Haldighati War in Hindi – हल्दीघाटी का युद्ध

आज की पोस्ट में हम हल्दीघाटी के युद्ध (Haldighati War in Hindi) के बारे में पढ़ेंगे। हल्दीघाटी युद्ध के महत्त्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानेंगे, जो परीक्षा में अक्सर पूछे जाते है।

Haldighati War in Hindi

हल्दीघाटी का युद्ध -18 जून या 21 जून, 1576

कथाकारकथन
बदायूंनी    –’’गोगुन्दा का युद्ध’’
कर्नल जेम्स टाॅड –’’थर्मोपल्ली का युद्ध’’
अबुल फजल –’’खमनौर का युद्ध’’

हल्दीघाटी का इतिहास

  • हल्दीघाटी युद्ध के बाद प्रताप ने ऋषभदेव से कुम्भलगढ़ के बीच फैले वन में शरण ली थी।
  • इस युद्ध में एकमात्र मुस्लिम हाकिम खाँ सूरी था (प्रताप की तरफ से)।
  • हल्दीघाटी के मैदान में मानसिंह की तरफ से अकबर के आने की झूठी अपवाह फैलाने वाला – मैहतर खाँ
  • चेतक रक्ततलाई नामक स्थान पर जख्मी हुआ था।
  • महाराणा प्रताप की रक्षा की – झाला बींदा।
  • महाराणा प्रताप के साथ हल्दीघाटी के मैदान में निम्न योद्धा साथ गए –
  1. लूणकरण
  2. रामशाह
  3. ताराचंद
  4. पूंजा
  5. हकीम सूरी

 

  • इस युद्ध के बाद प्रताप कोल्यारी गाँव पहुँचे जहाँ पर घायल सैनिकों का उपचार करवाया।
  • महाराणा प्रताप ने इस युद्ध के बाद राजधानी बनाई – कुम्भलगढ़ को।
  • महाराणा प्रताप की ताराचन्द तथा भामाशाह से भेंट – ढहलोप (राजसमंद) नामक स्थान पर हुई।

Haldighati War in Hindi

  • ढहलोप (राजसमंद) नामक स्थान पर ही इन्होंने प्रताप को धन दिया। 20,000 सोने की मुद्रा दी।
  • महाराणा प्रताप ने अपनी नयी राजधानी चावंड (उदयपुर) में बनाई।
  • महाराणा प्रताप ने नयी चित्रशैली को जन्म दिया – चावंड।
  • चेतक की छतरी बनाई – हल्दीघाटी (राजसमंद)।
  • प्रताप की मृत्यु – 19 जनवरी, 1597 ई. बांडोली (उदयपुर)।
  • प्रताप की छतरी – 8 खम्भों की छतरी है जो बांडोली (उदयपुर) में स्थित है।
  • चित्तौङ को छोङकर महाराणा प्रताप ने सभी किले जीत लिए।
  • पातल और पीथल – कन्हैयालाल सेठिया (महाराणा प्रताप पर लिखी पुस्तक)।
  • भामाशाह और ताराचन्द पाली के रहने वाले थे।
  • बंदायूनी एक मात्र ऐसा इतिहासकार था जो अकबर के साथ युद्ध भूमि में आया था, इसने अपनी दाढ़ी राजपूतों के खून से रंगी थी।
  • महाराणा प्रताप ने युद्ध में जाने पर पीछे से कुम्भलगढ़ दुर्ग का उत्तरदायित्व झाला पूंजा को सौंपी।
  • अकबर का सेनापति – शाहनवाज।
  • चावंड शैली के प्रमुख कलाकार नासीर थे।
  • चेतक घोङे की मृत्यु के बाद प्रातप ने बिरयानी घोङे से युद्ध लङा था।
  • इनका बङा भाई जगमाल इनका प्रतिद्वन्द्वी था।

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