मूल कर्तव्य – भारत के नागरिकों के मौलिक कर्तव्य

आज के आर्टिकल में हम भारतीय संविधान के अंतर्गत मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे ।

मूल कर्तव्य – Fundamental Duties

मौलिक कर्तव्य

भारत के संविधान में केवल नागरिकों के लिए मौलिक अधिकार ही शामिल थे। संविधान में नागरिकों के मूल कर्तव्य प्रारंभ में शामिल नहीं थे। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय 1975 में आपातकाल की घोषणा की गई थी। सरदार स्वर्णसिंह के नेतृत्व में 1976 में कांग्रेस पार्टी ने ‘सरदार स्वर्ण सिंह समिति’ का गठन किया, जिसको राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान मूल कर्तव्यों के संबंध में संस्तुति देनी थी। इस समिति ने सिफारिश की संविधान में मूल अधिकारों के साथ-साथ मूल कर्तव्यों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

केंद्र में कांग्रेस सरकार ने इन सिफारिशों को स्वीकार करते हुए 42 वें संविधान संशोधन, 1976 को लागू किया गया। इसके माध्यम से संविधान में एक भाग-4क को जोड़ा गया। इस नए भाग में अनुच्छेद 51 क था, जिसमें नागरिकों के 10 मूल कर्तव्यों को उल्लेखित किया गया।
पूर्व रूसी संविधान से प्रभावित होकर भारतीय संविधान में मूल कर्तव्यों को लिया गया।

वर्तमान में संविधान में नागरिकों के कुल 11 मूल कर्तव्य है। वर्ष 2002 में 86 वें संविधान संशोधन द्वारा एक और मूल कर्तव्य जोड़ा गया। जिसका उद्देश्य – 6 से 14 वर्ष तक के आयु के बच्चों के माता-पिता और संरक्षकों को यह कर्तव्य दिया गया कि वह अपने बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेंगे।

मूल कर्तव्यों का उद्देश्य है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने प्रत्येक लक्ष्य एवं कार्य के सामने राष्ट्र की स्वतंत्रता एवं संप्रभुता होनी चाहिए।

मूल कर्तव्य – Mool Kartavya

वर्तमान में संविधान के भाग 4 क तथा अनुच्छेद – 51क के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक के 11 मूल कर्तव्य है।

  1. संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें।
  2. स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करे।
  3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण रखे।
  4. देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे।
  5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे, जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग आधारित सभी भेदभाव से परे हों, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हो।
  6. हमारी संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करे।
  7. प्राकृतिक पर्यावरण की जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव है, रक्षा करें और उसका संवर्द्धन करें तथा प्राणिमात्र के प्रति दया भाव रखें।
  8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे।
  9. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहे।
  10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रगति और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।
  11. 6 से 14 वर्ष तक की उम्र के अपने बच्चों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना। यह कर्तव्य 86 वें संविधान संशोधनन अधिनियम, 2002 के द्वारा जोड़ा गया।

मूल कर्तव्यों का महत्त्व

यदि कोई नागरिक अपने मूल कर्तव्य का पालन नहीं करता तो उसे न्यायालय द्वारा दंडित नहीं किया जा सकता। इस दृष्टि से मूल कर्तव्य भी राज्य के नीति निदेशक तत्वों की तरह ही है।

मूल कर्तव्य के प्रश्न

1. किस देश के संविधान से प्रेरित होकर भारतीय संविधान में मूल कर्तव्य को शामिल किया गया है ?

उत्तर – पूर्व सोवियत संघ


2. वर्तमान में नागरिकों के मूल कर्तव्य कितने है ?

उत्तर – 11 कर्तव्य


3. किस समिति की सिफारिश पर संविधान में मूल कर्तव्य शामिल किये गये ?

उत्तर – सरदार स्वर्ण सिंह समिति


4. भारतीय संविधान के किस भाग तथा किस अनुच्छेद में मूल कर्तव्यों को जोड़ा गया है ?

उत्तर – भाग 4 (क), अनुच्छेद 51 (क)


5. संविधान में 11 वां मूल कर्तव्य किस संविधान संशोधन द्वारा जोङा गया ?

उत्तर – 86 वें संविधान संशोधन 2002

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