आज के आर्टिकल में हम बाड़मेर जिले से नवसृजित बालोतरा जिला(Balotra) जिले के बारे में विस्तार से जानेंगे, इस जिले से जुडी हर नई जानकारी पढेंगे। बालोतरा जिले का क्षेत्रफल,भौगोलिक स्थिति,विधानसभा क्षेत्र। बालोतरा जिले का मानचित्र, बालोतरा जिले की सीमा, Balotra jila ka Naksha, Balotra jila Map, Balotra District tehsil list, Balotra jila number
बालोतरा जिले का नक्शा | Balotra District Map
बालोतरा जिला राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है यहां 17 मार्च 2023 को इसे जिला बनाने की घोषणा की गयी थी। वर्तमान में राजस्थान में कुल 50 जिले हो गए पहले राजस्थान में 33 जिले थे 19 नए जिले के निर्माण के बाद अब 50 जिले हो गए। बालोतरा को एक नया जिला घोषित कर दिया गया है इससे पूर्व या बाड़मेर जिले के अंतर्गत आता था।
बालोतरा जिले में सात तहसीलें आती है। बालोतरा राजस्थान का एक औद्योगिक क्षेत्र भी माना जाता है, क्योंकि यहां से देश भर में कपड़े की आपूर्ति होती है। बालोतरा के पचपदरा में एशिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी भी निर्माणाधीन है।
बालोतरा जिला भौगोलिक स्थिति:
जिला नाम | बालोतरा |
राज्य | राजस्थान |
संभाग | जोधपुर |
उपखंड | 4 |
तहसील | 7 |
क्षेत्रफल | 19,000 किमी² |
जनसंख्या (2011) | 970760 |
भाषा | राजस्थानी , हिंदी |
विधानसभा सीट | पंचपदरा, बायतु, सिवाणा (3) |
जलवायु | अर्द्धशुष्क जलवायु प्रदेश |
बालोतरा जिले की तहसीलें
क्रम संख्या | तहसील नाम |
1. | गिड़ा |
2. | बायतु |
3. | सिणधरी |
4. | पंचभदरा |
5. | सिवाना |
6. | कल्याणपुर |
7. | समदड़ी |
सीमावर्ती जिले (6)
- जोधपुर ग्रामीण
- पाली
- जालौर
- सांचौर
- बाड़मेर
- जैसलमेर
बालोतरा जिला विशेष :
- यह एक अन्तर्वर्ती जिला है।
- उपनाम – बाला की ढाणी, वस्त्र नगरी, पोपलिन नगरी।
- बालोतरा का प्राचीन नाम – खेड़ा
- लूनी नदी के किनारे ।
- नाकोड़ा बाँध – बालोतरा
- जलवायु – अर्धशुष्क
- कृषि जलवायु प्रदेश – IIB
- रंगाई और छपाई के लिए प्रसिद्ध।
- बजरंग पशु मेला – सिणधरी(बालोतरा)।
- मल्लिनाथ का मेला – तिलवाड़ा(बालोतरा)
- घोड़ों का तीर्थस्थल – मालाणी (बालोतरा)
- पंचपदरा झील – पंचपदरा, बालोतरा
- पार्श्वनाथ का मंदिर ,भेरव बाबा का मंदिर , मेवा नगर (नाकोड़ा)।
- ब्रह्मा मंदिर – आसोतरा (बालोतरा)
- संत पीपा जी का मंदिर (समदडी,बालोतरा)।
- बाँकीदास जन्म (भान्डियावास,पंचपदरा), इन्हें मारवाड़ का बीरबल भी कहा जाता है।
- पेट्रो रिफायनरी – पंचपदरा(बालोतरा)।
- अजरक प्रिंट – बालोतरा
- मलीर प्रिंट – बालोतरा
- प्रमुख फसलें – अनार, मुंग, मोठ, बाजरा
- बालोतरा से NH – 325 और NH – 25 गुजरता है
- वस्त्र नगरी बालोतरा
- सांभर रिफाइनरी पचपदरा
- नाकोड़ा जैन मन्दिर
- मल्लीनाथ पशु मेला
- राणी भटियानी मंदिर ,जसोल धाम
- ब्रह्मधाम आसोतरा
- नागणेची माता मंदिर, नागाणा
- राणी रूपा दे मल्लीनाथ मन्दिर
- खेमा बाबा मंदिर
- हल्देश्वर महादेव जी
- रणछोड़राय का मंदिर – खेड़, बालोतरा
- पीपलूद दुर्ग – बालोतरा
- सिवाणा दुर्ग – बालोतरा
- जब नाग पहाड़ (अजमेर) में भारी बारिश होती है, तो लूनी नदी के किनारे किस शहर के डूबने का खतरा रहता है – बालोतरा
विशेष : बालोतरा लूनी नदी के पेटे के तल के नीचे स्थित है, इसलिए लूणी नदी से बाढ़ आने की संभावना बनी रहती है
- मारवाड़ का लघु माउन्ट – पीपलूद
- छप्पन की पहाड़ियाँ – बालोतरा
- बालोतरा की मुख्य नदी – लूनी
- रेलवे अनुसंधान एवं परीक्षण केंद्र – पंचपदरा (बालोतरा)
- भांडेलाव तालाब – सिवाणा दुर्ग(बालोतरा)
- तिलवाड़ा सभ्यता – बालोतरा
- पश्चिमी राजस्थान का लघु माउन्ट – हल्देश्वर महादेव मंदिर पीपलूद, सिवाना (बालोतरा)
प्रमुख मंदिर
नाकोड़ा (मेवानगर) पार्श्वनाथ मंदिर, बालोतरा
यहाँ प्रमुख मंदिर में तेबीसवें जैन तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजित है। भगवान श्री पार्श्वनाथ तथा अधिष्ठायक देव भैरवजी की महिमा इतनी प्रसिद्ध है कि भक्तों द्वारा इन्हें ‘हाथ का हजूर’ एवं ‘जागती जोत’ कहा जाता है। एक किंवदंति के अनुसार यह प्रतिमा जिनदत्त नामक जैन श्रावक को सिणधरी गाँव के तालाब से प्राप्त हुई थी और आचार्य श्री उदयसागर जी के द्वारा इसकी प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी।
संवत् 1511 में आचार्य कीर्तिरतन सूरि द्वारा नाकोड़ा भैरव(पार्श्वनाथ मंदिर) की स्थापना की गई थी। इन मंदिरों केअतिरिक्त पास ही में रणछोड़जी, शिवजी व हनुमानजी के वैष्णव-शैव मंदिर हैं, जो जैनों और वैष्णवों-शैवों की धार्मिक एकता केप्रतीक हैं।
जसोल मंदिर(बालोतरा) –
यह माता भटियानी माता का मंदिर है। यहाँ इनकी निर्वाण स्थली है।
नाकोड़ा का मंदिर –
इसकी स्थापना कीर्तिरत्न सूरी ने की। इसे मेवानगर भी कहा जाता है। यह जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ को समर्पित है। नाकोड़ा मंदिर में समावरण मंदिर है ।
- रूपा दे का मंदिर – पालिया गाँव
- गोयनेश्वर महादेव मंदिर – डंडाली गाँव (बायतु)
ब्रह्मा मंदिर :
आसोतरा (बालोतरा), इसका निर्माण खेताराम जी द्वारा किया गया है । भारत का दूसरा ब्रह्मा मंदिर है । यह संगमरमर से बना हुआ है।
- नागेणीची माता मंदिर – नागाणा (बालोतरा)
- आंगी गैर – कनाना गाँव (बालोतरा)
खेड़ –
यह वैष्णव सम्प्रदाय का तीर्थ स्थल है । लूनी नदी के किनारे स्थित इस स्थान पर श्री रणछोड़ राय जी का मंदिर है । यह स्थल रेबारी जाति के लिए आस्था का केंद्र है ।
रूपा दे मंदिर
- पालिया गाँव (बालोतरा )
- यह लूनी नदी के किनारे।
- इन्हें बरसात की लोक देवी कहा जाता है।
प्रमुख मेले
श्री मल्लीनाथ पशु मेला –
- यह मेला तिलवाङा (बालोतरा) में स्थित है।
- यह मेला वि.सं. 1431 को प्रारंभ हुआ।
- यह मेला चैत्र कृष्ण 11 से चैत्र शुक्ल 11 (अप्रैल) को लगता है।
- यह पशु मेला थारपारकर नस्ल के लिए प्रसिद्ध है।
- राज्य का सबसे प्राचीनतम पशु मेला मल्लीनाथ पशु मैला है जो लूणी नदी के किनारे पर लगता है।
- राजस्थान सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा पहली बार वर्ष 1957 में राज्य स्तरीय दर्जा।
- इस मेले में ऊँट, घोङा और रथों के सुडौल बैलों की बिक्री होती है।
- इस पशु मेले में कांकरेज नस्ल के बैल, मलानी नस्ल के घोङे और ऊँटों की बिक्री जोर-शोर से की जाती है।
- श्री मल्लीनाथ पशु मेला वीर योद्धा रावल मल्लिनाथ की स्मृति में आयोजित किया जाता है।
- मल्लीनाथ पशु मेला देशी महीनों के अनुसार सबसे पहले आने वाला पशु मेला है।
- इस पशु मेले में सांचोर की नस्ल के बैलों के और मालानी नस्ल के घोङे और ऊँट की भी बिक्री होती है।
- विक्रम संवत् 1831 में मल्लीनाथ के गद्दी पर आसीन होने के शुभ अवसर पर एक विशाल समारोह का आयोजन किया गया था उस समय से यह मेला लगता है।
सिवाना/सिवाणा दुर्ग(जालौर दुर्ग की कुंजी)
यह गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है। इस दुर्ग को वीर नारायण पंवार द्वारा 946 ईस्वी में बनाया गया था। इस दुर्ग में अजीत सिंह का दरवाजा है। इस दुर्ग में दो शाके हुए है। यहाँ भांडेलाव तालाब स्थित है। यह किला बालोतरा में हल्देश्वरपहाड़ी पर स्थित है । इस दुर्ग को मारवाड़ की संकटकालीन राजधानी कहा जाता है।
बालोतरा में स्थित छप्पन का पहाड़ नामक पर्वतीय क्षेत्र में स्थित सिवाणा का दुर्ग इतिहास प्रसिद्ध है। इसे ‘अणखलों सिवाणों’ दुर्ग भी कहते हैं। यह सिवाना तहसील में स्थित है। यह एक ऊंची हल्देश्वर की पहाड़ी पर बसा हुआ है। इसका प्रारम्भिक नाम कुम्थान था। यह राजस्थान के दुर्गों में वर्तमान में सबसे पुराना दुर्ग है। इस पर कूमट नामक झाड़ी बहुतायत में मिलती थी जिससे इसे ‘कूमट दुर्ग’ भी कहते हैं। प्राचीन काल में इस तक पहुँचने का मार्ग अत्यंत दुर्गम था। अल्लाउद्दीन खिलजी के काल में यह दुर्ग जालौर के राजा कान्हड़दे के भतीजे सातलदेव के अधिकार में था।
जब अल्लाउद्दीन जालौर पर आक्रमण करने के लिये रवाना हुआ तो सातलदेव ने उसका मार्ग रोका और कहलवाया कि जालौर पर आक्रमण बाद में करना, पहले सिवाणा से निपट। इस पर विवश होकर अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाना का रुख किया। काफी परिश्रम एवं विपुल समय की बरबादी के बाद ही अलाउद्दीन खिलजी इस दुर्ग पर अधिकार कर पाया। राव मालदेव ने गिरि सुमेल युद्ध (1544 ई.) के बाद शेरशाह की सेना द्वारा पीछा किए जाने पर सिवाणा दुर्ग में आश्रय लिया था। चन्द्रसेन ने मुगलों (अकबर) से युद्ध भी सिवाणा को केन्द्र बनाकर किया।
जोधपुर के राठौड़ नरेशों के लिये भी यह दुर्ग विपत्ति काल में शरण स्थली के रूप में काम आता था। दुर्ग में कल्ला रायमलोत का थड़ा, महाराजा अजीतसिंह का दरवाजा, कोट, हलदेश्वर महादेव का मंदिर आदि दर्शनीय हैं। 1308 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाणा दुर्ग को जीतकर उसका नाम ‘खैराबाद’ रख दिया। इसमें दो शाके हुए- प्रथम साका 1308 ई. में सातलदेव व अलाउद्दीन के संघर्ष के दौरान एवं द्वितीय साका वीर कल्ला रायमलोत व अकबर के संघर्ष के दौरान हुआ।
नदी/ बाँध
पंचपदरा झील :
- बालोतरा जिले में स्थित है पचपदरा झील
- खारे पानी की झील
- निर्माण – पंचा भील
- खारवाल जाति – मोरेली झाड़ी का प्रयोग
- कोसिया विधि से नमक उत्पादित
- 98% सोडियम क्लोराइड (सर्वाधिक खाने के लिए उपयुक्त नमक)
FAQ – Balotra Jila
1. बालोतरा जिला जिले को मान्यता कब मिली?
उत्तर – 5 अगस्त 2023
2. बालोतरा जिले में कुल कितनी तहसील है?
उत्तर – सात (7 ) बालोतरा जिले में 4 उपखंड और 7 तहसील है।
- गिड़ा
- बायतु
- सिणधरी
- पंचभदरा
- सिवाना
- कल्याणपुर
- समदड़ी
3. बालोतरा से बाड़मेर की दुरी कितनी है ?
उत्तर – 98 किमी
4. बालोतरा जिले के जिला कलेक्टर कौन है?
उत्तर – बालोतरा जिले के जिला कलेक्टर राजेंद्र विजय( विशेषाधिकारी)है।
5. बालोतरा जिले का स्थापना दिवस कब मनाया गया?
उत्तर – 7 अगस्त ,2023
6. बालोतरा जिला कौन से संभाग में है?
उत्तर – नए जिलों में बालोतरा जोधपुर संभाग में आता है जोधपुर संभाग में जोधपुर, जोधपुर(ग्रामीण), फलौदी, जैसलमेर, बाड़मेर, बालोतरा जिले आते है। अभी हाल ही में राजस्थान में 3 नए संभाग बनें है।
7. बालोतरा जिले में कितने गांव आते हैं?
उत्तर – बालोतरा जिले में लगभग 1216 राजस्व गाँव शामिल किए गए है।
8. बालोतरा जिला किस जिले से अलग हुआ है?
उत्तर – बालोतरा जिला का निर्माण बाड़मेर जिले से हुआ है।
9. बालोतरा जिले में कितनी तहसील है?
उत्तर – सात (7 ) बालोतरा जिले में 4 उपखंड और 7 तहसील है।
- गिड़ा
- बायतु
- सिणधरी
- पंचभदरा
- सिवाना
- कल्याणपुर
- समदड़ी
10. बालोतरा जिले के साथ कौनसे जिले सीमा बनाते है?
उत्तर – बालोतरा जिले से 6 जिलों की सीमा लगती है –
- जोधपुर
- जैसलमेर
- बाड़मेर
- जालौर
- सांचौर
- पाली
11. राजस्थान का लघु माउंट आबू किसे कहते है?
उत्तर – पीपलूद (सिवाना ,बालोतरा) यहाँ हल्देश्वेर महादेव श्रवण सोमवार को मेला लगता है प्राकृतिक सोंदर्य के कारण इसे राजस्थान का लघु माउंट आबू कहते है
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