आज के आर्टिकल में हम चम्बल घाटी परियोजना(Chambal Ghati Pariyojana) के बारे में विस्तार से पढेंगे।
Chambal Ghati Pariyojana – चम्बल घाटी परियोजना
चम्बल घाटी परियोजना
चम्बल घाटी परियोजना 1953-54 में प्रारंभ हुई। चम्बल परियोजना राजस्थान की पहली परियोजना है। यह राजस्थान व मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना है। देश की प्रमुख सिंचाई और विद्युत परियोजनाओं में से एक है। इस योजना का उद्देश्य 5.6 लाख हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई करना, 386 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना, बाढ़ नियंत्रण, पेयजल, भूमि के कटाव को रोकना, मत्स्य पालन, मलेरिया नियंत्रण, वृक्षारोपण आदि है।
यह परियोजना राजस्थान एवं मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना है। इसमें राजस्थान का 50 प्रतिशत हिस्सा आता है तथा मध्यप्रदेश का भी 50 प्रतिशत हिस्सा आता है। राजस्थान एवं मध्यप्रदेश राज्यों के सहयोग से राज्य की सबसे बङी और नियतवाही चम्बल नदी पर यह बहुउद्देश्यीय परियोजना बाढ़ नियंत्रण, जल विद्युत उत्पादन, पेयजल, सिंचाई, भूमि के कटाव को रोकने, मत्स्य पालन, बाढ़ नियंत्रण, वृक्षारोपण आदि उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए 1953-1954 में प्रारम्भ की गई।
चम्बल नदी का बहाव क्षेत्र
⇒ चम्बल नदी मध्यप्रदेश में स्थित विंध्याचल पर्वत से महु के निकट से निकलती है। यह नदी अपने उद्गम स्थल से उत्तर की ओर बहती हुई उत्तरी-पश्चिमी मध्यप्रदेश व दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान में 965 किलोमीटर तक बहने के पश्चात् उत्तरप्रदेश में इटावा के निकट यमुना में मिल जाती है। चम्बल नदी के प्रवाह मार्ग में अधिक ढाल प्रवणता के कारण बांधों का निर्माण और जल-विद्युत शक्ति उत्पादन के लिए चम्बल नदी राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच 241 किलोमीटर की सीमा बनाती है। चम्बल नदी की कुल लंबाई 1051 किलोमीटर है। यह नदी मध्यप्रदेश में 320 किलोमीटर बहती है व राजस्थान में 322 किलोमीटर बहती है।
चम्बल नदी की सहायक नदियाँ – कालीसिन्ध, पार्वती, बनास व मेज है।
- यह नदी राजस्थान के छः जिलों में बहती है – चित्तौङगढ़, बूंदी, कोटा, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर आदि।
- चम्बल योजना का सूत्रपात सर्वप्रथम वर्ष 1943 में जल विद्युत के लिए कोटा के निकट एक बांध बनाये जाने के रूप में हुआ।
इस नदी पर राजस्थान में तीन बांध बने हुए है – राणा प्रताप सागर बांध, जवाहर सागर बांध तथा कोटा बैराज बांध तथा मध्यप्रदेश राज्य में एक बांध गांधी सागर बांध बना हुआ है।
चम्बल घाटी परियोजना के चरण – Chambal Ghati Pariyojana
चम्बल घाटी परियोजना का विकास तीन चरणों में हुआ है –
प्रथम चरण – इसमें गांधी सागर बांध, कोटा बैराज बांध पर जल विद्युत सम्प्रेषण लाइनें तथा सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण आदि कार्य वर्ष 1960 तक पूरे कर लिए गए।
द्वितीय चरण – इसमें राणा प्रताप सागर बांध और जल विद्युत गृह का निर्माण पूरा किया गया।
तृतीय चरण – इसमें जवाहर सागर अथवा कोटा बांध तथा इस पर एक जल विद्युत गृह का निर्माण किया गया।
चम्बल नदी पर बने चार बांध
(1) गांधी सागर बांध
गांधी सागर बांध का निर्माण सन् 1953 में प्रारम्भ किया गया तथा नवम्बर 1960 में पूर्ण हुआ। मध्यप्रदेश के मन्दसौर जिले में रामपुरा-भानपुरा पठारों के बीच कोटा से लगभग 90 किमी. दक्षिण में राजस्थान एवं मध्यप्रदेश की सीमा के पास चम्बल नदी की गहरी तंग घाटी में गांधी सागर बांध और जलविद्युत गृह का निर्माण किया गया है। इस बांध की लंबाई 510 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर तथा ऊँचाई 64 मीटर है। इस बांध का क्षेत्रफल 580 वर्ग किमी. है।
इसका जलविद्युत गृह 93 मीटर लम्बा है। बांध से निर्मित जलाशय की जलराशि की क्षमता 77, 460 लाख हैक्टेयर मीटर जल एकत्रित करने की है। यह प्रमुखतः विद्युत उत्पादक जलाशय है। इस पर 28,000 किलोवाट शक्ति के कुल पांच जेनेरेटर है। इस पर 23-23 मेगावाट विद्युत उत्पादन वाले 4 जेनरेटर व 27 मेगावाट का एक जेनरेटर लगाया गया है। जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 115 मेगावाट है।
बांध के दोनों ओर से दो नहरों का निर्माण भी किया गया है। बायीं ओर की नहर बूंदी तक जाकर अरावली पर्वत श्रेणियों के साथ-साथ बहती हुई मेजा नदी में मिलती है एवं दायीं ओर की नहर राजस्थान में लगभग 130 किमी. बहती हुई पार्वती नदी को पार करके मध्यप्रदेश में प्रवेश करती है। इन नहरों की कुल लम्बाई में से 261 किमी. राजस्थान में एवं 641 किमी. मध्यप्रदेश में है। यह नहरें 4.44 लाख हैक्टेयर भूमि को सिंचित करती है, जिसमें दोनों राज्यों का हिस्सा बराबर है।
(2) कोटा बैराज
कोटा बैराज का निर्माण सितम्बर 1953 में बनाना प्रारम्भ किया तथा नवम्बर 1970 में पूर्ण किया गया। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 20 नवम्बर 1960 को इस बांध को लोकार्पित किया। रावतभाटा के पास चम्बल नदी पर बने कोटा बैराज की लम्बाई 552 फीट एवं धरातल से ऊँचाई 36 मीटर है। यह चम्बल के जलप्रपातों की शृंखला का अन्तिम पङाव है। इसकी जलग्रहण क्षमता 76,460 लाख घन मी. है।
इस बांध से दो नहरें निकाली गयी हैं। दायीं ओर की नहर 120 किमी. राज्य में और 305 किमी. मध्यप्रदेश में बहती है। यह रास्ते में कालीसिन्ध, परवान व पार्वती नदियों को पार करती है। यह मध्यप्रदेश की 1.70 लाख हैक्टेयर भूमि की सिंचाई करती है।
बायीं ओर की नहर एवं उपशाखाओं की लम्बाई 182 किमी. है, जो सम्पूर्ण राजस्थान में ही स्थित है। इससे राज्य की 1.80 लाख हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है। मुख्य नहर कोटा बैराज के दायीं ओर से निकलती है। दोनों नहरों के पानी के प्रयोग के लिए 2,350 किमी. लम्बी छोटी वितरक नहरें बनाई गई हैं, जिनसे राजस्थान व मध्यप्रदेश की 5.60 लाख हैक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधाएँ मिल रही हैं।
इस बांध से जल निकासी के लिये 40-40 फीट आकार के 19 दरवाजे बनाये गये है, इनसे 7 लाख 50 हजार क्यूसेक पानी एक साथ निकाला जा सकता है।
विद्युत उत्पादन के लिये 43 मेगावाट क्षमता की चार इकाईयाँ लगाई गई है। इनमें स्थापित प्रत्येक टरबाईन की क्षमता 52 मेगावाट है।
(3) राणाप्रताप सागर बांध
योजना के द्वितीय चरण में राणाप्रताप सागर बाँध एवं विद्युत गृह का निर्माण किया गया था। इस बांध का निर्माण 1970 में शुरू किया गया। राज्य में चित्तौङगढ़ जिले के रावतभाटा स्थान पर 1100 मी. लम्बे, 36 मी. ऊँचे और 23.5 लाख एकङ फुट भराव क्षमता वाले इस बांध का निर्माण किया गया है, जिससे 1.2 लाख हैक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा रही है। यह चंबल नदी पर बना राजस्थान का सबसे बङा बांध है। इस बांध की विद्युत क्षमता 172 मेगावाट है।
इस बांध पर एक विद्युत गृह भी बनाया गया है जिसमें 43-43 हजार किलोवाट विद्युत क्षमता की चार विद्युत इकाइयाँ कार्यरत हैं जिनकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 172 हजार किलोवाट है।
(4) कोटा बांध अथवा जवाहर सागर बांध
जवाहर सागर बांध का निर्माण योजना के तृतीय चरण में किया गया। इस बांध का निर्माण सितम्बर 1962 में बनाना प्रारंभ हुआ एवं वर्ष 1973 में इसका निर्माण-कार्य पूरा हुआ था। यह बांध राणाप्रताप सागर बांध से लगभग 33 किमी. दूर बोरावास ग्राम के समीप बनाया गया है। यह केवल एक पिकअप-बांध है। यह बांध 335 मी. लम्बा और 25 मी. ऊँचा है। इसकी जलधारण क्षमता 18,000 हैक्टेयर मीटर है।
इस बांध के नीचे की ओर एक विद्युत गृह भी बनाया गया है, जिसमें 33-33 हजार किलोवाट क्षमता की तीन विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी हैं। इनकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 99 हजार किलोवाट है। जवाहर सागर से दो सिंचाई की नहरें निकाली गई है।
3. जलोत्थान सिंचाई योजनाएँ – चम्बल नदी के बहाव क्षेत्र में न आने वाले क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु चम्बल नदी की दायीं मुख्य नहर पर निम्न 8 लिफ्ट योजनाएँ बनाई गई हैं-
(1) जालीपुरा लिफ्ट स्कीम (कोटा)
(2) दीगोद लिफ्ट स्कीम (कोटा)
(3) अंता लिफ्ट माइनर (चक्षानाबाद-बारां)
(4) पचेल लिफ्ट स्कीम (बारां)
(5) गणेशगंज लिफ्ट स्कीम (बारां)
(6) सोरखंड लिफ्ट स्कीम (बारां)
(7) कचारी लिफ्ट स्कीम (बारां)
इन लिफ्ट योजनाओं से कोटा व बारां जिले के 15633 हैक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है।
चम्बल परियोजना से कोटा व बूँदी जिले में 5.6 लाख हैक्टेयर भूमि में सिंचाई हो रही है। इस परियोजना से 386 लाख किलोवाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है। बाढ़ नियंत्रण, मृदा अपरदन, चम्बल के बीहङों का विकास इसी परियोजना से संभव हुआ।
इस परियोजना से प्राप्त विद्युत शक्ति से औद्योगिक विकास को शक्ति मिलती है। कोटा राजस्थान का प्रथम श्रेणी का औद्योगिक नगर बन गया है। चम्बल शेष सिंचित क्षेत्र में नवीन कृषि तकनीक के कारण फसल-प्रारूप में परिवर्तन होने लगा है।
चम्बल नदी परियोजना से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न – Chambal Ghati Pariyojana
प्र. 1 चम्बल घाटी परियोजना कब प्रारंभ हुई।
उत्तर – 1953-54
प्र. 2 चम्बल नदी परियोजना किन दो राज्यों की संयुक्त परियोजना है ?
उत्तर – राजस्थान एवं मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना
प्र. 3 चम्बल परियोजना का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर – चम्बल परियोजना का उद्देश्य 5.6 लाख हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई करना, 386 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना, बाढ़ नियंत्रण, पेयजल, भूमि के कटाव को रोकना, मत्स्य पालन, मलेरिया नियंत्रण, वृक्षारोपण आदि है।
प्र. 4 चम्बल नदी का उद्गम कहाँ से हुआ है ?
उत्तर – चम्बल नदी मध्यप्रदेश में स्थित विंध्याचल पर्वत से महु के निकट से निकलती है।
प्र. 5 चंबल नदी का बहाव क्षेत्र कहाँ है ?
उत्तर – राजस्थान एवं मध्यप्रदेश राज्यों में
प्र. 6 चम्बल नदी किन जिलों में से होकर गुजरती है ?
उत्तर – चम्बल नदी राजस्थान के छः जिलों में से होकर बहती है – चित्तौङगढ़, बूंदी, कोटा, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर आदि।
प्र. 7 राजस्थान में चम्बल नदी कहाँ से प्रवेश करती है ?
उत्तर – चम्बल नदी राजस्थान के चित्तौङगढ़ जिले के चैरासीगढ़ से प्रवेश करती है।
प्र. 8 चम्बल नदी पर कितने बांध बने हुए है ?
उत्तर – चम्बल नदी पर चार बांध बने हुए है – गांधी सागर बांध, राणा प्रताप सागर बांध, कोटा बैराज बांध तथा जवाहर सागर बांध।
प्र. 9 चम्बल नदी की कुल लम्बाई कितनी है ?
उत्तर – चम्बल नदी की कुल लम्बाई 1051 किलोमीटर है।
प्र. 10 गांधी सागर बांध का निर्माण कब प्रारम्भ हुआ ?
उत्तर – गांधी सागर बांध का निर्माण सन् 1953 में प्रारम्भ किया गया।
प्र. 11 गांधी सागर बांध कहाँ है ?
उत्तर – मध्यप्रदेश के मन्दसौर जिले में रामपुरा-भानपुरा पठारों के बीच कोटा से लगभग 90 किमी. दक्षिण में राजस्थान एवं मध्यप्रदेश की सीमा के पास है।
प्र. 12 गांधी सागर बांँध की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता कितनी है ?
उत्तर – गांधी सागर बांध की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 115 मेगावाट है।
प्र. 13 कोटा बैराज का निर्माण कब प्रारम्भ किया गया ?
उत्तर – सितम्बर 1953
प्र. 14 कोटा बैराज बांध कहाँ है ?
उत्तर – कोटा बैराज बांध राणाप्रताप सागर बांध से लगभग 33 किमी. दूर बोरावास ग्राम के समीप बनाया गया है।
प्र. 15 राणा प्रताप सागर बांध कहां है ?
उत्तर – राजस्थान में चित्तौङगढ़ जिले के रावतभाटा स्थान पर।
प्र. 16 जवाहर सागर बांध कहां बनाया गया है ?
उत्तर – जवाहर सागर बांध राणाप्रताप सागर बांध से लगभग 33 किमी. दूर बोरावास ग्राम के समीप बनाया गया है।
प्र. 17 चम्बल नदी की दायीं मुख्य नहर पर कितनी लिफ्टें नहर बनाई गई है ?
उत्तर – 8 लिफ्ट नहरें