दोस्तो आज के आर्टिकल में हम कंप्यूटर के बारे में जानकारी (Computer Ki Jankari) प्राप्त करेंगे ,कंप्यूटर की विशेषताएँ (Characteristics of Computer),इसके अलावा कंप्यूटर के बारे में बेसिक जानकारी प्राप्त करेंगे ।
कंप्यूटर क्या है – Computer Basic Knowledge in Hindi
दोस्तों आज के समय में कम्प्यूटर(Computer) हमारी जिंदगी की जरुरत बन चुका है। घर से लेकर स्कूल,ऑफिस तक हर जगह इसका इस्तेमाल प्रतिदिन किया जाता है। हर ऑफिस में कम्प्यूटर का उपयोग खूब किया जा रहा है।
आज ऑनलाइन एग्जाम भी कंप्यूटर सर्वर पर करवाएं जा रहें है।ऑनलाइन मार्केटिंग हो या कोई ऑफिस का वर्क हो कंप्यूटर की उपयोगिता बहुत बढ़ गयी है।
Computer एक अंग्रेजी भाषा का शब्द है। Computer का हिंदी में अर्थ (Computer Meaning in Hindi) “गणना” होता है। वास्तव में कम्प्यूटर एक गणक यंत्र (Calculator) है। कंप्यूटर सैकडों प्रोसेस एक सेकंड से भी कम समय में कर सकता है।
कंप्यूटर की विशेषताएँ – Characteristics of Computer
(1) उच्च भण्डारण क्षमता – किसी भी डेटा को किसी भी रूप व मात्रा में कम्प्यूटर में स्टोर करके रख सकते हैं। कम्प्यूटर की भण्डारण क्षमता काफी अधिक होती है। इसमें डेटा को लम्बे समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है और उन्हें आवश्यकतानुसार पुनः प्राप्त भी किया जा सकता है।
(2) कार्य करने की गति – कम्प्यूटर के कार्य करने की गति बहुत तेज होती है। जिस कार्य को एक व्यक्ति कई घंटों, महीनों, तथा वर्षों में पूरा करता है, उसे कम्प्यूटर कुछ ही क्षणों में पूरा कर सकता है। कम्प्यूटर के कार्य करने की गति को सामान्य समय के अनुसार नहीं मापा जा सकता। इसे माइक्रो सैकेण्ड (106), नैनो सैकेण्ड (109) तथा पिको सैकण्ड (1012) में मापा जाता है।
(3) स्वचालित – कम्प्यूटर एक स्वचालित मशीन है, जो यूजर द्वारा दिए गए निर्देशों को बिना किसी मानवीय बाधा के सम्पन्न कर सकता है।
(4) विविधता – कम्प्यूटर का प्रयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है जैसे विभिन्न प्रकार के दस्तावेज तैयार करने, उन्हें प्रिन्ट करने, शारीरिक जाँच करने, मौसम की जानकारी प्राप्त करने, प्रजेन्टेशन देने, मनोरंजन आदि। कम्प्यूटर की इन्हीं विशेषताओं के कारण इसमें एक से अधिक कार्य किए जा सकते हैं।
(5) इन्टिग्रिटि और पुनरावृति क्षमता – कम्प्यूटर कार्य को ईमानदारी के साथ पूर्ण रूप से सम्पन्न करता है। इसमें कार्य को दोहराने की क्षमता होती है।
(6) शुद्धता – यदि कम्प्यूटर में निवेश किए गए डेटा पूर्णरूप से सही हैं, तो कम्प्यूटर शत-प्रतिशत सही परिणाम देने की क्षमता रखता है। इसलिए लोगों की कम्प्यूटर के प्रति यह भावना है कि कम्प्यूटर द्वारा की गई गणना में त्रुटि की सम्भावना शून्य के बराबर होती है।
- कम्प्यूटर हार्डवेयर एवं साॅफ्टवेयर से मिलकर बना होता है।
हार्डवेयर (Hardware) क्या होते है ?
- कम्प्यूटर के भौतिक भागों को हार्डवेयर कहा जाता है। हार्डवेयर को भौतिक रूप से स्पर्श किया जा सकता है। अर्थात् कम्प्यूटर के वे सभी भाग जिन्हें हम देख और छू सकते हैं हार्डवेयर (Hardware) कहलाते हैं।
जैसे – इनपुट डिवाइस, आउटपुट डिवाइस, प्रोसेसिंग डिवाइस, मेमोरी डिवाइस आदि।
- की-बोर्ड, माउस, प्रिंटर, माॅनिटर आदि हार्डवेयर डिवाइस के उदाहरण हैं।
- सी.पी.यू. भी एक हार्डवेयर डिवाइस होता है, जिसके द्वारा डाटा को प्रोसेस किया जाता है।
साॅफ्टवेयर क्या होते है – Software kise Kahte Hain?
- हार्डवेयर डिवाइस को ऑपरेट करने के लिए निर्देशों के एक सेट की आवश्यकता होती है जिसे प्रोग्राम कहा जाता है। अनेक प्रोग्रामों को मिलाकर साॅफ्टवेयर का निर्माण किया जाता है अर्थात् निर्देशों के समूह को प्रोग्राम कहा जाता है और प्रोग्रामों के समूह को साॅफ्टवेयर कहा जाता है।
- कम्प्यूटर प्रोग्राम को लिखने व परीक्षण करने वाला व्यक्ति प्रोग्रामर कहलाता है।
- साॅफ्टवेयर अमूर्त होते हैं। अर्थात् साॅफ्टवेयर को भौतिक रूप से स्पर्श नहीं किया जा सकता है अर्थात इसे छु नही सकते ।
- हार्डवेयर एवं साॅफ्टवेयर एक दूसरे के पूरक होते हैं।
- बिना साॅफ्टवेयर के कम्प्यूटर का कोई भी हार्डवेयर डिवाइस कार्य नहीं करता है। अर्थात् साॅफ्टवेयर के द्वारा ही कम्प्यूटर के हार्डवेयर डिवाइस को क्रियान्वित किया जाता है।
- हार्डवेयर एवं साॅफ्टवेयर के बीच संचार स्थापित करने की प्रक्रिया को इंटरफेस कहा जाता है।
- साॅफ्टवेयर का प्राथमिक उद्देश्य डाटा को सूचना में परिवर्तित करना होता है।
- सभी साॅफ्टवेयर डिजीटल एवं इलेक्ट्रोनिक रूप में होते हैं।
- साॅफ्टवेयर को देख व सुन सकते हैं लेकिन भौतिक रूप से छू नहीं सकते हैं।
- हार्डवेयर डिवाइस से कब एवं किस प्रकार कार्य करवाना है इससे सम्बन्धित निर्देश साॅफ्टवेयर के माध्यम से ही दिए जाते हैं।
- किसी निश्चित कार्य या उद्देश्य के लिए आवश्यक हार्डवेयर और साॅफ्टवेयर को ट्रंकी साॅफ्टवेयर कहा जाता है।
- ऐसे साॅफ्टवेयर जो निःशुल्क उपलब्ध होते हैं एवं आवश्यकता होने पर इंटरनेट से बिना किसी लागत के डाउनलोड किया जा सकता है, उन्हें फ्री-वेयर साॅफ्टवेयर कहा जाता है।
- ⇒ ऐसे साॅफ्टवेयर जिनका साॅफ्टवेयर के साथ-साथ उनका सोर्स कोड भी निःशुल्क उपलब्ध होता है उसे ओपन सोर्स साॅफ्टवेयर कहा जाता है। ओपन सोर्स साॅफ्टवेयर में यूजर द्वारा साॅफ्टवेयर के सोर्स कोड में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन कर साॅफ्टवेयर को नया रूप दिया जा सकता है।
- ऐसे साॅफ्टवेयर जो निश्चित समयावधि के लिए निःशुल्क उपलब्ध होते हैं लेकिन निश्चित समयावधि खत्म होने के बाद उन साॅफ्टवेयर का भुगतान करके ही प्रयोग किया जा सकता है। उन्हें शेयरवेयर साॅफ्टवेयर कहा जाता है।
Types of Software in Hindi – Computer Ki Jankari
साॅफ्टवेयर तीन प्रकार के होते हैं-
- सिस्टम साॅफ्टवेयर (System Software)
- अनुप्रयोग (एप्लीकेशन) साॅफ्टवेयर (Application Software)
- यूटिलिटी साॅफ्टवेयर(Utility Software)
सिस्टम साॅफ्टवेयर (System Software)
- सिस्टम साॅफ्टवेयर प्रोग्रामों का ऐसा समूह है जो कम्प्यूटर सिस्टम को कार्य करने योग्य बनाता है, तथा कम्प्यूटर सिस्टम के मूलभूत कार्य सम्पन्न करता है।
- ⇒सिस्टम साॅफ्टवेयर को अन्य साॅफ्टवेयर का आधार कहा जाता है। क्योंकि एप्लीकेशन साॅफ्टवेयर को कार्य करने का वातावरण सिस्टम साॅफ्टवेयर ही उपलब्ध करवाता है।
- सिस्टम साॅफ्टवेयर के माध्यम से ही कम्प्यूटर में अन्य साॅफ्टवेयर को बनाया एवं चलाया जाता है।
- ⇒सिस्टम साॅफ्टवेयर को कम्प्यूटर सिस्टम के लिए एक आवश्यक साॅफ्टवेयर कहा जाता है क्योंकि यह साॅफ्टवेयर कम्प्यूटर सिस्टम का इस प्रकार संचालन करता है कि उस पर एप्लीकेशन साॅफ्टवेयर चल सके।
सिस्टम साॅफ्टवेयर के उदाहरण/प्रकार
- ऑपरेटिंग सिस्टम
- डिवाइस ड्राइव
- कम्प्यूटर भाषाएँ
- भाषा अनुवादक
- Operating System का संक्षिप्त रूप OS है।
- यह प्रोग्रामो का ऐसा समूह है, जो कम्प्यूटर के संसाधनों जैसे- कम्प्यूटर को स्टार्ट करना, प्रोग्रामों को मैनेज करना, इनपुट-आउटपुट मैनेजमेंट, मेमोरी मैनेजमेंट, डिवाइस मैनेजमेंट आदि को मैनेज करने हेतु बनाया गया है।
- ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के द्वारा ही कम्प्यूटर सिस्टम के समस्त कार्यों का संचालन एवं नियंत्रण किया जाता है।
- ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) एक आवश्यक व मूलभूत साॅफ्टवेयर है।
- यूजर तथा कम्प्यूटर के मध्य संपर्क कराने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) करता है। तथा इनके मध्य क्रियाओं का संचालन ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के द्वारा किया जाता है।
- यूजर की समस्त सूचनाओं को कम्प्यूटर तक पहुँचाने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) करता है।
- ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) यूजर, हार्डवेयर तथा एप्लीकेशन साॅफ्टवेयर के मध्य कङी/ब्रिज/पुल/सेतु के रूप में कार्य करता है।
- ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) यूजर के दिए निर्देश/डाटा को मशीनी भाषा में बदलता है एवं प्रोसेस के पश्चात् परिणाम को पुनः यूजर के समझने योग्य भाषा में बदलता है।
- कम्प्यूटर सिस्टम में किसी भी कार्य को करने से पहले कम्प्यूटर सिस्टम की मेमोरी में ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) का होना अत्यंत आवश्यक है।
- ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) द्वारा यह नियंत्रण एवं प्रबंधन किया जाता है कि कम्प्यूटर सिस्टम के उपकरणों से किस प्रकार कार्य करवाना है।
- यह एप्लीकेशन साॅफ्टवेयर के लिए प्लेटफाॅर्म उपलब्ध करवाता है।
सिस्टम साॅफ्टवेयर – System Software in Hindi
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के प्रकार
- कार्य के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम
- यूजर इंटरफेस के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम
- यूजर उपयोग के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम
कार्य के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के प्रकार
- Batch Processing Operating System
- Multitasking Operating System
- Multi Processing Operating System
- Multi Programming Operating System
- Time Sharing Operating System
- Real Time Operating System
- Distributed Operating System
बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Batch Processing Operating System)
- इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में एक समान कार्य को बैच या ग्रुप के रूप में पूरा किया जाता है।
- यह ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) एक समय में एक ही कार्य करता है।
- इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में यूजर को अपने दूसरे कार्य के लिए तब तक इंतजार करना पङता है जब तक यूजर द्वारा दिया गया पहला कार्य पूरा नहीं हो।
- इसमें यूजर के द्वारा कोई एक जाॅब अर्थात् कार्य देने के बाद यूजर का कोई इंटरेक्शन नहीं होता है।
- किसी Job की Processing Fail हो जाने पर Batch की बाकी जाॅब को अज्ञात समय तक प्रतीक्षा करनी होती है।
मल्टीटाॅस्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multitasking Operating System)
- इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में एक साथ एक से अधिक कार्य पूरे किए जाते हैं।
- मल्टीटास्किंग के अंतर्गत एक से अधिक कार्य एक ही सी.पी.यू. के द्वारा एक साथ पूरे किए जाते हैं।
- इसमें प्रोसेसर इतना शक्तिशाली होता है कि वह सभी कार्यों को एक साथ संभाल लेता है, तथा किसी कार्य को निश्चित समय में पूरा करता है उसके बाद प्रोसेसर मुख्य मेमोरी में किसी दूसरे प्रोसेस को निष्पादित करने लग जाता है।
- ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में प्रत्येक यूजर के बीच संसाधनों को शेयर करने के लिए कुछ समय दिया जाता है, उसे टाइम स्लाइस या क्वांटम टाइम कहा जाता है।
- मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) को टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) भी कहा जाता है।
मल्टी प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi Processing Operating System)
- इसमें एक साथ दो या दो से अधिक प्रोसेसर कार्य करते हैं। अर्थात् मल्टीप्रोसेसिंग में कम्प्यूटर सिस्टम के कार्य या निर्देश एक ही समय में एक से अधिक प्रोसेसर के द्वारा किये जाते हैं।
- एक ही प्रोग्राम से प्राप्त हुए विभिन्न निर्देशों का Execution प्रोसेसर द्वारा एक के बाद एक किया जाता है।
मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi Programming Operating System)
- इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) वाले कम्प्यूटर सिस्टम की मेमोरी में दो या दो से अधिक प्रोग्राम चलाए जाते हैं।
- कुछ मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में केवल निश्चित कार्य ही Execute किये जाते हैं जिन्हें Multi Programming With Fix Task कहा जाता है तथा यदि कार्यों की संख्या अनिश्चित होती है उसे Multi programming with Variable Task कहा जाता है।
टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Time Sharing Operating System)
- इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में प्रत्येक यूजर के लिए एक क्रम में CPU समय की एक समान मात्रा अलोकेट करता है।
- इसमें यूजर को एक ही संसाधन का साझा उपयोग करना होता है।
रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (Real Time Operating System)
- इस ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में सी.पी.यू. का रेस्पांस टाइम बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है।
- इस प्रकार के O.S. रियल टाइम अर्थात् वास्तविक समय पर कार्य करते हैं।
- इसमें इनपुट को प्रोसेस करने और रेस्पांस देने मेें लगने वाला समय बहुत कम होता है, इस समय अंतराल को प्रतिक्रिया समय कहा जाता है।
- रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) का उपयोग तब किया जाता है, जब समय की महत्ता बहुत अधिक हो। जैसे- मिसाइल सिस्टम जहाँ एक निश्चित समय में मिसाइल को लाॅन्च करना ही होता है।
- रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) दो प्रकार का होता है-
(1) हार्ड रियल टाइम ओ.एस. (2) साॅफ्ट रियल टाइम ओ. एस. - हार्ड रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) – यह उन एप्लीकेशन में उपयोग किये जाते हैं, जहाँ समय की बहुत सख्ती हो या प्रतिक्रिया देने में थोङी भी देरी स्वीकार्य नहीं है। इन्हें ज्यादातर क्रिटीकल ऑपरेशन के लिए उपयोग किया जाता है।
- साॅफ्ट रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) – यह हार्ड रियल टाइम के मुकाबले कम प्रतिबंधक होते हैं, प्रतिक्रिया समय में थोङी देरी स्वीकार की जा सकती है।
डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम (Distributed Operating System)
- इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में किसी कार्य को भौतिक रूप से अलग-अलग स्थानों पर स्थित कम्प्यूटरर्स के मध्य बाँटा जाता है।
- Computers, Network, interconnect, task sharing, distributed system
- Operating system, Real-time application, Multiple user, Service Provide, Central processors
यूजर इंटरफेस के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
- CUI-Character User Interface/Command Line User Interface
- GUI- Graphical User Interface
(CUI-Character User Interface/Command Line User Interface)
- इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में सभी कार्य व निर्देश Character/Command के रूप में दिए जाते हैं। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में कार्य करने के लिए यूजर का तकनीकी रूप से दक्ष होना आवश्यक है। CUI OS में किसी प्रोग्राम में कार्य करते समय उस प्रोग्राम से सम्बन्धित कमाण्ड व निर्देश याद रखने पङते हैं।
- उदाहरण – MSDOS – Microsoft Disk Operating System
GUI- Graphical User Interface
- इस प्रकार के ऑपरेटिंग में समस्त कार्य एवं निर्देश ग्राफिकल अथवा चित्रात्मक रूप में पूरे किए जाते हैं जिन्हें प्रयोक्ता आसानी से उपयोग में ले सकता है, इसलिए GUI OS यूजर फ्रैण्डली होते हैं।
- उदाहरण – Windows 7, Windows 8, Windows 8.1, Windows 10, Windows Vista etc.
यूजर उपयोग के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के प्रकार
- Single User – इसमें एक समय में एक ही यूजर कार्य कर सकता है। उदाहरण- MSDOS
- Multi User – इसमें एक से अधिक टर्मिनल बनाकर एक साथ एक से अधिक यूजर कार्य कर सकते हैं। उदाहरण- Linux, Unix, Windows (All Version), Mac Os, Ubuntu etc.
Functions of Operating Sysem/ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के कार्य
- यूजर इंटरफेस (User Interface) – Computer एवं User के मध्य संपर्क स्थापित करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) दो प्रकार के इंटरफेस (संपर्क) उपलब्ध करवाता है।
- CUI – Character User Interface/Command Line User Interface
- GUI – Graphical User Interface
- फाइल मैनेजमेंट (File Management) – किसी फाईल को किस नाम से एवं मेमोरी की कौनसी डायरेक्ट्री में स्टोर करना है।
- मेमोरी मैनजमेंट (Memory Management) – कम्प्यूटर में किसी डाटा को मेमोरी में कहाँ स्टोर करना है तथा आवश्यकता होने पर डाटा को मेमोरी में किस स्थान से पढ़ना है।
- प्रोसेस मैनेजमेंट (Process Management) – इसके अंतर्गत यह निर्धारित किया जाता है कि किसी प्रोग्रोम के द्वारा कार्य करने के लिए प्रोसेसर को कितना समय देना है एवं कार्य को कैसे करना है।
- इनपुट/आउटपुट मैनेजमेंट (Input/Output Device Management) – इसके अंतर्गत इनपुट एवं आउटपुट डिवाइस तथा उसने सम्बन्धित कार्य को मैनेज किया जाता है।
Operating System के उदाहरण
1. MSDOS- Microsoft Disk Operating System
- यह एक सिंगल यूजर एवं Character/command Line User Interface आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) है।
- ⇒ यह माइक्रोसाॅफ्ट तथा आई.बी. एम कम्पनी द्वारा अगस्त 1981 ई . में बनाया गया।
- यह पर्सनल कम्प्यूटर में स्थापित माइक्रोसाॅफ्ट का प्रथम ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) है।
2. Linux Operating System
- यह एक ओपन सोर्स साॅफ्टवेयर है, लिनक्स का विकास लिनस टोरवाल्ड्स ने किया, इसका पहला संस्करण 1991 में आया।
- लिनक्स का विकास युनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) से ही हुआ। यह एक मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) है।
Types of Linux Operating System in Hindi
Linux Operating System के तीन मुख्य भाग होते हैं :
- कर्नेल
- सिस्टम लाइब्रेरी
- सिस्टम यूटिलिटी
3. UNIX Operating System
- इसका विकास 1969 में Ken Thompson & Dennis Ritchie एवं AT& T Bell प्रयोगशाला के कर्मचारियों के द्वारा किया गया।
- यह सर्वप्रथम असेम्बली भाषा में लिखा गया। लेकिन 1973 में दुबारा ’सी’ प्रोग्रामिंग भाषा में लिखा गया।
- यूनिक्स एक प्रकार का Open Source Software है।
- MAC (Macintosh) Operating System
- मैकिन्टोश ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) एप्पल कम्पनी के द्वारा 1984 में बनाया गया।
5. Microsoft Windows Operating System
- यह एक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस पर आधारित मल्टीयूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) है जिसका विकास माइक्रोसाॅफ्ट कंपनी ने किया।
- माइक्रोसाॅफ्ट विण्डोज का पहला वर्जन 1985 में Windows 1.0 नामक रिलीज हुआ।
Windows Operating System All Versions | |
Name | Release Year |
Windows 1.0 | 1985 |
Windows 2.0 | 1987 |
Windows 2.03 | 1988 |
Windows 3.0 | 1990 |
Windows 3.1 | 1992 |
Windows NT | 1993 |
Windows 95 | 1995 |
Windows 98 | 1998 |
Windows 98 Second Edition | 1999 |
Windows 2000 | 2000 |
Windows ME | 2000 |
Windows XP | 2001 |
Windows XP Media Centre | 2002 |
Windows XP Server 2003 | 2003 |
Windows XP Server 2003 R2 | 2005 |
Windows Vista | 2007 |
Windows 7 | 2009 |
Windows 8 | 2012 |
Windows 8.1 | 2013 |
Windows 10 | 2015 |
विण्डोज ऑपरेटिंग सिस्टम (Windows Operating System) के टूल्स
- डेस्कटाॅप – कम्प्यूटर सिस्टम ऑन होने के बाद माॅनिटर पर सबसे पहले जो स्क्रीन प्रदर्शित होती है उसे डेस्कटाॅप कहा जाता है।
- डेस्कटाॅप वाॅलपेपर, आइकन व टास्कबार से मिलकर बना होता है।
- वाॅलपेपर – डेस्कटाॅप स्क्रीन के बैकग्राउण्ड में जो पिक्चर प्रदर्शित होती है उसे वाॅलपेपर कहा जाता है।
- आइकन – डेस्कटाॅप स्क्रीन पर अनेक छोटे-छोटे चित्र होते हैं जिन्हें आइकन कहा जाता है। अर्थात् विण्डोज के एलिमेन्ट को आइकन कहा जाता है। विण्डोज के डेस्कटाॅप पर कुछ आइकन पहले से मौजूद होते हैं तथा यूजर अपनी आवश्यकतानुसार आइकन की संख्या कम-ज्यादा कर सकता है।
डेस्कटाॅप पर मौजूद आइकन निम्न है-
1. My Computer
कम्प्यूटर सिस्टम में स्टोर सभी डाटा, फाइल, सूचनाओं को इस आइकन(Icon) के द्वारा देखा जा सकता है। इस आइकन के माध्यम से इनपुट एवं आउटपुट डिवाइस(Device) की Properties को बदला जा सकता है।
2. My Documents
कम्प्यूटर सिस्टम के किसी भी प्रोग्रोम में कार्य करते समय उस प्रोग्राम में बनने वाली फाइल बाई डिफाल्ट माई डाॅक्यूमेंन्टस में सेव होती है।
3. Recycle Bin
कम्प्यूटर सिस्टम में डिलीट किए गए सभी डाटा, फाइल व फोल्डर को रिसायकल बिन में अस्थाई रूप से स्टोर किया जाता है। रिसायकल बिन में स्टोर डाटा, फाइल, फोल्डर को रिस्टोर किया जा सकता है। रिसायकल बिन से डिलीट किया गया डाटा पुनः एक्सेस नहीं किया सकता क्योंकि रिसायकल बिन से डिलीट करने पर डाटा स्थाई रूप से डिलीट हो जाता है। विण्डोज में रिसायकल बिन डिफाॅल्ट आइकन होता है।
- Shift+Delete Key के द्वारा किसी डाटा, फाइल, फोल्डर को स्थाई रूप से डिलीट किया जा सकता है। कम्प्यूटर सिस्टम में किसी फाइल, फोल्डर, आइकन को स्थाई रूप से हटाने के लिए शिफ्ट के साथ डिलीट बटन का प्रयोग किया जाता है।
4. My Network
इसके माध्यम से कम्प्यूटर सिस्टम में नेटवर्क (इंटरनेट) से सम्बन्धित कार्य किए जाते हैं।
- टास्कबार – डेस्कटाॅप स्क्रीन पर सबसे नीचे की ओर एक लम्बा बार होता है, जिसे टास्कबार(Taskbar) कहा जाता हैं। टास्कबार में लेफ्ट साइड में स्टार्ट या विण्डोज बटन एवं राइट साइड में सिस्टम ट्रै पर दिनांक, समय, नेटवर्क साइन, वाॅल्यूम साइन प्रदर्शित होता है।
- सिस्टम ट्रै – कम्प्यूटर सिस्टम के बैकग्राउण्ड में रन हो रहे प्रोग्राम को होल्ड करके रखने के लिए जो आइकन होते हैं, जैसे दिनांक व समय तथा इनके पास अनेक आइकन होते हैं, उस सम्पूर्ण एरिया को सिस्टम ट्रै कहा जाता है।
- स्क्रीन सेवर – जब कम्प्यूटर में अधिक समय तक कोई कार्य नहीं होता है तो कम्प्यूटर Screen पर चित्र आते रहते हैं। अतः स्क्रीन सेवर ऐसी चलती फिरती आकृतियां होती है जो कम्प्यूटर के फोकस को चेन्ज करती रहती है जिससे कम्प्यूटर की स्क्रीन के जलने का खतरा नहीं रहता है।
- Start/Windows Button- इसके माध्यम से स्टार्ट या विण्डोज मेनु लिस्ट प्रदर्शित की जाती है। लगभग सभी विण्डोज ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में स्टार्ट बटन होता है लेकिन विण्डोज 8 व विण्डोज 8.1 में स्टार्ट बटन हटाया गया बाद में विण्डोज 10 में पुनः स्टार्ट बटन जोङा गया।
- विण्डोज मेनु लिस्ट में निम्न विकल्प होते हैं। जैसे – Help & Support, Control Panel, Computer, Documents, Picture, Shut Down, All Program, Search etc.
Windows Elements (विण्डोज के अवयव)
- Shut Down/Turn Off – इसके माध्यम से कम्प्यूटर सिस्टम को ऑफ़ किया जाता है।
- Restart – इसके द्वारा ऑन कम्प्यूटर सिस्टम को रिस्टार्ट किया जाता है।
- Sleep – यह एक पाॅवर सेविंग मोड है जो कम्प्यूटर सिस्टम के सभी ओपन प्रोग्राम व अन्य डाटा को कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी में अर्थात् रैम में स्टोर कर सिस्टम में बिजली बचाने का कार्य करता है।
- Hibernate – हाइबरनेट एक पावर मैनेजमेंट मोड है जो कम्प्यूटर को उसकी पिछली स्थिति को बनाए रखते हुए पाॅवर डाउन करता है। इस मोड में सिस्टम बंद करने से पहले वर्तमान में RAM में जो डाटा है, उस डाटा को हार्डड्राइव में Save किया जाता है।
- All Program – इसके द्वारा कम्प्यूटर सिस्टम के प्रोग्राम मेन्यू प्रदर्शित किए जाते हैं जिसमें एप्लीकेशन साॅफ्टवेयर के प्रोग्राम भी शामिल है।
- Control Panel – कम्प्यूटर में इंस्टाॅल साॅफ्टवेयर को अनइंस्टाॅल करने व विण्डोज में सेटिंग जैसे – डेट, टाइम, की-बोर्ड, माउस, पासवर्ड, यूजर अकाउंट, डिस्प्ले, साउंड सेटिंग बदलने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
- Help And Support – इसके माध्यम से विण्डोज से सम्बन्धित ऑनलाइन व ऑफ़लाइन सहायता ली जा सकती है।
- Search –इसके माध्यम से कम्प्यूटर सिस्टम में स्टोर फाइल, फोल्डर आदि को सर्च किया जा सकता है।
- Run – इसके माध्यम से किसी प्रोग्राम का नाम, लोकेशन या रन कमाण्ड टाइप करके प्रोग्राम को ओपन किया जा सकता है।
Windows Accessories/Windows Main Program
1. Notepad – यह एक साधारण टेक्स्ट एडिटर प्रोग्राम होता है, जिसमें बनने वाली फाइल को ण्जगज एक्सटेंशन के साथ सेव किया जाता है।
- नोटपेड का रन कमाण्ड Notepad/Notepad.exe होता है।
2. Wordpad – यह एक वर्ड प्रोसेसर प्रोग्राम होता है इसमें किए जाने वाले कार्यों में लिखे गए शब्दों को बोल्ड, इटालिक, अन्डरलाइन करना, शब्दों को रंग बदलना, शब्दों के साथ पेज में पिक्चर इंसर्ट करना आदि है।
- वर्डपेड में बनने वाली फाइल का एक्सटेंशन .rtf (Rich Text Format) होता है।
- वर्डपेड का रन कमाण्ड Write/Wordpad.exe होता है।
3. Paint – इस प्रोग्राम के द्वारा किसी पिक्चर को एडिट किया जा सकता है तथा कोई चित्र, आकृति बनाई जा सकती है। पेंट प्रोग्राम का उपयोग करके किसी भी पिक्चर का फाॅमेंट बदला जा सकता है।
4. Windows Media Player – इस प्रोग्राम के माध्यम से ऑडियो एवं वीडियो फाइल को चलाया जाता है।
5. Calculator – इसके माध्यम से सामान्य एवं वैज्ञानिक गणनाएँ की जाती है।
Mobile/Smart Phone Operating System
- जिस प्रकार कम्प्यूटर सिस्टम को संचालित करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) प्रयोग किये जाते हैं ठीक उसी प्रकार स्मार्ट फोन, टेबलेट्स आदि को ऑपरेट करने के लिए भी विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) का प्रयोग किया जाता है, जिनमें मुख्य निम्न हैं-
1. Android – एन्ड्राॅइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) का पहला वर्जन Android 1.0 गूगल कम्पनी के द्वारा वर्ष 2008 में लाॅन्च किया गया। Android का नवीनतम वर्जन Android 10, सितम्बर 2019 में लाॅन्च किया गया, यह एन्ड्राॅइड का 17वाँ वर्जन था।
- एन्ड्राॅइड ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) गूगल द्वारा बनाया गया है।
- HTC Dream एन्ड्राॅइड का उपयोग करने वाला प्रथम मोबाइल फोन था।
2. IOS – यह एप्पल कम्पनी द्वारा बनाया गया ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) है, इसका पहला वर्जन Iphone OS1 नामक, जनवरी 2007 में लांच किया गया था। इसका नवीनतम वर्जन 13.5.1 है जो कि 2019 में लांच किया गया।
3. Win OS – यह माइक्रोसाॅफ्ट कम्पनी के द्वारा बनाया गया इसका पहला वर्जन 2010 में लांच किया गया, इसका नवीनतम वर्जन Win 10 है।
4. Symbian – इस ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) का निर्माण सिम्बियन कम्पनी के द्वारा 1998 में किया गया, यह मोबाइल फोन में प्रयोग किया जाने वाला ओपन सोर्स साॅफ्टवेयर ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) है।
5. Blackberry – यह 1999 में पब्लिश किया गया। सुरक्षा की दृष्टि से यह ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) सबसे सुरक्षित माना जाता है। इसका नवीनतम वर्जन जनवरी 2013 में पब्लिश किया गया।
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) से सम्बन्धित शब्दावली
- कम्प्यूटर सिस्टम को ऑन करना बूटिंग कहलाता है।
- बूटिंग के दौरान ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) मैन मेमोरी में लोड होता है।
- बूटिंग दो प्रकार की होती है-
(1) कोल्ड बूटिंग (2) वार्म बूटिंग - जब किसी पाॅवर ऑफ़ (बन्द) कम्प्यूटर को ऑन करते हैं तो यह प्रक्रिया कोल्ड बूटिंग कहलाती है।
- जब किसी पाॅवर ऑन (चालू) कम्प्यूटर को रिस्टार्ट करते हैं तो यह प्रक्रिया वार्म बूटिंग कहलाती है।
- BIOS (Basic Input Output System) एक महत्त्वपूर्ण साॅफ्टवेयर होता है जो कि कम्प्यूटर सिस्टम की रोम चिप में स्टोर रहता है, कम्प्यूटर सिस्टम को ऑन करते समय बायोस प्रोग्राम कम्प्यूटर सिस्टम के हार्डवेयर उपकरणों की जांच करता है।
- जब कम्प्यूटर सिस्टम ऑन होता है तो BIOS (Basic Input Output System) से निर्देश तथा प्रोग्राम को लोड करता है एवं कम्प्यूटर के उपकरणों के साथ अनेक प्रकार के सेल्फ टेस्ट क्रियान्वित करता है, जिसे POST (Power On Self Test) कहा जाता है।
- कर्नेल (Kernel) –कर्नेल लिनक्स सिस्टम का कोर होता है, यह सिस्टम के स्टार्ट होते ही मेमोरी में लोड होता है, तथा मेमोरी, फाइल व पेरीफेरल डिवाइस को मैनेज करता है।
- शैल (Shell) – शैल एक प्रोग्राम है जो यूजर द्वारा दिए गए कमांण्ड को इंटरप्रिट करता है यह कमांण्ड या तो कमाण्ड लाइन पर टाइप किए जाते हैं या एक फाइल में रखे जाते हैं, जिसे शैल स्क्रिप्ट कहा जाता है।
- पाॅवर ऑन सेल्फ टेस्ट प्रोसेस पूर्ण होने के पश्चात बुट स्ट्रेप का प्रोसेस शुरू होता है जिसे बूटिंग या बुट स्ट्रैप कहा जाता है।
सिस्टम काॅल (System Calls)
- कम्प्यूटिंग में सिस्टम काॅल एक ऐसा प्रोग्रामेटिक तरीका है जिसके द्वारा कोई कम्प्यूटर प्रोग्राम ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के कर्नेल से किसी सर्विस का निवेदन करता है अर्थात् सिस्टम काॅल वो तरीका है जिसका प्रयोग करके कोई प्रोग्राम ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) से संवाद करता है।
- सिस्टम काॅल एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस (API) के माध्यम से यूजर के कार्यों के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) की सर्विसेज प्रदान करता है।
- यह ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) की सेवाओं की रिक्वेस्ट करने तथा यूजर लेवल प्रोसेस की अनुमति देने की प्रक्रिया और ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के बीच एक इंटरफेस प्रदान करता है।
Device Drive
- कम्प्यूटर सिस्टम से किसी डिवाइस को कनेक्ट करने के लिए जो साॅफ्टवेयर कम्प्यूटर की मेमोरी में इंस्टाॅल किया जाता है। उसे डिवाइस ड्राइव कहा जाता है।
- यदि किसी प्रिंटर को कम्प्यूटर सिस्टम से कनेक्ट करना हो तो उस प्रिंटर से सम्बन्धित साॅफ्टवेयर कम्प्यूटर की मेमोरी में इंस्टाॅल करना पङेगा नहीं तो उससे सम्बन्धित कोई भी कमांड उस डिवाइस तक नहीं पहुँच पाएगा।
Computer Languages – Complete Information in Hindi
कम्प्यूटर भाषाओं का उपयोग कम्प्यूटर कोड या प्रोग्राम बनाने के लिए किया जाता है, एक कम्प्यूटर प्रोग्राम बनाने वाले निर्देशों का सेट जिसे कम्प्यूटर के द्वारा निष्पादित किया जाता है।
कम्प्यूटर की भाषाओं को दो भागों में बाँटा गया :
- Low Level Language
- High Level Language
(1) Low Level Language (निम्न स्तरीय भाषा)
कम्प्यूटर के शुरुआत में इस प्रकार की भाषा का विकास किया गया।
इसमें दो प्रकार की भाषा होती है :
- Machine Language
- Assembly Language
(A) Machine Language (मशीनी भाषा)
- कम्प्यूटर सिस्टम की प्रथम भाषा मशीनी भाषा है।
- मशीनी भाषा को बाइनरी भाषा भी कहा जाता है। मशीनी भाषा में केवल दो अंक/कोड/अक्षर का प्रयोग किया गया जो कि 0 एवं 1 होते हैं।
- मशीनी भाषा के सभी डाटा व निर्देश/सूचनाएँ/कार्य 0 एवं 1 के रूप में ही लिखे जाते हैं।
- सभी कम्प्यूटर मशीनी भाषा पर ही कार्य करते हैं।
- मशीनी भाषा एक ऐसी भाषा होती है जिसके लिए कम्प्यूटर सिस्टम को किसी भी प्रकार के अनुवादक प्रोग्रोम की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि मशीनी भाषा के सभी कोड वैसे ही होते हैं जिस कोड को कम्प्यूटर सिस्टम सीधे-सीधे समझता है।
- मशीनी भाषा के कोड के उदाहरण – 11100011, 11000011, 11111000 आदि।
(B) Assembly Language (असेम्बली भाषा)
- मशीनी भाषा के कोड को समझना, लिखना व याद करना बहुत ही कठिन कार्य था। इसलिए कम्प्यूटर वैज्ञानिकों ने एक भाषा बनाई जिसमें 0 व 1 के स्थान पर अंक, सिम्बल्स, अक्षरों का प्रयोग किया जाता है, इसमें प्रोग्रामिंग करना मशीनी भाषा से आसान है।
- इस प्रकार की भाषा में अंग्रेजी भाषा के शब्दों को छोटे शब्दों के रूप में प्रयोग किया गया। जैसे:-
Addition – ADD
Subtraction – SUB
Move – MOV
Jump – JMP
- असेम्बली भाषा को सिम्बोलिक/चिह्नात्मक भाषा भी कहा जाता है।
- असेम्बली भाषा के कोड को निमोनिक्स कहा जाता है।
(2) High Level Language (उच्च स्तरीय भाषा)
- इस प्रकार की भाषा में की-बोर्ड के सभी अक्षरों का प्रयोग किया गया जैसे – 0 से 9 तक अंक, अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर, चिह्न आदि।
- इस प्रकार की कम्प्यूटर भाषा की कोडिंग सामान्य अंग्रेजी भाषा समान होती है।
- हाईलेवल भाषा के कोड को साॅर्स कोड कहा जाता है।
- उच्च स्तरीय भाषा के अनेक उदाहरण है जिसमें मुख्य भाषाओं विवरण इस प्रकार है।
- For-Fortran – Formula Translation – 1957 गणित के क्षेत्र में उपयोगी।
- All-Algol – Algorithmic Language – 1958 – विज्ञान के क्षेत्र में उपयोगी।
- List-LISP – List Processing – 1958–Artificial Intelligence के लिए।
- को-COBOL – Comman Business Oriented Language 1959 – व्यापार के लिए।
- BA-BASIC – Beginner’s All Purpose Symbolic Instruction Code – 1964 – शिक्षा के क्षेत्र में उपयोगी।
- PAS-Pascal – 1970 – शिक्षा के क्षेत्र में उपयोगी।
- ‘C’ भाषा – 1972 – ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) डिजायन करने के लिए।
- ’सी’ भाषा के रचियता डेनिस रिची है तथा यह भाषा AT&T Bell प्रयोगशाला में बनाई।
- सी भाषा में बनने वाली पहला ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) युनिक्स था।
- C++ भाषा – 1979 – गेम्स, ऐम्बेडेड साॅफ्टवेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) डिजाइन करने के लिए।
- C++ भाषा के रचयिता जारन स्ट्रोस्टप्स है। तथा AT&T Bell प्रयोगशाला में बनाई।
- प्रारम्भ में इसका नाम C with Classes था लेकिन 1983 में इसका नाम बदलकर C++ कर दिया गया।
- JAVA – 1995 में सन् माइक्रोसिस्टम कंपनी के जेम्स गाॅसलिंग द्वारा बनाई गई।
- JAVA का प्रयोग इंटरनेट में किया जाता है।
अन्य महत्त्वपूर्ण उच्च स्तरीय भाषा
- RPG – Report Program Generator – 1959
- LOGO (Language Of Graphics Oriented) – 1967
- Pilot (Programmed Instruction Learning or Teaching) – 1962
- C Sharp (C#) 2002
- Snobol (String Oriented And Symbolic Language) – 1968
- Prolog – 1972
भाषा अनुवादक (Language Translator)
- सभी अनुवादक प्रोग्राम/साॅफ्टवेयर होते हैं। प्रोग्रामों को उच्चस्तरीय भाषा से मशीनी भाषा में अनुवादक की सहायता से बदला जाता है।
- भाषा अनुवादक तीन प्रकार के होते हैं-
(1) Assembler – असेम्बली भाषा में लिखे गए कोड को मशीनी भाषा में बदलता है।
(2) Interpreter – उच्चस्तरीय भाषा के निर्देशों को मशीनी भाषा में बदलता है। यह स्पदम ठल स्पदम अनुवाद करता है।
(3) Compiler – उच्चस्तरीय भाषा के निर्देशों को मशीनी भाषा में बदलता है। यह संपूर्ण कोड का एक साथ अनुवाद करता है।
अनुप्रयोग साॅफ्टवेयर (Application Software)
- कम्प्यूटर सिस्टम के ऐसे Softwares जो किसी निश्चित उद्देश्य व किसी विशेष कार्य के लिए बनाये जाते हैं उन्हें Application Software कहा जाता है।
- Application Software बनाने के लिए उच्चस्तरीय भाषा का प्रयोग किया जाता है।
- Application Software के उदाहरण – वर्डप्रोसेसर, फोटोशाॅप, कोरल ड्रा, स्प्रेडशीट, टेली अकाउंटिंग साॅफ्टवेयर, वेब ब्राउजर, मीडिया प्लेयर साॅफ्टवेयर आदि हैं।
Utility Software
- ऐसे साॅफ्टवेयर जो कम्प्यूटर सिस्टम के रखरखाव व मरम्मत के उद्देश्य से बनाये जाते हैं उन्हें यूटिलिटी साॅफ्टवेयर कहा जाता है।
यूटिलिटी साॅफ्टवेयर के उदाहरण
- एंटीवायरस – यह वायरस को ढूंढकर उसे कम्प्यूटर की मेमोरी से हटाता है अर्थात् एंटीवायरस के द्वारा वायरस को निष्क्रिय किया जाता है। एंटीवायरस के उदाहरण – नाॅटर्न, क्विकहील, अवीरा, के-7, केस्पर्स की आदि।
- डिस्क क्लीन अप/क्लीनर – यह अनावश्यक फाइलों को कम्प्यूटर की मेमोरी से हटाता है।
- ⇒ डिस्क डिफ्रेगमेन्ट – किसी डिस्क में अलग-अलग स्थानों पर बिखरी फाइलों को एक स्थान पर एकत्रित करता है जिससे उन फाइलों को आवश्यकता होने पर बहुत कम समय में आसानी से एक्सेस किया जा सकता है।
- डिस्क फाॅर्मेटिंग – डिस्क फाॅर्मेटिंग किसी स्टोरेज डिवाइस जैसे हार्ड डिस्क, साॅलिड स्टेट ड्राइव, फ्लाॅपी डिस्क, यू. एस. बी. ड्राइव आदि को प्रारंभिक उपयोग के लिए तैयार करने की प्रक्रिया है। अर्थात् किसी मेमोरी डिस्क को उपयोग करने योग्य बनाता है।
- बैकअप प्रोग्राम/साॅफ्टवेयर – कम्प्यूटर सिस्टम में डाटा को नष्ट होने से बचाने के लिए डाटा को किसी अलग मेमोरी में स्टोर करना तथा मेमोरी से कोई डाटा/सूचना नष्ट होने पर उन्हें पुनः स्टोर किया जा सकता है।
- डिस्क कम्प्रेशन – इसके द्वारा डाटा को कम्प्रेश किया जाता है अर्थात् डाटा के आकार को कम किया जाता है, जिससे मेमोरी में अधिक डाटा को स्टोर किया जा सके।
नोट – डिस्क कम्प्रेशन जिप (Zip) के द्वारा किया जाता है, यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर की एक या एक से अधिक फाइलों को एक फाइल या फोल्डर में पैक कर लेती है, जो कि Original फाइल से कम जगह लेता है और साइज में भी कम होता है। जिप (Zip) फाइल को ’आर्काइव (Archive)’ फाइल भी कहा जाता है। - बग – किसी प्रोग्राम में आने वाली एरर (त्रुटि) को बग कहा जाता है।
- डिबग – किसी प्रोग्राम में आने वाली त्रुटि को हटाना डिबग या डिबगिंग कहलाता है।
- डिबगर – इसके माध्यम से डिबगिंग प्रोसेस किया जाता है, अर्थात् किसी प्रोग्राम में आने वाली त्रुटियों की जाँच कर उसे हटाता है। बग का तात्पर्य प्रोग्राम में आने वाली त्रुटि से है। किसी प्रोग्राम में आने वाली त्रुटि को हटाने के लिए जो साॅफ्टवेयर प्रयुक्त होता है उसे डिबगर कहा जाता है।
- पैच – किसी साॅफ्टवेयर में आने वाली त्रुटियों को हटाने के लिए साॅफ्टवेयर के द्वारा जो आॅब्जेक्ट कोड दिया जाता है उसे पैच कहा जाता है।
- डिस्क एन्क्रीप्शन – अनाधिकृत यूजर से डाटा को बचाने के लिए डिस्क के डाटा को अनरिडेबल फाॅर्मेट में बदला जाता है जिसे डिस्क एन्क्रीप्शन कहा जाता है।
- प्रोग्राम डाॅक्यूमेंटेशन – इसके अंतर्गत प्रोग्राम से सम्बन्धित विस्तृत जाननकारी होती है अर्थात् इसमें यह बताया जाता है कि प्रोग्राम का किस प्रकार प्रयोग करना है, एवं प्रोग्राम का किस प्रकार रखरखाव करना है।
- फैच एक्जिक्यूट चक्र – इसमें डाटा पर कार्य करने तथा डाटा का उपयोग करने तक का स्टेप होता है।
- फैच – प्रोसेसर रैम से डाटा पढ़कर अपने आंतरिक मेमोरी में स्टोर करता है।
- डिकोडर – डिकोडर एक ऐसा लाॅजिकल परिपथ है जो इनपुट में दिए गए प्रत्येक संकेतो की पहचान कर अन्य संकेतो में परिवर्तन करता है।
- एक्जिक्यूट – इसके अंतर्गत डाटा पर प्राप्त निर्देशों के अनुसार प्रोसेस कर परिणाम को प्रदर्शित किया जाता है।
फाइल सिस्टम (File System)
- ⇒ फाइल सिस्टम एक संरचना है जिसके अंतर्गत फाइलों को नाम दिया जाता है, और इन्हें तार्किक रूप से स्टोर करने और पुनः प्राप्ति के लिए रखा जाता है।
- फाइल सिस्टम के बिना ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में स्टोर फाइल को अलग-अलग नहीं किया जा सकता तथा आवश्यकता होने पर पहचानना व पुनः प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है।
- File Extension –फाइल एक्सटेंशन अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों से बनी एक स्ट्रींग के रूप में होती है जो किसी फाइल के फाॅर्मेट या फाइल के प्रकार के बारे में बताती है।
Full Forms – Computer Ki Jankari
CUI : Character User Interface
GUI : Graphical User Interface
MSDOS : Microsoft Disk Operating System
Fortran : Formula Translation
Algol : Algorithmic Language
LISP : List Processing
AI : Artificial Intelligence
COBOL : Comman Business Oriented Language
AT&T : American Telephone & Telegram
RPG : Report Program Generator
LOGO : Language for Graphics Oriented
SNOBALL :
BASIC : Beginner’s All Purpose Symbolic Instruction Code