Read : अजंता की गुफाएँ ,आज के आर्टिकल में हम अजंता की गुफाओं (Ajanta ki Gufa) के बारे में विस्तृत जानकारी पढेंगे ,जिससे आप इनकी हर विशेषताएँ एक जगह पढ़ पाओ।
अजंता की गुफाएँ – Ajanta ki Gufa
अजंता की गुफाएँ ’बाघोरा नदी’ की घाटी में अवस्थित एक ऊँची पहाङी के ढाल को काटकर बनाई गई है। यह गुफाएँ ’घोङे की नाल’ के आकार की है। वर्ष 1819 ईस्वी में मद्रास सेना के कुछ ’यूरोपीय सैनिकों’ ने इन गुफाओं की अकस्मात् खोज की थी।
वर्ष 1824 ईस्वी में ’जनरल जेम्स अलेग्जेंडर’ ने ’राॅयल एशियाटिक सोसाइटी’ की पत्रिका में पहली बार इन गुफाओं का विवरण प्रकाशित कर इन्हें सभ्य संसार के सामने प्रकट किया था। इन गुफाओं को बौद्ध भिक्षु शिल्पियों द्वारा बनाया गया था। इन गुफाओं का निर्माण काल द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व से सातवीं शताब्दी के मध्य माना गया है।
सर्वप्रथम अजन्ता गुफा को ’चीनी बौद्ध यात्री ह्वेनसांग’ ने देखा। इसका वर्णन ‘Jravels in India’ नामक किताब में मिलता है। इसी प्रकार फाह्यान ने सन् 398 ई. में इन कला मंदिरों का उल्लेख किया है। बाणभट्ट ने जो गुफा चित्रों का वर्णन किया है वो भी अजन्ता के समान ही लगता है। अजन्ता की गुफा में 20 प्रकार की रेखा शैलियों का प्रयोग किया गया है।
सर्वाधिक अलंकरण गुफा संख्या 1 में है। यहाँ की सुन्दरता रेखाओं में है, अगर रेखाओं में रंग न भरा जाये तो भी यह रेखाएँ मानव के भाव को प्रदर्शित कर देती है। इसमें मुख्य आकृति बङी बनाई गई है तथा गौङ आकृति छोटी बनाई गई है। इसमें नारी-चित्रण की चरम उपलब्धि है।
अजन्ता गुफा मूर्तिकला, स्थापत्य कला, चित्रकला तीनों का संगम है। यह 800 वर्षों में निर्मित है। इसमें कुल जातक कथाएं 547 है। अजन्ता गुफा का सर्वोकृष्ट कार्य गुप्तकाल में हुआ। अजन्ता की गुफा 2000 साल पुरानी है और वहाँ बुद्ध का पुतला करीब 600 साल पुराना है। यह गुफा बौद्ध धर्म से जुङी हुई है।
अजंता की गुफाओं की दीवारों और छत पर भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को नक्काशी और चित्रों के द्वारा बताया गया है। अजंता की गुफाओं में 24 बौद्ध विहार और 5 हिंदू मंदिर है। इन सभी में से गुफा 1, 2, 4, 16, 17 सबसे सुंदर है। गुफा 26 बुद्ध की पुनर्निर्मित प्रसिद्ध प्रतिमा स्थित है। इन सभी गुफाओं की खुदाई लगभग यू-आकार की खङी चट्टान के स्कार्पियो पर की गई है जिनकी ऊँचाई लगभग 76 मीटर हैं।
अजन्ता की गुफाओं का विकास 200 ई.पू. से 650 ईस्वी के मध्य हुआ था। वाकाटक राजाओं जिनमें हरिसेना एक प्रमुख राजा था, उसके संरक्षण में अजंता की गुफाएँ बौद्ध भिक्षुओं द्वारा उत्कीर्ण की गई थी। अजंता की गुफाओं की जानकारी चीनी बौद्ध यात्रियों फाहियान और ह्वेनसांग के यात्रा वृतांतों में पाई जाती है।
अजंता की गुफाओं के चैत्य ग्रह में सुंदर चित्र, छत और बङी खिङकियां हैं। पहले खुदाई में मिली गुफाएं दक्कन में पाई जाने वाली गुफाओं कोंडेन, पिटालखोरा, नासिक की तरह है। इन गुफाओं को बनाने का दूसरा चरण 4 शताब्दी में शुरू हुआ था जो वताको के शासन के समय बनाई गई थी। यह गुफाएं सबसे खूबसूरत और कलात्मक थी। इस चरण की गुफाओं में अधिकतर पेंटिंग का काम किया गया था।
अजंता की गुफाएँ कहाँ स्थित है ?
- अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के पास वाघोरा नदी के पास सह्याद्रि पर्वतमाला (पश्चिमी घाट) में राॅक-कट गुफाओं को एक शृंखला के रूप में स्थित है।
- जलगाँव स्टेशन से 61 किलोमीटर दूर स्थित है।
- अजन्ता तार्थ से 6.50 किलोमीटर पहले फरदपुर गांव है। यहीं से होकर दर्शक इस गुफा में जाते है।
- अजन्ता की गुफाएँ ’विंध्य की सहयाद्रि सतपुङा पर्वतमाला’ में ’बघोरा नदी’ के किनारे 1 अर्धचन्द्राकार 75 मी. (250 फुट) ऊँचे स्थान पर है।
- अजंता की गुफाएँ 30 चट्टानों को काटकर बनाई गई बौद्ध गुफा स्मारक हैं जो कि दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर लगभग 480 ई.पू. से भारत के महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं। यह गुफाएँ अजंता नामक गाँव के पास ही स्थित है, जो कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है।
अजन्ता गुफा की खोज
- अजन्ता गुफा की खोज जाॅन स्मिथ ने 1819 में की।
- सन् 1824 में Lieutenant James E.Alexander ने आँखों देखा विवरण तैयार किया। जो 1829 में Transaction Royal Society, London को इनका परिचय दिया।
- 1828 में कैप्टन राल्फ ने ‘Asiatic society of Bengal’ में इसका विवरण दिया।
- 1839 में William Black – Bombay Carrier में प्रकाशित कराया। 1843 में James Fergusson ने इसका विवरण Royal Society Great Britain और Ireland की सभा में पढ़ कर सुनाया।
- 1844 में Major Robert Gill ने 30 चित्रों की अनुकृतियाँ बनाई। ये 1866 में Crystal Place में आग लगने की वजह से जल गये।
- 1874 में James Burges ने इण्डियन एन्टिक्यूरी शोध पत्रिका में Rock Temples of Ajanta नाम से लेख प्रकाशित किया।
1909-11 में लेडी हैरिंघम की अध्यक्षता में अनुकृतियाँ बनाई –
- सैय्यद अहमद
- मोहम्मद फजलुद्दीन
- नंदलाल बोस
- हल्दर
- वेंकटप्पा
नोट – इनको 1915 ई. में ’इण्डियन सोसाइटी’ में ’अजन्ता फ्रेंसकोज’ नाम से प्रकाशित कराया गया।
1908 ई. में यहाँ 1 carator (संग्रहाध्यक्ष) की नियुक्ति हुई थी जिसका नाम नारायण एकनाथ था। 1915 में इन प्रतिनिधियों को ’इण्डिया सोसाइटी’ ने ’अजन्ता फ्रेस्कोज’ नाम से प्रकाशित कराया। 1951 में राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया। 1953 ई. में इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसके रखरखाव व सुरक्षा की जिम्मेदारी ली।
1953 में ’भारतीय पुरातत्व विभाग’ ने अपने अधीन ले लिया। 1965 में मदनजीत सिंह ने ’दि पेटिग्स ऑफ़ अजन्ता’ ग्रंथ प्रकाशित कराया। वर्ष 1983 में अजंता की गुफाओं को ’यूनेस्को की विश्व विरासत सूची’ में शामिल किया गया।
अजन्ता का नामकरण
बौद्ध ग्रन्थ ’महामायूरी’ में ’अजितन्जय’ नाम से ग्राम का उल्लेख मिलता है। बुद्ध का बोधि प्राप्ति के पूर्व का नाम ’अजीत’ था। बाद में यह ’अजिठा’ और वर्तमान में ’अजन्ता’ नाम से लोकप्रिय हो गया।
अजंता की गुफा का इतिहास
अजन्ता की गुफाएं मुख्य रूप से बौद्ध गुफा है, इसमें बौद्ध धर्म की कलाकृतियाँ है। इन गुफाओं का निर्माण दो चरणों में हुआ है। पहले चरण में सातवाहन और इसके बाद वाकाटक शासक वंश के राजाओं ने इसका निर्माण करवाया। पहले चरण की अजंता की गुफाओं का निर्माण दूसरी शताब्दी के समय हुआ था।
दूसरे चरण वाली अजंता की गुफाओं का निर्माण 460-480 ईस्वी में हुआ था। पहले चरण में तो 9,10,12,13 और 15 ए की गुफाओं का निर्माण हुआ। दूसरे चरण में 20 गुफा मंदिरों का निर्माण किया गया। पहले चरण को ’गलती हीनयान’ कहा गया, इसका सम्बन्ध बौद्ध धर्म के हीनयान मत से है। इस चरण की खुदाइयों में भगवान बुद्ध को स्तूप से संबोधित किया गया है। दूसरे चरण की खुदाई लगभग 3 शताब्दी के बाद की गई। दूसरे चरण को ’महायान चरण’ कहा गया।
अजंता की गुफाएँ
पूर्व से पश्चिम की ओर 1 से 29 तक घोङे के नाल के आकार में है।
अजंता में 30 गुफाएं हैं जिनमें से एक गुफा अपूर्ण है इसलिए अजंता में सामान्यतः गुफाओं की संख्या 29 मानी जाती है। इन गुफाओं में 5 गुफा चैत्य हैं और शेष गुफा विहार हैं। चैत्य गुफाओं की संख्या – 9, 10, 19, 26, 29 है। अजंता की गुफाओं में 6 गुफाएं बौद्ध धर्म की ’हीनयान शाखा’ से तथा शेष 23 गुफाएं ’महायान शाखा’ से संबंधित है। हीनयान गुफा संख्या – 8, 9, 10, 12, 13, 15 है।
- गुफा संख्या 1 व 2 पुलकेशिन द्वितीय के काल से।
- गुफा संख्या 9 सातवाहन काल की है। यह ईसा से 100 वर्ष पूर्व की है। यह हीनयान, महायान से सम्बन्धित है। यह एक ’चैत्य’ गुफा है।
- गुफा संख्या 9 व 10 वाकाटक काल से सं संबंधित है। गुफा संख्या 9 व 10 को ’सबसे पुरानी गुफा’ माना जाता है। माना जाता है कि इन गुफाओं के चित्र शुंगकालीन (ईसा पूर्व पहली सदी) हैं, बाकी चित्रों के पीछे गुप्तकालीन प्रेरणा है।
- गुफा संख्या, 16, 17 व 19 गुप्तकाल से संबंधित है।
- 8, 12, 13 गुफा के चित्र अपना अस्तित्व लगभग खो चुके हैं।
- अजंता की गुफा संख्या 17 वीं में सबसे अधिक चित्र हैं।
- 14 व 15 के बीच एक गुफा 15A नाम से है।
- मुख्य प्रवेश – गुफा 1 के सामने।
- बिना चित्र की दृष्टि से प्राचीन गुुफा-13 है।
- जेम्स फग्र्युसन के अनुवाद – नवीन गुफा 1 है।
अजंता की गुफाएँ वास्तु कला, मूर्तिकला एवं चित्रकला का अभूतपूर्व संगम है तथा तकनीकी दृष्टि से अजंता के भित्ति चित्रों को विश्व में उच्च स्थान प्राप्त है। अजंता के गुफा चित्र ’बौद्ध धर्म’ से संबंधित हैं इनमें प्रकृति, बुद्ध, बोधिसत्व एवं जातक कथाओं के वर्णनात्मक दृश्य मिलते हैं। अजंता की समस्त गुफाओं में चित्रों का निर्माण किया गया है। अब सिर्फ 6 गुफाओं में ही चित्रों के अवशेष बचे हुए हैं।
गुफा संख्या – 16 के प्रमुख चित्र –
गुफा संख्या-16 को उत्क्रमित करने का श्रेय ’वराहदेव’ को है।
(1) ’बुद्ध का महाभिनिष्क्रमण’ का चित्र –
इस चित्र में बुद्ध के गृहत्याग का मार्मिक चित्रांकन है जिसमें बुद्ध को अपनी पत्नी यशोधरा व पुत्र राहुल को सोता छोङकर जाते हुए दिखाया गया है।
(2) ’मरणासन्न राजकुमारी’ का चित्र –
विद्वानों ने इस राजकुमारी की पहचान बुद्ध के सौतेले भाई नंद की पत्नी सुंदरी से की है। ग्रिफिथ्स के अनुसार, फलोरेन्स रेखांकन इससे अच्छा कर सकते है। वेनिस अच्छा रंग भर सकता है। लेकिन इससे अच्छा सुन्दर भाव कोई नहीं भर सकता।
(3) अश्वघोष द्वारा रचित ’सौंदरानंद’ काव्य के आधार पर बुद्ध के भाई नंद की कथा का चित्र है।
(4) अजातशत्रु का महात्मा बुद्ध की भेंट का चित्रण है।
(5) अधे तपस्वी माता-पिता का चित्रण है।
गुफा संख्या-17 के प्रमुख चित्र –
गुफा संख्या-17 को ’चित्रशाला’ कहा गया है जिसमें बुद्ध के जीवन की बहुरंगी छटा देखने को मिलती है, तथा इसमें ’जातक कथाओं’ का बेहतरीन प्रदर्शन किया गया है।
(1) एक सम्राट का सुनहरे हंस से बातें करते हुए चित्रण –
निवेदिता के विचार में इस चित्र से बढकर विश्व में कोई दूसरा चित्र नहीं हो सकता।
(2) राहुल समर्पण/माता और शिशु (सर्वाधिक प्रसिद्ध चित्र) –
इसमें बुद्ध के मानवाकार चित्र के आगे अपने एकमात्र पुत्र राहुल को तथागत के चरणों में भिक्षा के रूप में समर्पित करते हुए यशोधरा का चित्र है।
’हैवल महोदय’ ने इस चित्र को जावा के बोरोबुदुर से प्राप्त कला की समकक्षता में रखना पसंद किया है।
गुफा संख्या-1 के प्रमुख चित्र –
(1) ’मार (कामदेव) विजय’ का चित्र –
इसमें बुद्ध तपस्या में लीन हैं जिन्हें कामदेव कई कन्याओं के साथ रिझाने का प्रयत्न कर रहा है।
(2) ’बोधिसत्व पद्मापाणि अवलोकितेश्वर’ का चित्र –
इस चित्र के बगल में एक नारी की आकृति बनी हुई है जिसे ’काली राजकुमारी’ कहा गया है।
(3) फारस देश के राजदूत का चित्र – यह पुलकेशिन द्वितीय के दरबार में आया था जिसका पुलकेशिन द्वितीय ने स्वागत किया।
विषय की दृष्टि से अजंता के चित्र को 3 वर्गों में बांटा जा सकता है।
(1) अलंकारिक
(2) रूपभेदिक
(3) वर्णनात्मक।
अजंता गुफाओं के चित्रों में उच्चवर्गीय जीवन चेतना को व्यक्त किया गया है इनमें ग्रामीण जीवन के दुखःदर्द की अभिव्यक्ति नहीं है।
अजंता की गुफा चित्रों की विधि या पद्धति
- फ्रेस्को विधि
- टेम्पेरा विधि
(1) फ्रेस्को विधि – फ्रेस्कोे विधि में गीले प्लास्टर का चित्र बनाए जाते हैं और चित्रकारी विशुद्ध रंगों से की जाती है। अजन्ता गुफा की चित्रकारी प्रायः ’फ्रेस्को’ कहलाती है।
(2) टेम्पेरा विधि – टेम्पेरा विधि में सूखे प्लास्टर का चित्र बनाए जाते हैं और रंग के साथ अंडे की सफेदी व चुना मिलाया जाता है।
अजंता की गुफाओं में चित्रकारी –
- अजंता की गुफाओं में आकृतियों को फ्रेस्को पेंटिंग का उपयोग करके दर्शाया गया था।
- अजंता की गुफाओं के चित्रों में लाल रंग की प्रचुरता है किंतु नीले रंग की अनुपस्थिति है।
- इनके चित्रों में सामान्यतः बुद्ध और जातक कहानियों को प्रदर्शित किया गया है।
अजंता चित्रशैली की प्रमुख विशेषताएँ
- अजंता के चित्रों में शांति, करूणा, उल्लास, स्थिरता, सौहार्द, भक्ति, विनय और विकलता आदि भावनाओं को उत्कृष्टता वस्तुतः भाव प्रवणता ही अजंता चित्रकला की आत्मा है।
- अजंता चित्रों की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह है कि उनमें गांवों के सामान्य एवं शांति जीवन के साथ-साथ नगर के कोलाहलपूर्ण जीवन का भी चित्रण बङे जीवंत ढंग से किया गया है।
- अजंता के चित्रों में रेखाएँ संतुलित हैं, जिनसे चित्रकारी की कुशलता प्रदर्शित होती है।
- अजंता के चित्रों में रंग का संयोजन अति प्राकृतिक ढंग से किया गया है। इन चित्रों में गेरूआ, रामराज, हरा, काजल, नीला और चूने के रंग का विशेष प्रयोग हुआ हे।
- अजंता के चित्रों में जीवन के भौतिक एवं आध्यात्मिक पक्षों की सुंदर अभिव्यक्ति हुई है। अजंता के चित्रों में नारी को आदर्श रूप में दर्शाया गया है। इनमें भारतीय परम्परा के अनुसार नारी का ऊँचा स्थान दिया गया है।
- अजंता की गुफाएँ बौद्ध युग के बौद्ध मठ या स्तूप है।
- पहली बार अजंता की गुफाओं को 19 वीं शताब्दी में एक ब्रिटिश ऑफिसर द्वारा वर्ष 1819 में तब खोजा गया था जब वे शिकार कर रहे थे और उन्होंने झाङियों, पत्तियों और पत्थरों से ढकी एक गुफा देखी। इसके बाद उनके सैनिकों ने गुफा में जाने के लिए रास्ता बनाया तब उन्हें वहां पुरानी इतिहास के साथ कई गुफाएँ मिलीं। इसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी सरकार को दी। तब से आज तक अजंता की गुफाओं की खुदाई और अध्ययन किया जा रहा है। इस समय यह अद्भुत गुफाएँ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में हैं। पूरे साल अजंता की गुफाओं को देखने दुनिया भर से पर्यटक विशेष रूप से बौद्ध अनुयायी इस पर्यटन स्थल पर आते हैं।
अजन्ता के भित्ति चित्रों के रंग
- खनिज रंगों का प्रयोग
- सफेद (चूना, खङिया, जिप्सम, चीनी मिट्टी)
- लाल, भूरा (गेरू या हिरौंजी)
- पीला (रामरज, पीली मिट्टी)
- चमकपाद पीला
- नीला (लेपिस लाजुली पत्थर से), फारस से आयात (गुफा 16, 17 से शुरू)
- काला (काजल)
- हरा (अयस्क, Terraverte)
- नीला 400 ई. से पहले नहीं प्रयोग हुआ।
अजंता की गुफा की वास्तुकला
अजंता की गुफा पौराणिक समय में निर्मित सुंदर नक्काशी वाला एक खूबसूरत जगह है। अजंता की गुफा के प्रवेश द्वार पर भगवान बुद्ध की विशाल पत्थर को काटकर नक्काशी की गई प्रतिमा देखने को मिलती है। अजंता की गुफाओं में भगवान बुद्ध क अलग-अलग स्थितियों में कई सारी खूबसूरत नक्काशी वाला पहाङों को खोदकर बनाया गया है।
यहां पर भगवान बुद्ध की पेंटिंग भी है। अजंता की गुफा में बहुत सारी राजकुमारियों एवं अप्सराओं की अलग-अलग स्थितियों में पेंटिग और चित्र कार्य है। अजंता की गुफा हरी-भरी पहाङियों से घिरी पुराने समय की एक खूबसूरत गुफा है।
प्रमुख गुहा में उपलब्ध चित्र –
चित्र संख्या 09 | 100 ई.पू., |
सातवाहन, | |
हीनयान महायान, | |
ठोस हरमिका पाषाण स्तूप | |
चित्र संख्या 10 | 200 ई.पू., |
शुंग, सातवाहन, | |
हृदन्त जातक | |
चित्र संख्या 16 | 475 ई-500ई.पू., |
वाकाटक,गुप्तकाल, | |
मरणासन्न राजकुमारी, | |
चित्र संख्या 17 | 475-500 AD |
वाकाटक,गुप्तकाल, | |
चित्रशाला, | |
सबसे अधिक चित्र | |
चित्र संख्या 01 | 500-628 AD |
गुप्त,चालुक्य, | |
शैल स्थापत्य, | |
प्रवेश द्वार अलंकरण (अधिक) | |
चित्र संख्या 02 | 500-550 AD |
वाकाटक,गुप्तकाल | |
दो बाये अंगूठे वाली रमणी | |
मरणासन्न राजकुमारी |
महत्त्वपूर्ण गुफाएं
गुफा सं. 9 | गुफा सं. 10 |
1. स्तूप पूजा | 1. साम जातक |
2. शंख शहनाइ | 2. छदन्त जातक |
3. पशुओं को खदेङते चरवाहे | 3. एक जुलूस |
4. झांझ, मृदंग बजाते वादक | 4. बोधिवृक्ष की उपासना हेतु राजा तथा उनका दल |
5. दो नाग पुरुष | |
6. एक बैठी स्त्री (जाॅन ग्रिफिथ्स ने खोजा) |
गुफा सं. 16 | गुफा सं. 17 |
1. मायादेवी का स्वप्न | 1. विलासी वैराग्य |
2. सुजाता की खीर | 2. पागल हाथी पर अंगुश |
3. अजातशत्रु | 3. हंस जातक |
4. बुद्ध की भेंट | 4. यशोधरा की भिक्षा (माता-पुत्र), राहुल समर्पण |
5. मरणासन्न राजकुमारी | 5. महाकपि जातक (बोधिसत्व रूपी) |
6. बुद्ध का जन्म | 6. सिंहलावदान |
7. बुद्ध का गृहत्याग | 7. मृग जातक |
8. प्रवेश द्वार पर 2 हाथी | 8. शृंगार व राजकुमारी |
9. धनुभ्र्यास | 9. उङती हुई गन्धर्व अप्सराएं तथा इन्द्र का अंकन |
10. बुद्ध उपदेश |
गुफा सं. 01 | गुफा सं. 02 |
1. बोधिसत्व पद्मपाणि | 1. महाहंस जातक |
2. मार विजय | 2. विदुर पंडित की कथा |
3. शिवि जातक | 3. माया देवी का स्वप्न |
4. श्रावस्ती का चमत्कार | 4. मरणासन्न राजकुमारी |
5. बज्रपाणि | 5. दो बाएँ अंगूठे वाली रमणी |
6. चींटियों के पहाङ पर साँप की तपस्या | 6. बुद्ध जन्म |
7. छतों में कमल व हंसों के अलंकरण | 7. झूला झलती राजकुमारी |
8. बैलों की लङाई | 8. तूषित चित्र |
9. प्रेमी युगल | 9. सर्वनाश |
10. प्राणों की भिक्षा | |
11. माया देवी का स्वप्न |
अजंता की गुफा की यात्रा के लिए अच्छा समय
अजंता की गुफा को भारत के अन्य क्षेत्रों के अलावा विदेशों से भी काफी पर्यटन देखने आते है। अजंता की गुफाओं में पर्यटक पूरे साल घूमने आया करते हैं, लेकिन यहाँ पर गर्मी का मौसम घूमने के लिए अच्छा नहीं होता और पूरे साल साल में कभी-भी घूमने आ सकते है। गर्मी के मौसम में यहाँ तापमान बहुत अधिक होता है।
यहां पर पर्यटकों की अच्छी भीङ अक्टूबर से लेकर मार्च महीने के बीच के समय होती है। जून के अंत से अक्टूबर तक मानसून का मौसम रहता है। यहाँ गर्मी और बरसात, ठंड की तुलना में ज्यादा होती हैं इसलिए यहाँ आने वाले पर्यटक ठंड से लेकर शरद ऋतु तक यहाँ घूमना अधिक पसंद करते है।
अजंता की गुफा का प्रवेश शुल्क
अजंता की गुफा में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को प्रवेश शुल्क के रूप में कुछ चार्ज देना पङता है। अगर आप भारतीय है तो आपको प्रवेश शुल्क के रूप में 10 रु. का चार्ज देना होता है। अगर आप एक भारतीय के अतिरिक्त अन्य नागरिक है, तो आपका प्रवेश शुल्क के रूप में 250 रु. देने होते है। अगर आप अपने साथ कैमरा ले जाना चाहते है, तो आपको 25 रु. का अलग से चार्ज देना होता है।
अजंता की गुफा का खुलने का समय
अगर आप अजंता की गुफा को देखने जा रहे हैं, तो यहां पर जाने का समय भी आपको जान लेना चाहिए। अजंता की गुफा को आप सुबह 9ः00 बजे से शाम 5ः00 बजे तक देख सकते है। अजंता की गुफा प्रत्येक सोमवार को बंद रहती है।
अजंता की गुफा देखने कैसे जाएँ?
अगर आप अजंता की गुफाएं देखना चाहते है तो सबसे पहले आपको अपनी यातायात सुविधाएँ देख लेनी चाहिए। अजंता की गुफाएँ भारत में महाराष्ट्र राज्य के उत्तर में स्थित हैं। यह जगह मध्यप्रदेश राज्य की सीमा के करीब है। अजंता की गुफाओं की दूरी औरंगाबाद से 120 किलोमीटर और जलगाँव से 60 किलोमीटर है।
आप औरंगाबाद से या जलगाँव के रास्ते होकर अजंता गुफा जा सकते है। औरंगाबाद एक बङा शहर है जो इस पर्यटन के साथ जुङा हुआ है। जलगाँव एक छोटा शहर है लेकिन यह गुफाओं के सबसे पास स्थित है।
FAQ – अजंता की गुफा के प्रश्न
1. अजंता गुफाओं की खोज कब हुई ?
उत्तर – 1819
2. अजंता गुफाओं में ’एक हजार बुद्ध’ किस संख्या की गुफा में चित्रित है ?
उत्तर – गुफा संख्या-2
3. अजंता के चित्र किसके जीवन पर आधारित हैं ?
उत्तर – बुद्ध के
4. अजंता की गुफा को सबसे पहले किसने देखा ?
उत्तर – ह्वेनसांग
5. ’भिक्षुक बुद्ध’ का चित्र किस गुफा में चित्रित है ?
उत्तर – अजंता
6. अजंता की गुफा संख्या ’एक’ का निर्माण काल क्या है ?
उत्तर – छठवीं शताब्दी
7. अजंता में कितने प्रकार के रेखा शैली का प्रयोग किया गया है ?
उत्तर – 20
8. अजंता के चित्र निर्मित है ?
उत्तर – भित्ति पर
9. अजंता में कितने प्रकार की गुफाएँ हैं ?
उत्तर – दो प्रकार की
10. ’छदन्त जातक’ की कथा का वर्णन है ?
उत्तर – गुफा नंबर 10 में
11. ’अप्सरा’ नामक चित्र अजंता की किस गुफा संख्या में है ?
उत्तर – गुफा संख्या 17
12. ’बौद्धिसत्त्व पद्मपाणि’ का चित्र अजंता की किस गुफा में है ?
उत्तर – गुफा संख्या 1
13. अजंता की किस गुफा में ’मरणोन्मुखी राजकुमारी’ चित्रित है ?
उत्तर – गुफा संख्या 16
14. अजंता के चित्रों की चित्रण विधि क्या है ?
उत्तर – फ्रेस्को विधि
15. अजंता की गुफाएं किस राज्य में स्थित है ?
उत्तर – महाराष्ट्र
16. महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों की काल्पनिक कथाएं किससे संबंधित है ?
उत्तर – जातक कथाएं
17. अजंता के भित्ति चित्र किस धर्म से संबंधित है ?
उत्तर – बौद्ध धर्म
18. अजंता की चैत्य गुफा थी ?
उत्तर – पूजा-उपासना का स्थान
19. अजंता की गुफाओं की कुल कितनीे संख्या है ?
उत्तर – 30
20. अजंता का चित्र ’माता पुत्र’ किस गुफा संख्या में चित्रित है ?
उत्तर – 17 वीं
21. अजंता के भित्ति चित्र किस माध्यम या विधि से निर्मित किए गए हैं ?
उत्तर – मिश्रित विधि
22. ’महात्मा बुद्ध का गृहत्याग’ अजंता की किस गुफा संख्या में चित्रित है ?
उत्तर – 16 वीं
23. अजंता की किस गुफा में ’हंस जातक’ चित्रित है ?
उत्तर – गुफा संख्या 17
24. अजंता में कितनी जातक कथाएं चित्रित है ?
उत्तर – 547
25. अजंता भित्ति चित्रों की रचना किस राजवंश के शासनकाल में हुई ?
उत्तर – वाकाटक
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