी
- घाघरा नदी
- गण्डक नदी
- कोसी नदी
- महानंदा नदी।
1. रामगंगा नदी –
रामगंगा नदी यह पौढ़ी गढ़वाल की पहाङियों से निकलकर शिवालिक को पार करते हुये, नैनीताल से बहते हुए (जिम कार्बेट उद्यान) उत्तरप्रदेश में नजीबाबाद के समीप मैदान में प्रवेश करती है। अन्त में कन्नौज (इत्र नगरी) के निकट गंगा नदी से मिल जाती है।
2. गोमती नदी –
गोमती नदी यह फुल्हर झील, पीलीभीत से निकलती है एवं लखनऊ, सुल्तानपुर और जौनपुर के रास्ते गाजीपुर के समीप गंगा से मिल जाती है। गोमती नदी मैदानी क्षेत्र से निकलती है।
3. घाघरा नदी –
घाघरा नदी यह मानसरोवर झील के निकट मापचा चुंग हिमनद (तिब्बत के पठार से) से निकलती है एवं बिहार में छपरा के समीप गंगा से मिल जाती है। घाघरा नदी कुछ दूर तक बिहार और उत्तरप्रदेश की सीमा भी बनाती है। घाघरा की प्रमुख सहायक नदियों में सरयू, शारदा, राप्ती और छोटी गंडक है।
4. गण्डक नदी –
गण्डक नदी यह नेपाल हिमालय से निकलकर सोनपुर (हाजीपुर) के पास गंगा से मिल जाती है। यह नदी काली एवं त्रिशूली नदियों के संगम से बनी है। नेपाल में इसका नाम शालिग्राम या नारायणी नदी है। (त्रिवेणी नहर इसी से निकाली गयी है)
5. कोसी नदी –
कोसी नदी नेपाल में सात धाराओं के मिलने से इसका उद्गम हुआ है। मुख्य धारा अरुण है जो तिब्बत के गोसाईथान चोटी से निकलती है। कोसी नदी नेपाल से निकलकर बिहार में गंगा नदी से मिलती है। यह भागलपुर के निकट गंगा से मिल जाती है। यह नदी अपने मार्ग बदलने के लिये कुख्यात है। इसे बिहार का शोक कहा जाता है।
6. महानंदा नदी – महानंदा नदी दार्जिलिंग की पहाङियों से निकलकर फरक्का के पास गंगा से मिल जाती है।
गंगा के दाएँ तट पर मिलने वाली सहायक नदियाँ –
🔸 यमुना नदी गंगा की एकमात्र हिमालयी सहायक नदी है जो इसके दाहिने तट पर आकर मिलती है।
- यमुना नदी
- चम्बल नदी
- सिन्ध नदी
- बेतवा नदी
- केन नदी
- टोंस नदी
- सोन नदी।
🔹 गंगा के दाहिने तट पर आकर मिलने वाली नदियाँ मुख्य रूप से प्रायद्वीपीय पठार की नदियाँ है।
1. यमुना नदी –
⇒ यमुना नदी बंदरपूंछ श्रेणी के निकट यमुनोत्री हिमनद से निकलती है और दिल्ली, मथुरा और आगरा के रास्ते होते हुए प्रयाग में गंगा से मिल जाती है। यमुना नदी की लम्बाई 136 किलोमीटर है। यमुना की सहायक नदियाँ – हनुमानगंगा ,ऋषिगंगा, खुतनुगाड, बरनीगाड, कृष्णागाड, कमलगाड, भद्रीगाड, टोंस। ’टोन्स नदी’ यमुना नदी की सबसे प्रमुख सहायक नदी है।
2. चम्बल नदी –
⇒ चम्बल नदी मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के महू के निकट मानपुर के समीप जानापाव पहाङी (विंध्य पर्वत श्रेणी) से निकलती है। चम्बल नदी की सहायक नदियाँ – पार्वती, कालीसिंध, क्षिप्रा, बनास, मेज, बामनी, आलुनिया, आहु, कुराल, परवन नदी। चम्बल नदी की लम्बाई – 965 किमी. है। चम्बल नदी राजस्थान की सर्वाधिक सतही जल वाली नदी है।
चम्बल नदी पर चार बाँध बने हुए हैं –
- गाँधी सागर बाँध
- कोटा बैराज बाँध
- जवाहर सागर बाँध
- राणा प्रताप सागर बाँध।
3. सिन्ध नदी –
सिन्ध नदी मध्यप्रदेश के गुना जिले के सिरोंज तहसील के पास से निकलती है। ’कुँआरी’ सिन्ध की सहायक नदी है जो शिवपुरी पठार से निकलती है। प्रमुख सहायक नदियाँ – पार्वती, नन और माहूर इसकी लंबाई – 470 किमी. है।
4. बेतवा नदी –
बेतवा नदी मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के उत्तर में विंध्य रेंज (विंध्य पर्वत शृंखला) से निकलती है। बेतवा नदी की मुख्य सहायक नदियाँ-जामनी नदी और धसान नदी है। अन्य सहायक नदियाँ – हलाली नदी, बाह नदी, बुधना नदी, कलियासोत नदी, बीना नदी। बेतवा नदी की लम्बाई – 590 किमी. है। बेतवा नदी यमुना नदी की सहायक नदी है।
5. केन नदी –
केन नदी मध्यप्रदेश के सतना जिले में कैमूर की पहाङी के उत्तर-पश्चिम ढलान पर अहिरगवां गाँव के पास से निकलती है एवं बांदा के निकट यमुना में मिल जाती है। इसकी सहायक नदियाँ – कोपरा, बावस, बेर्मा, बैनक, देवर, कैथ नदी। केन नदी यमुना नदी सहायक नदी है।
6. टोंस नदी –
टोंस नदी कर्मनाशा नदी तथा रूपिन नदी मिलकर टोंस नदी बनती है। टोंस नदी प्रयागराज (इलाहाबाद) जिले से निकलती है। टोंस नदी गंगा की सहायक नदी है। इसकी कुल लम्बाई 265 किलोमीटर है। ’वेलन नदी’ इसकी सहायक नदी है।
7. सोन नदी –
सोन नदी मैकाल पहाङी अमरकंटक चोटी (मध्यप्रदेश) से निकलकर पटना पटना के पश्चिम में दानापुर में गंगा से मिलती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ – रिहन्द नदी एवं कोयल नदी। सोन नदी गंगा की दक्षिणी सहायक नदी है। इस नदी का नाम सोन इसलिये पङा क्योंकि इस नदी के बालू पीले रंग के है जो सोने की तरह चमकते हैं। अन्य सहायक नदियाँ उत्तरी कोयल नदी, जोहिला नदी, एवं कान्हर नदी और गोपद नदी। कुल लम्बाई 784 किलोमीटर है।
गंगा नदी पर निर्मित प्रमुख बाँध परियोजनाएँ
1. टिहरी परियोजना –
टिहरी बाँध उत्तराखंड के टिहरी जिले में बना है। भिलांगना और भागीरथी नदियों के संगम पर टिहरी बाँध बना हुआ है। टिहरी बाँध 2006 में बनकर तैयार हुआ था। भारत का सबसे ऊँचा बाँध है। इसकी ऊँचाई 261 मीटर है। इसी बाँध पर टिहरी परियोजना चलायी गई है।
2. रामगंगा परियोजना –
उत्तराखण्ड में गैरसेण की पहाङी (गढ़वाल के निकट) से रामगंगा नदी निकलती है उत्तरप्रदेश में बहती हुई कन्नौज के निकट गंगा नदी में मिल जाती है। इस रामगंगा नदी पर रामगंगा परियोजना निर्मित है। रामगंगा परियोजना उत्तरप्रदेश में रामगंगा नदी पर है।
3. टनकपुर परियोजना –
टनकपुर परियोजना टनकपुर (उत्तराखंड) में काली नदी पर निर्मित है। काली नदी नेपाल से भारत की सीमा पर बहती है इसलिये यह परियोजना उत्तराखण्ड (भारत) एवं नेपाल की संयुक्त परियोजना है।
4. माताटीला परियोजना –
बेतवा नदी मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले से निकलकर उत्तरप्रदेश में यमुना नदी में मिल जाती है। बेतवा नदी पर माताटीला परियोजना निर्मित है। माताटीला परियोजना उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना है।
5. दामोदर घाटी नदी परियोजना –
दामोदर नदी पर दामोदर घाटी नदी परियोजना निर्मित है। यह परियोजना झारखण्ड एवं पश्चिमी बंगाल की संयुक्त परियोजना है। इस परियोजना को 1948 में बनाया गया था, यह भारत की प्रथम नदी घाटी परियोजना है। टेनेसी नदी (संयुक्त राज्य अमेरिका) के ऊपर टेनेसी नदी घाटी परियोजना निर्मित है। इस टेनेसी नदी घाटी माॅडल पर दामोदर नदी घाटी परियोजना बनी है। यह परियोजना दामोदर नदी के बहाव को नियंत्रित करने के उद्देश्य से बनायी गई है।
6. मयूराक्षी परियोजना –
मयूराक्षी नदी पर झारखण्ड के दुमका जिले में मसानजोर में मयूराक्षी परियोजना निर्मित है। मयूराक्षी परियोजना झारखंड और पश्चिम बंगाल की संयुक्त परियोजना है।
7. गंडक परियोजना –
गंडक नदी नेपाल से निकलकर बिहार में चम्पारण जिले में सोणपुर बहते हुए गंगा नदी में मिल जाती है। इस गंडक नदी पर गंडक परियोजना निर्मित है। गंडक परियोजना नेपाल, उत्तरप्रदेश एवं बिहार की संयुक्त परियोजना है।
8. कोसी परियोजना –
कोसी नदी नेपाल से निकलकर बिहार में बहती हुई गंगा नदी में मिल जाती है। कोसी नदी पर कोसी परियोजना निर्मित है। बिहार (भारत) और नेपाल की संयुक्त परियोजना है।
9. चंबल परियोजना –
चंबल नदी मध्यप्रदेश से निकलकर राजस्थान एवं उत्तरप्रदेश में यमुना नदी में मिल जाती है। चंबल नदी पर चंबल परियोजना निर्मित है। चम्बल परियोजना राजस्थान एवं मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना है। इस परियोजना के तहत इसके ऊपर कुल 4 बाँध बनाये गये – 1. गाँधी सागर (मध्यप्रदेश), 2. राणाप्रताप सागर बाँध (राजस्थान के चित्तौङगढ़ जिले में), 3. जवाहर सागर बाँध (कोटा) 4. कोटा बैराज बाँध।
10. रिहन्द परियोजना –
उत्तरप्रदेश में सोनभद्र जिले में ’पिपरी’ नामक स्थान पर रिहन्द नदी पर रिहन्द परियोजना निर्मित है। रिहन्द परियोजना उत्तरप्रदेश की परियोजना है।
11. बाणसागर परियोजना –
अमरकंटक की पहाङी से सोन नदी निकलती है और ये बिहार राज्य में गंगा नदी में मिल जाती है। सोन नदी पर बाणसागर परियोजना पर निर्मित है। बाणसागर परियोजना उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश एवं बिहार की संयुक्त परियोजना है।
गंगा नदी तंत्र के महत्त्वपूर्ण तथ्य –
- इस नदी का उद्गम गोमुखी हिमानी से होता है जो गंगोत्री के पास समुद्र तल से 5,165 मीटर से अधिक ऊँचाई पर स्थित है।
- गंगा नदी का भारत में सबसे बङा जल ग्रहण क्षेत्र है।
- इलाहाबाद के निकट इसमें यमुना नदी आकर मिलती है।
- गाजीपुर के निकट इसमें गोमती तथा बलिया के निकट इसमें घाघरा नदी मिलती है।
- पटना के पास गंगा में सोन नदी तथा कुछ आगे गण्डक एवं कोसी भी इसमें मिलती है।
- बांग्लादेश में इस नदी को पद्मा के नाम से जाना जाता है।
- बांग्लादेश में चन्दनपुर के पास समुद्र में मिलने से पूर्व पद्मा नदी ब्रह्मपुत्र नदी में मिलती है। ब्रह्मपुत्र को यहां पर जमुना एवं मेघना के नाम से जाना जाता है।
- हरिद्वार, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, मुंगेर, मुर्शिदाबाद आदि महत्त्वपूर्ण नगर इस नदी के किनारे स्थित है।
- बंगाल की खाङी में गिरने से पूर्व पदमा से मेघना नामक एक प्रमुख वितरिका निकलती है।
- गंगा नदी भारत के पाँच राज्यों से प्रवाहित होती है –
- उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल।
- गंगा नदी पर फरक्का बाँध स्थित है।
- गंगा की सबसे बङी सहायक नदी यमुना है।
- गंगा की अन्य सहायक नदियाँ गोमती, घाघरा, गण्डक, कोसी है।
- गंगा नदी दो देशों से होकर बहती है भारत और बांग्लादेश।
- भारत में बहने वाली सबसे लम्बी नदी गंगा है।
- गंगा नदी की सबसे ज्यादा लम्बाई उत्तरप्रदेश में है। सबसे कम लम्बाई झारखण्ड राज्य में है।
1 .गंगा नदी की लम्बाई कितनी है – Ganga Nadi ki Lambai Kitni Hai
2510 किलोमीटर
2 .फरक्का बाँध किस नदी पर है ?
उत्तर – गंगा नदी पर
3 .गंगा नदी का भारत में अपवाह क्षेत्र कितना है ?
उत्तर – लगभग 9,51,600 वर्ग किमी
4 .गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी कब घोषित किया गया ?
उत्तर – 4 नवम्बर 2008 को
5. गंगा नदी कहाँ से निकलती है – Ganga Nadi Kahan se Nikalti Hai
उत्तर – गंगा नदी हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है।
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