गगनयान मिशन 2023 – ISRO का एक और कदम – Gaganyaan Mission 2023, wiki

गगनयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO) का एक मिशन है। गगनयान मिशन, गगनयान मिशन 2022 ,ISRO Gaganyaan Mission 2022 in Hindi,Cost, Target, Date, Astronaut Vyomanaut Name Training Centre, Crew Members. गगनयान मिशन 2023, गगनयान मिशन UPSC, गगनयान मिशन 2023 Drishti IAS.

गगनयान मिशन – Gaganyaan Mission

Table of Contents

 

गगनयान मिशन क्या है

गगनयान मिशन क्या है – Gaganyaan Mission Kya Hai

⇒ गगनयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक मिशन है। इस मिशन में तीन चरण होंगे इन तीन चरणों में 2 मानवरहित होंगे और एक चरण मानव युक्त होगा। कोरोना के चलते इसे देरी के कारण 2023 में अन्तरिक्ष में भेजा जाएगा।

गगनयान(Gaganyaan) भारतीय मानवयुक्त अंतरिक्ष यान है।अंतरिक्ष कैप्सूल तीन यात्रियों को ले जाने के लिए तैयार किया गया है। इसे आधुनिक क्षमता से लैस किया जाएगा। यह 3.7 टन का कैप्सूल तीन यात्रियों के साथ सात दिनों के लिए लगभग 400 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की निम्न कक्षा में परिक्रमा करेंगे।

Update News: इसरो चीफ के अनुसार इस वर्ष 15 अगस्त 2023 से पहले गगनयान मिशन के तहत बिना चालक वाली एक फ्लाइट को लॉन्च किया जाएगा। मिशन के तहत इस तरह की दो फ्लाइट लॉन्च होनी है। जिनमें से पहली इस साल 15 अगस्त से पहले लॉन्च करने की योजना है।

मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, जिसे ऑर्बिटल मॉड्यूल कहा जाता है. इस मिशन में एक महिला सहित तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री शामिल होंगे।
मिशन में 7 दिनों के लिये पृथ्वी की निम्न भू-कक्षा चक्कर लगाएगा।

विशेष : अंतरिक्ष में इंसान भेजने वाला चौथा देश बनेगा भारत

गगनयान मिशन के उद्देश्य/लक्ष्य

गगनयान कार्यक्रम में पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) के लिए मानव अंतरिक्ष उड़ान के प्रदर्शन की परिकल्पना की गई है और यह एक सतत भारतीय मानव अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम भविष्य की नींव रखेगा। गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य/लक्ष्य  LEO को मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने के लिए स्वदेशी क्षमता का प्रदर्शन करना है।

गगनयान मिशन 2023

यह भारत के स्वर्णिम इतिहास में पहली बार होगा जब भारत अपने मानवयुक्त अंतरिक्षयान को अंतरिक्ष में भेजेगा, इसी के साथ भारत दुनिया के उन चार देशों में स्थान प्राप्त कर लेगा जिन देशों ने अपने यहाँ से इंसान को अंतरिक्ष में भेजा हो।

गगनयान स्पेस क्राफ्ट के दो भाग है- क्रू मोड्यूल(Crew module) एवं सर्विस मोड्यूल(service module)क्रू मोड्यल वह भाग है जहाँ भारत के एस्ट्रोनोट्स बैठेंगे। इस क्राफ्ट में दो या तीन एस्ट्रोनोट्स भेजने की प्लानिंग की गई है। क्रयू मोड्यूल का वजन 3725 किग्रा है। एस्ट्रोनोट्स के बैठने और सुरक्षित सामग्री रखे जाने के बाद इसका वजन 5300 किग्रा हो जाएगा।

इसके बाद हम बात करतें है सर्विस मोड्यूल की- यह स्पेस क्राफ्ट का वह भाग है जहाँ इसको चलाने के लिए फ्यूल रखा जाता है। ये स्पेस क्राफ्ट से अलग भी हो सकता है। सर्विस मोड्यूल का वजन लगभग 2900 किग्रा होगा और इस तरह गगनयान स्पेस क्राफ्ट का टोटल वजन लगभग 8200 किग्रा हो जाएगा।

क्या आप जानतें है?

सबसे पहले 3 अप्रैल 1984 सोवियत यूनियन के राॅकेट में बैठकर जाने वाले राकेश शर्मा भारत देश के पहले भारतीय अन्तरिक्ष यात्री बने थे। 19 नवंबर 1997 और 16 जनवरी 2003 को नासा के कोलबिंया स्पेस में कल्पना चावला दो बार स्पेस में जा चुकी है। भारतीय मूल की सुनिता विलियम भी दो बार स्पेस में जा चुकी है। लेकिन उन्हें भी अमेरीका की स्पेस एजेन्सी नासा द्वारा ही भेजा गया था। अब भारत का इसरो अपना गगनयान अन्तरिक्ष में भेजेगा।

गगनयान मिशन विवरण – Gaganyaan Mission In Hindi

मिशन नामगगनयान
निर्माताइसरो ,एचएल,डीआरडीओ
अंतरिक्षयान का प्रकारक्रू
मूल देशभारत
मिशन समय7 दिन
क्षेत्रपृथ्वी की निम्न कक्षा
लॉन्च वजन3.7 टन
मिशन को ऑपरेट करने वालाइसरो
पृथ्वी की निम्न कक्षा में भ्रमण400 किमी तक
मिशन की कुल लागत10,000 करोड़ रूपये
लॉन्च 2022 में संभावित
सहयोगी देशरूस

गगनयान मिशन लेटेस्ट अपडेट- 2023

इसरो के ‘गगनयान’ मिशन बड़ी न्यूज़ आ रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 2023 फरवरी से भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए श्रंखलाओं के अंतर्गत परीक्षण उड़ानें शुरू करेगा। इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र के निदेशक आर उमा महेश्वरन ने जानकारी दी कि अंतरिक्ष एजेंसी ने चालक दल के मॉड्यूल के परीक्षण के लिए चिनूक हेलीकॉप्टर और सी-17 ग्लोबमास्टर परिवहन विमान को तैनात करने की विशेष योजना बनाई है। गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के तहत मॉड्यूल अंतरिक्ष यात्रियों को तीन दिनों के लिए कक्षा में लेकर जाएगा।

2023 में लगभग 17 अलग-अलग परीक्षणों की योजना

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को संबोधित करते हुए आर उमा महेश्वरन ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों ने पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली के डिजाइन को लगभग पूरा कर लिया है, जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पृथ्वी की परिक्रमा करते समय क्रू सर्विस मॉड्यूल में रहने के लिए स्थापित करेगा। 2023 दिसंबर में मानव रहित अंतरिक्ष उड़ान को अंतिम रूप  देने से पहले इसरो द्वारा अगले साल लगभग 17 अलग-अलग परीक्षणों की योजना बनाई गई है।

इसरो ‘मिशन गगनयान’ की सफलता के लिए ‘असफलताओं’ के अभ्यास से सीख रहा है

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष के लिए देश की पहली मानवयुक्त उड़ान ‘गगनयान’ के लिए अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष अभ्यास की योजना बना रहा है । आगामी सितंबर – दिसंबर 2022 में दो मानवरहित ‘निरस्त अभियान’ यानी ‘एबोर्ट मिशन’ को संचालित करेगा। इसरो अपने इन दोनों ‘एबोर्ट मिशन’ के जरिए ‘असफलता का अनुकरण’ करेगा। इसका मतलब यह है कि मिशन के विफल होने पर अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित कैसे किया जाए, इसकी तैयारी के लिए इसरो 2 बार अभ्यास करेगा। उसके बाद 2024 गगनयान को अंतिम रूप से अंतरिक्ष में भेजने का काम होगा। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने हाल ही में यह जानकारी दी।

क्रू एस्केप सिस्टम का सफल परीक्षण

हाल ही ने इसरो ने मिशन गगनयान के अंतर्गत श्रीहरिकोटा से क्रू एस्केप सिस्टम (CES) के लो एल्टीट्यूड एस्केप मोटर का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया है। मिशन के तहत अलग-अलग टेस्ट प्लान जैसे इंटीग्रेटेड एअर ड्राप टेस्ट, पैड अबॉर्ट टेस्ट, टेस्ट व्हीकल मिशंस संचालित किए जायेंगे।
ध्यान रहें कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन “गगनयान” 2023 में लॉन्च किया जाएगा।
इसरो ने ने बताया कि क्रू एस्केप सिस्टम के नीचे ऑर्बिटल मॉड्यूल होगा। इस ऑर्बिटल मॉड्यूल के दो भाग होंगे जिसमें ऊपरी भाग में क्रू मॉड्यूल और निचले भाग में सर्विस मॉड्यूल होगा। क्रू मॉड्यूल में तीन अंतरिक्ष यात्री जा सकेंगे।

गगनयान की समय सारणी – Gaganyaan Time Table

  • 18 दिसंबर 2014 को स्केल डाउन बॉयलरप्लेट गगनयान कैप्सूल का उप-कक्षीय परीक्षण, इसरो के GSLV Mark III रॉकेट की उप-कक्षीय पहली परीक्षण उड़ान में लॉन्च किया गया। इसमें मिशन सफल रहा।
  • 5 जुलाई 2018 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में लॉन्च पैड से गगनयान के लॉन्च एबॉर्ट सिस्टम का 4 मिनट का परीक्षण किया जो सफल रहा।
  • जून 2022 को गगनयान कैप्सूल की पहली कक्षीय परीक्षण उड़ान संभावित।
  • 2023 में गगनयान कैप्सूल की दूसरी कक्षीय परीक्षण उड़ान संभावित।
  • 2023 में गगनयान की पहली चालक दल की उड़ान, 1-3 भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को एक छोटी कक्षीय परीक्षण उड़ान पर ले जाएगी(संभावित)।

गगनयान की बनावट – Structure of Gaganyaan

 

गगनयान मिशन

इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने कहा,

“यह अब तक इसरो द्वारा शुरू किया गया सबसे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम है और यह आवश्यक है क्योंकि यह देश के भीतर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास को एक बड़ा बढ़ावा देगा।”

कैसे होगी गगनयान की लाॅन्चिग – How will Gaganyaan launch?

इस स्पेस क्राफ्ट को 2023 में लाॅन्च किया जाएगा। गगनयान स्पेस क्राफ्ट को आंध्रप्रदेश के श्री हरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर(Satish Dhawan Space Center) से स्पेस में भेजा जाएगा। इसके लिए GSLV MK-lll का इस्तेमाल किया जाएगा। यह वही Launch Vehicle है जिसका इस्तेमाल चन्द्रयान-।। मिशन में भी किया गया था।

विशेष : स्पेस फ्लाईट मिशन के हिसाब से अमेरिका , रूस, चीन के बाद ये मिशन लॉन्‍च करने वाला भारत चौथा देश होगा

लाॅन्च होने बाद लगभग 16 मिनट बाद यह राॅकेट गगनयान स्पेस क्राफ्ट को धरती के सतह से 400 किलोमीटर की दूरी पर छोड़ देगा। इसके बाद यह स्पेस क्राफ्ट सात दिनों तक धरती की कक्षा में घूमेगा। स्पेस क्राफ्ट धरती पर वापिस आएगा, उससे पहले यह अपने सर्विस मोड्यूल और सोलर पैनलस को अपने से अलग कर देगा। नीचे आते वक्त इसकी स्पीड लगभग 216 मीटर प्रति सैकंड होगी।

इसको नियंत्रित करने के लिए और सुरक्षित नीचे आने के लिए इसमें दो पैराशूट सिस्टम लगाए गए है। अगर एक फैल भी हो गया तो दूसरा सुरक्षित लैंडिग के लिए काफी होगा। पैराशूट इसकी स्पीड को लगभग 11 मीटर प्रति सैकंड कर देगा।

इसके बाद स्पेस क्राफ्ट को बंगाल की खाड़ी में उतारा जाएगा। बिल्कुल इसे समुद्र में उतारा जाएगा। इस तरह की लैडिंग को स्पलेसडाउन लैडिंग(Splashdown landing) कहा जाता है।

गगनयान मिशन में प्रयोग में आएगी नई तकनीकी – Gaganyaan mission New Technologies

गगनयान कार्यक्रम के लिए कई तरह की नई और प्रमुख टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा

  • क्रू एस्केप सिस्टम
  • लाइफ स्पोर्ट सिस्टम
  • मानव रेटेड लॉन्च विशेष वाहन
  • क्रू का चयन और उनके प्रशिक्षण के लिए एडवांस तकनीक
  • यात्रियों के लिए वातानुकूलित कक्षीय मॉड्यूल

क्या है व्योममित्र?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र(Indian Space and Reaserch Oganisation, ISRO) ने अपनी पहली महिला ह्यूमॉयड को अन्तरिक्ष में भेजने का फैसला लिया है. इस रोबोट का नाम ‘व्योममित्र’ है.इस अर्द्ध मानवीय रोबोट ने 22 जनवरी को बेंगलौर में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स (IAA) और एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (ASI) के पहले सम्मलेन में अपना परिचय दिया।

व्योममित्र
व्योममित्र रोबोट ने कहा,

”सभी को नमस्कार। मैं व्योममित्र हूँ और मुझे अर्ध मानव रोबोट के नमूने के रूप में पहले मानवरहित गगनयान मिशन के लिए बनाया गया है।’ मिशन में अपनी भूमिका के बारे में ‘व्योममित्र ने कहा, ”मैं पूरे यान के मापदंडों पर निगरानी रखूंगी, आपको हर सुचना दूंगी और जीवनरक्षक प्रणाली का काम देखूंगी। मैं स्विच पैनल के संचालन सहित विभिन्न काम कर सकती हूँ।”
इसे हाफ-ह्यूमनॉइड (Half-Humanoid) इसलिये कहा गया है, क्योंकि इस रोबोट के पैर नहीं हैं

गगनयान का इतिहास – History of Gaganyaan in hindi

गगनयान पर सर्वप्रथम कार्य 2006 में शुरू किया गया था। इसमें अंतरिक्ष में 7 दिन गुजारने में योग्य मर्क्यूरी-क्लास अंतरिक्ष यान के जैसा एक साधारण जहाज तैयार करने की योजना बनाई गयी थी। तब यह सिर्फ दो अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए बनाया जाना था।

मार्च 2008 तक इसकी डिजाइनिंग और प्लानिंग का काम भी पूरा हो चुका था।। भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए करीब एक साल के लंबे इंतजार के बाद फरवरी 2009 में भारत सरकार ने इसके लिए कुछ बजट मंजूर किया, पर इसको पर्याप्त साथ नहीं मिल पाया।

इस मिशन के लिए लगभग 12400 करोड़ रूपयों की जरूरत थी लेकिन 2012 तक सरकार ने सिर्फ 5000 करोड़ रूपये ही दिए।

एक बार के लिए जब इसकी एनक्रूड लाॅन्चिग 2013 में ही तय कर दी गई थी, तब उसे 2016 तक के लिए टाल दिया गया।

2017 में भारत सरकार ने इस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने के लिए इसरो को पैसे दिए और 15 अगस्त 2018 को भारत की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत इस स्पेस क्राफ्ट को पूरा करने की घोषणा कर दी।

नरेंद्र मोदी जी ने इस मिशन की घोषणा 2018 के स्वतंत्रता दिवस के दिन औपचारिक रूप से अपने भाषण के दौरान की।

रोचक तथ्य:

गगनयान मिशन में व्योम मित्र नाम के एक महिला रोबोट को मिशन में साथ भेजा जाएगा। अभी तक जितने भी देशों ने स्पेस में इंसानों को भेजा है, उन्होने टेस्टिंग के लिए जानवरों का इस्तेमाल किया है। लेकिन इसरो ऐसा नहीं करना चाहता और इसलिए इन्होंने व्योम मित्र नाम का एक रोबोट बनाया। एक रोबोट न केवल एनक्रूड लाॅन्चिग के दौरान स्पेस क्राफ्ट में मौजूद होगा, बल्कि जब एस्ट्रोनोट्स इसमें बैठकर जाएंगे तब यह उनका सहयोग करेगा। ये रोबोट हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाएँ बोल सकता है । स्पेस में बैठ एस्ट्रोनोट्स को अगर कोई भी समस्या होती है तो यह उन्हें SOLUTION कर देगा। अगर एस्ट्रोनोट्स को माॅडल के अंदर कोई भी दिक्कत आती है तो यह रोबोट उसे तुरंत समझ जाएगा और उन्हें तत्काल सुचना प्रदान करेगा।

रूस में चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण हुआ

1 जुलाई 2019 को इसरो और रूस के बीच एक समझौता हुआ था जिसके अनुसार रूस हमारे एस्ट्रोनोट्स के सिलेक्शन, ट्रेनिंग, स्पाॅट और मेडिकल एग्जामिनेशन के लिए अपना सहयोग देगा। हाल ही में रूस में हमारे एस्ट्रोनोट्स ने अंतरिक्ष उड़ान का प्रशिक्षण प्राप्त किया हैं।

गगनयान प्रोजेक्ट की अगुवाई महिला वैज्ञानिक वीआर ललितांबिका करेंगी।

प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य 2022 में मानव अंतरिक्ष यान लांच करना

गगनयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को संबोधन के दौरान की थी। इस मिशन का प्रारंभिक लक्ष्य 15 अगस्त, 2022 को भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से पहले लांच करना था।

हालाँकि कोरोना की वजह से ‘गगनयान मिशन’ के लिए हार्डवेयर प्राप्ति में देरी हुई है। लेकिन फिर भी भारत सरकार द्वारा निर्धारित मिशन के लक्ष्य को को हासिल करने में भरसक प्रयास कर रही है।

विशेष : गगनयान रूस, चीन और नासा के ओरियन यान और अपोलो कैप्सूल से छोटा होगा। इसरो ने इसे ’राष्ट्रीय मशीन’ करार दिया है।

गगनयान कार्यक्रम के लिए इंजन ‘विकास’ का सफल परीक्षण

इसरो ने अपने गगनयान कार्यक्रम के लिए तरल प्रणोदक इंजन ‘विकास’ का तीसरा लंबी अवधि का सफल उष्ण परीक्षण सफलतापूर्वक कर लिया है। यह परीक्षण गगनयान कार्यक्रम के लिए इंजन योग्यता जरूरत के अनुसार जीएसएलवी एमके 3 यान के एल 110 तरल चरण के लिए किया गया था। इस इंजन को परीक्षण केंद्र में 240 सेकंड के लिए प्रक्षेपित किया गया था।

गगनयान की विशेषताएँ – Features of Gaganyaan

 

gaganyaan mission in hindi

  • यह देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देगा।
  • औद्योगिक क्षेत्र में सुधार करने में मदद करेगा।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
  • युवाओं को प्रेरित करने में मदद करेगा।
  • यह सामाजिक लाभों के लिये प्रौद्योगिकी के विकास में मदद करेगा।
  • अगर यह मिशन सफल हुआ तो आने वाले समय में नासा की तरह पूरे भारत में इसरो की भी एक अलग पहचान बनेगी
  • सौर प्रणाली और उससे आगे का पता लगाने के लिए एक सतत और किफायती मानव और रोबोट कार्यक्रम की दिशा में उन्नति कर पाएंगे।
  • वैज्ञानिक अन्वेषण करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी क्षमता प्राप्त होगी।
  • उन्नत विज्ञान और अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में रोजगार सृजन और मानव संसाधन का उच्चतम विकास।

अन्तरिक्ष में क्या -क्या होते है खतरे ?

अंतरिक्ष में इंसान को भेजना खतरे से खाली नही होता। ये काफी जोखिम से भरा होता है। इसमें न केवल काफी ज्यादा पैसों की जरूरत पङती है। बल्कि इंसान को भी हर समय खतरा रहता है। लाॅन्च बैंट से जैसी ही यान अंतरिक्ष की ओर जाता है, वैसे ही मशीन से ज्यादा इंसानों की जान को लेकर तरह-तरह की आशंका उठने लगती है। एक इंसान को अंतरिक्ष में जाने के लिए शारीरिक और मानसिक दक्षताओं के साथ ही प्रकृति के विरुद्ध काम कर सकने लायक क्षमताएँ भी विकसित करनी होती है।

इसलिए अन्तरिक्ष यात्री को बेहद खास किस्म का प्रशिक्षण और विशेषज्ञता भी हासिल करनी होती है। इसरो के सामने सबसे बङी चुनौती है मानव युक्त गगनयान को अंतरिक्ष भेजना और फिर सुरक्षित धरती पर वापस लैंडिंग करवाना। गगनयान के एस्ट्रोनाॅट्स को सुरक्षित धरती पर लैंड कराने के लिए खास तरह के पैराशूट का निर्माण भी किया गया है।

एक गुरुत्वाकर्षण फील्ड से दूसरे गुरुत्वाकर्षण फील्ड में जाने पर इंसान को कई शारीरिक और मानसिक चुनौतियाँ का सामना करना पड़ता है। इसमें दिमाग, हाथ और आँखों का तालमेल गङबङाने लगता है। गुरुत्वाकर्षण के अभाव में हड्डियों से पोषक तत्त्व खत्म होने लगते है, जिससे शरीर में कई फेक्चर भी हो सकते है।

सही व्यायाम और उचित डाईट का ध्यान रखना होता है अन्यथा लापरवाही से मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती है और यहाँ तक की आँखों की नजर पर भी बुरा असर पङता है।

2022 में गगनयान में जाने वाले यात्रियों के लिए ’ट्रेनिंग सेंटर भारतीय वायुसेना के इंस्टीट्यूट ऑफ़ एबीएसन मेडिशन’ के सहयोग से विकसित किया गया है।
अंतरिक्ष यात्रियों को वाटर-सिम्युलेटर में ट्रेनिंग दी जाएगी।

अंतरिक्ष में रेडियशन का खतरा धरती से 10 गुना ज्यादा होता है। रेडियशन की चपेट में आने पर अंतरिक्ष यात्री को थकान, उल्टीयाँ, तंत्रिका-तंत्र से जुङी परेशानियाँ और यहाँ तक कि कैंसर हो सकता है। इन चुनौतियों के बाद भी इंसान अंतरिक्ष में कई अनजान चुनौतियाँ का सामना भी करता है।

राॅकेट के भीतर यात्रा करना, ये कोई साधारण यात्रा नहीं होती। अंतरिक्ष में जाते हुए एक आम राॅकेट शून्य से 29 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार महज 30 मिनट में हासिल कर लेता है। राॅकेट के अंतरिक्ष में जाने का यह दौर बङा ही नाजुक होता है। इसलिए अन्तरिक्ष यात्री अपनी जान पर खेल कर इन मिशनों पर जाते है।

गगनयान यात्रियों के सूट कैसे होंगे? (Gaganyaan astronaut space suit)

यह भी एक रोचक तथ्य है कि गगनयान के यात्रियों का सूट संतरी रंग का होगा। अंतरिक्ष यात्रियों के अंतरिक्ष सूट को “विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र”, तिरुवनंतपुरम द्वारा विशेष तरीके से बनाया गया है। इस सूट में एक ऑक्सीजन सिलेंडर की एक खास सुविधा होगी, जो की अंतरिक्ष यात्रियों को एक घंटे के लिए अंतरिक्ष में सांस लेने मेंसहायता  करेगा।

Conclusion

आज के आर्टिकल में हमने गगनयान मिशन(Gaganyaan Mission) के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की ,हमने पूरी कोशिस की है कि इस विषय के बारे में आपको हर जानकारी मिले । आज की जानकारी में हमनें गगनयान मिशन 2023 ,ISRO Gaganyaan Mission 2023 in Hindi,Cost, Target, Date, Astronaut Vyomanaut Name Training Centre, Crew Members के बारे में पढ़ा। हम आशा करतें है कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरुर लिखें। आर्टिकल पढने के लिए धन्यवाद ….

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