आज के आर्टिकल में हम राजस्थान किसान आन्दोलन के अंतर्गत बूंदी किसान आन्दोलन (Bundi Kisan Andolan) के बारे में जानकारी देंगे।
बूंदी किसान आन्दोलन – Bundi Kisan Andolan
पढ़ें वही जो, परीक्षा में छपे।
- शुरुआत : 1922 ई.
- बरड़ – बूंदी जिले के दक्षिण में बिजोलिया के पास का पथरीला भू-भाग।
- नेतृत्व – नयनू राम शर्मा
- बूंदी किसान आन्दोलन जागीरदारों / सामंतों के खिलाफ न होकर राज्य के प्रशासन के विरुद्ध था।
- गुर्जर जाति के किसान अधिक।
बूंदी किसान आंदोलन के कारण –
1. 25 प्रकार के कर
2. अधिक भू-राजस्व
3. बेगार
4. युद्ध कर
5. भ्रष्टाचार(अंग्रेज अधिकारीयों की गलत रिपोर्टिंग )
- अंजना देवी चौधरी ने किसानों से कंधे से कंधा मिलाकर इस आन्दोलन में भरपूर योगदान दिया
- डाबी किसान पंचायत – 1920 में साधु सीताराम दास ने गठन किया और हरलाल भड़क(अध्यक्ष)
- डाबी हत्याकांड – 2 अप्रेल, 1923 को पुलिस अधीक्षक इकराम हुसेन ने डाबी में हो रही किसान पंचायत पर गोलियां चलवा दी ।
- नानक जी भील और देवीलाल गुर्जर झंडा गीत गाते हुए शहीद हो गए।
- माणिक्यलाल वर्मा ने ‘अर्जी’ शीर्षक से नानक भील की याद में गीत गाए। भवरलाल स्वर्णकार ‘प्रज्ञाचक्षु’ ने भी ‘अर्जी’ नामक लोकगीत बनाया ।
- बूंदी राज्य ने एक जाँच आयोग भी बिठाया, लेकिन किसानों ने इसका बहिष्कार किया
- 19 मई,1923 को नयनू राम शर्मा को जेल में डाल दिया गया और और आन्दोलन धीमा पड़ गया और 1927 में आन्दोलन खत्म हो गया ।
- प्रमुख नेता : नारायण सिंह , रामनारायण चौधरी, हरिभाई किंकर, पंडित नयनू राम शर्मा
- प्रमुख पंचायतें – डाबी, बरुधान,निमाणा,गरदड़ा और बरड़।
- जून 2022 में रामनारायण चौधरी ने ‘ बूंदी राज्य में स्त्रियों पर अत्याचार‘ नामक पर्चा प्रकाशित किया।
- बूंदी में आन्दोलन का स्थानीय नेतृत्व स्वामी नित्यानंद ने किया।
निष्कर्ष : आज के आर्टिकल में हमने राजस्थान किसान आन्दोलन के अंतर्गत बूंदी किसान आन्दोलन (Bundi Kisan Andolan) के बारे में जानकारी दी , हम आशा करतें है कि आप हमारे द्वारा दी गयी जानकारी से खुश होंगे।