आज की पोस्ट में भारत सामान्य ज्ञान के अंतर्गत सिन्धु घाटी सभ्यता (Sindhu Ghati Sabhyata) को विस्तार से पढेंगे ,जो आपकी Exam के लिए उपयोगी साबित होगा।
सिन्धु घाटी सभ्यता – Sindhu Ghati Sabhyata
सिंधु घाटी सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता मानी जाती है ,जिसका स्वरूप नगरीय सभ्यता का था । दोस्तो सिंधु घाटी सभ्यता मिश्र एवं मेसोपोटामिया जैसी विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं के समकालीन है ।
सिन्धु सभ्यता – Sindhu Ghati Sabhyata
- रेडियोकार्बन C14 जैसी नवीन विश्लेषण-पद्धति के द्वारा सिन्धु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2350 ई. पू. से 1750 ई. पूर्व माना गयी है।
- सिन्धु सभ्यता की खोज 1921 ई . में रायबहादुर दयाराम साहनी ने की। इस सभ्यता में सबसे पहले हड़प्पा नामक स्थान की खोज सबसे पहले हुई, इसलिए इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता कहा गया ।
- हड़प्पा सभ्यता के बाद 1922 ई. में राखलदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खोज की ।
- ⋅सिन्धु सभ्यता को प्राक्ऐतिहासिक अथवा काव्य युग में रखा जा सकता है। इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविङ एवं भूमध्यसागरीय थे।
- सिन्धु सभ्यता के सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल सुतकागेंडोर (बलूचिस्तान), पूर्वी पुरास्थल आलमगीरपुर (जिला मेरठ, उत्तर प्रदेश), उत्तरी पुरास्थल मांडा (जिला अखनूर जम्मू-कश्मीर) तथा दक्षिणी पुरास्थल दाइमाबाद (जिला अहमद नगर, महाराष्ट्र)
- ⋅सिन्धु सभ्यता या सैंधव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी। सैंधव सभ्यता से प्राप्त परिपक्व अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 को ही बङे नगर की संज्ञा दी गयी है, ये हैं – मोहनजोदङो, हङप्पा, गणवारीवाला, धौलावीरा राखीगढ़ी एवं कालीबंगा।
- स्वतंत्रता-प्राप्ति पश्चात् हङप्पा संस्कृति के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गए हैं।
- लोथल एवं सुतकोतदा – सिन्धु सभ्यता का बन्दरगाह था।
- जुते हुए खेत और नक्काशीदार ईंटों के प्रयोग का साक्ष्य कालीबंगा से प्राप्त हुआ है।
विशेष : सिंधु सभ्यता का तकनीकी रूप से सर्वाधिक विकसित स्थल धौलावीरा है ।
Sindhu Ghati Sabhyata
- मोहनजोदङो से प्राप्त वृहत् स्नानागार एक प्रमुख स्मारक है, जिसके मध्य स्थित स्नानकुंड 11-88 मीटर लम्बा, 7-01 मीटर चैङा एवं 2-43 मीटर गहरा है।
- अग्निकुण्ड लोथल एवं कालीबंगा से प्राप्त हुए है।
- मोहनजोदङो से प्राप्त एक शील पर तीन मुख वाले देवता (पशुपति नाथ) की मूर्ति मिली है। उनके चारों ओर हाथी, गैंडा, चीता एवं भैसा विराजमान है।
- मोहनजोदङो से नर्तकी की एक कांस्य मूर्ति मिली है।
- हङप्पा की मोहरों पर सबसे अधिक एक शृंगी पशु का अंकन मिलता है।
- मनके बनाने के कारखाने लोथल एवं चन्हूदङो में मिले है।
- सिन्धु सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक है। यह लिपी दाई से बाईं ओर लिखी जाती थी। जब अभिलेख एक से अधिक पंक्तियों का होता था तो पहली पंक्ति दाईं से बाईं ओर दूसरी बाईं से दाईं ओर लिखी जाती थी।
- सिन्धु सभ्यता के लोगों ने नगरों तथा घरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई।
सिन्धु सभ्यता – Sindhu Ghati Sabhyata in Hindi
- घरों के दरवाजे और खिङकियाँ सङक की ओर न खुलकर पिछवाङे की ओर खुलते थे। केवल लोथल नगर के घरों के दरवाजे मुख्य सङक की ओर खुलते थे।
- सिन्धु सभ्यता में मुख्य फसल थी – गेहूँ और जौ।
- सैंधववासी मिठास के लिए शहद का प्रयोग करते थे।
- रंगपुर एवं लोथल से चावल के दाने मिले हैं, जिनसे धान की खेती होने का प्रमाण मिलता है। चावल के प्रथम साक्ष्य लोथल से ही प्राप्त हुए है।
- सुरकोतदा, कालीबंगा एवं लोथल से सैंधवकालीन घोङे के अस्थिपंजर मिले हैं।
- तौल की इकाई संभवतः 16 के अनुपात में थी।
- सैंधव सभ्यता के लोग यातायात के लिए दो पहियाँ एवं चार पहियों वाली बैलगाङी या भैंसागाङी का उपयोग करते थे।
- मेसोपोटामिया के अभिलेखों में वर्णित मेलूहा शब्द का अभिप्राय सिन्धु सभ्यता से ही है।
- संभवतः हङप्पा संस्कृति का शासन वणिक वर्ग के हाथों में था।
- पिग्गट ने हङप्पा एवं मोहनजोदङो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुङवा राजधानी कहा है।
- सिन्धु सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा किया करते थे।
- वृक्ष-पूजा एवं शिव-पूजा के प्रचलन के साक्ष्य भी सिन्धु सभ्यता से मिलते है।
- स्वस्तिक चिह्न संभवतः हङप्पा सभ्यता की देन है। इस चिह्न से सूर्योपासना का अनुमान लगाया जाता है। सिन्धु घाटी के नगरों में किसी भी मंदिर, के अवशेष नहीं मिले हैं।
- सिन्धु सभ्यता में मातृदेवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी।
सिन्धु घाटी सभ्यता
- पशुओं में कुबङ वाला साँङ, इस सभ्यता के लोगों के लिए विशेष पूजनीय था।
- स्त्री मृण्मूर्तियाँ (मिट्टी की मूर्तियाँ) अधिक मिलने से ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि सैंधवा समाज मातृसत्तात्मक था।
- सैंधववासी सूती एवं ऊनी वस्त्रों का प्रयोग करते थे।
- मनोरंजन के लिए सैंधववासी मछली पकङना, शिकार करना, पशु-पक्षियों को आपस में लङाना, चौपड़ और पासा खेलना आदि साधनों का प्रयोग करते थे।
- सिन्धु सभ्यता के लोग काले रंग से डिजाइन किए हुए लाल मिट्टी के बर्तन बनाते थे।
- सिन्धु घाटी के लोग तलवार से परिचित नहीं थे।
- कालीबंगा एक मात्र हङप्पाकालीन स्थल था, जिसका निचला शहर (सामान्य लोेगों के रहने हेतु) भी किले से घिरा हुआ था।
- पर्दा-प्रथा एवं वेश्यावृत्ति सैंधव सभ्यता में प्रचलित थी।
- शवों को जलाने एवं गाङने यानी दोनों प्रथाएँ प्रचलित थीं। हङप्पा में शवो को दफनाने जबकि मोहनजोदङो में जलाने की प्रथा विद्यमान थी। लोथल एवं कालीबंगा में युग्म समाधियाँ मिली है।
- सैंधव सभ्यता के विनाश का संभवतः सबसे प्रभावी कारण बाढ़ था।
- आग में पकी हुई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता है।
सिन्धु काल में विदेशी व्यापार
आयातित वस्तुएँ | प्रदेश |
ताँबा | खेतङी, बलूचिस्तान, ओमान |
चाँदी | अफगानिस्तान, ईरान |
सोना | कर्नाटक, अफगानिस्तान, ईरान |
टिन | अफगानिस्तान, ईरान |
गोमेद | सौराष्ट्र |
लाजवर्द | मेसोपोटामिया |
सीसा | ईरान |
सैंधव सभ्यता के प्रमुख स्थल: नदी, उत्खननकर्ता एवं वर्तमान स्थिति
प्रमुख -स्थल | नदी | उत्खननकर्ता | वर्ष | स्थिति |
हङप्पा | रावी | दयाराम साहनी एवं माधोस्वरूप वत्स | 1921 | पाकिस्तान का मोंटगोमरी जिला |
मोहनजोदङो | सिन्धु | राखालदास बनर्जी | 1922 | पाकिस्तान के सिंध प्रांत का लरकाना जिला |
चन्हूदङो | सिन्धु | गोपाल मजुमदार | 1931 | सिंधप्रांत (पाकिस्तान) |
कालीबंगा | घग्घर | बी.बी. लाल एवं बी.के. थापर | 1953 | राजस्थान का हनुमानगढ़ जिला |
कोटदीजी | सिन्धु | फजल अहमद | 1953 | सिंध प्रांत का खैरपुर स्थान |
रंगपुर | मादर | रंगनाथ राव | 1953-54 | गुजरात का काठियावाङ जिला |
रोपङ | सतलज | यज्ञदत्त शर्मा | 1953-56 | पंजाब का रोपङ जिला |
लोथल | भोगवा | रंगनाथ राव | 1955 एवं 1962 | गुजरात का काठियावाङ जिला |
आलमगीरपुर | हिन्डन | यज्ञदत्त शर्मा | 1958 | उत्तर प्रदेश का मेरठ जिला |
सुतकांगेडोर | दाश्क | ऑरेज स्टाइल, जार्ज डेल्स | 1927 एवं 1962 | पाकिस्तान के मकरान में समुद्र तट के किनारे |
बनमाली | रंगोई | रवीन्द्र सिंह विष्ट | 1974 | हरियाणा का हिसार जिला |
धौलावीरा | – | रवीन्द्र सिंह विष्ट | 1990-91 | गुजरात के कच्छ जिला |
महत्त्वपूर्ण प्रश्न : इन प्रश्नों के उत्तर नीचे कमेंट बॉक्स में देवें :
प्रश्न : 1 हङप्पा एवं मोहनजोदङो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुङवा राजधानी किसने कहा ?
प्रश्न : 2 सिंधु सभ्यता की लिपि कैसी थी ?
प्रश्न : 3 सिंधु सभ्यता का प्रमुख बंदरगाह कौनसा था ?
प्रश्न : 4 सिन्धु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि क्या मानी गयी है ?
प्रश्न : 5 सिंधु सभ्यता में चावल के दाने कहाँ से मिले हैं ?
ये भी पढ़ें ⇓⇓