आज के आर्टिकल में हम जरीब तथा फीता सर्वेक्षण (Jarib or Feeta Sarvekshan) के बारे में विस्तार से पढेंगे ,इस टॉपिक से जुड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ आपको मिलने वाली है ।
जरीब क्या होती है ?
यह लम्बाई नापने की एक इकाई होती है। यह जंजीर की भांति होती है। इसमें जिस जंजीर से यह दूरी नापी जाती है उसे जरीब कहते हैं। एक जरीब की मानक लम्बाई 66 फीट यानि 22 गज होती है। इसके अलावा हम यह कह सकतें है कि इसकी लम्बाई 4 लट्ठे (Rods) होती है। जरीब में कुल 100 कड़ियाँ होती हैं। इसमें प्रत्येक कड़ी की लम्बाई 0.6 फ़ुट यानि 7.92 इंच होती है।
दोस्तो किसी क्षेत्र का सर्वेक्षण करके प्लान बनाने की विधियों में जरीब तथा फीता विधि सबसे सरल मानी जाती है।
जिसके चार प्रमुख कारण हैं-
(1) जरीब तथा फीता सर्वेक्षण के उपकरण अपेक्षाकृत शीघ्र खराब नहीं होते।
(2) इस सर्वेक्षण की मौसम की दशाओं पर निर्भरता सबसे कम होती है। केवल रेखिक मापों पर आधारित होने के फलस्वरूप जरीब तथा फीता सर्वेक्षण को कभी-कभी रैखिक सर्वेक्षण भी कहा जाता है।
(3) जरीब तथा फीता सर्वेक्षण में धरातल पर केवल रैखिक दूरियाँ मापी जाती हैं तथा कोण आदि मापने की आवश्यकता नहीं होती।
(4) जरीब तथा फीता सर्वेक्षण के उपकरणों की बनावट बहुत सरल होती है तथा थोङे से अभ्यास से इनका प्रयोग सीखा जा सकता है।
ध्यान रहें –
जरीब तथा फीता विधि के द्वारा किसी क्षेत्र का प्लान बनाने से पूर्व निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है-
🔸 दिये हुए क्षेत्र का धरातल समतल होना चाहिए जिससे जरीब या फीते के द्वारा क्षैतिज दूरियाँ मापने के कार्य में अतिरिक्त परिश्रम ना करना पङे।
🔹 दिये हुए क्षेत्र की सीमा रेखा अधिक टेढ़ी मेढ़ी नहीं होनी चाहिए अन्यथा सर्वेक्षण कार्य बहुत कठिन हो जायेगा।
🔸 सर्वेक्षण किये जाने वाला क्षेत्र अपेक्षाकृत छोटा होना चाहिए। यही कारण है कि खेल के मैदान, सम्पदा व खेत आदि के वृहत मापनी प्लान बनाने के लिए प्रायः इस विधि को चुनते हैं।
🔹 इस सर्वेक्षण में दिये हुए क्षेत्र को त्रिभुजों में बाँटकर प्रत्येक त्रिभुज की तीनों भुजाओं को मापा जाता है। अतः दिये हुए क्षेत्र की आकृति इस प्रकार की होनी चाहिये कि सर्वेक्षण करने के लिए क्षेत्र को कम से कम त्रिभुजों में पूरा-पूरा बाँटा जा सके।
🔸 क्षेत्र खुला हुआ एवं सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त होना चाहिए। क्षेत्र में जलाशय, भवन, गड्ढे, टीले, नदी या इसी तरह की कोई अन्य बाधा, जिससे दूरी मापने में कठिनाई आये, जितनी कम होंगी उतना ही सर्वेक्षण कार्य सरल होगा।
जरीब तथा फीता सर्वेक्षण की आवश्यक सामग्री –
जरीब तथा फीता सर्वेक्षण में निम्न आवश्यकता होती हैं-
- जरीब
- जरीब के तीर
- ट्रफ कम्पास
- साहुलपिण्ड
- फीता
- गुनिया
- सर्वेक्षण दण्ड
जरीब के प्रकार (Jarib ke Parkar)
जरीब चार प्रकार की होती हैं –
- इंजीनियर जरीब
- गन्टर जरीब
- मीटरी जरीब
- इस्पाती फीता जरीब।
🔹 इंजीनियर जरीब – इंजीनियर जरीब 100 फीट व 50 फीट की लम्बाईयों में मिलती हैं।
🔸 गन्टर जरीब –
गन्टर जरीब को एडमण्ड गन्टर ने बनाया था, अतः इसे गन्टर जरीब कहते हैं। गन्टर जरीब 22 गज सर 66 फीट लम्बी होती है। गन्टर जरीब की एक कङी 0.66 फुट की होती है जबकि इंजीनियर जरीब की प्रत्येक कङी 1 फुट लम्बी होती है। मील-फर्लांग में दूरी मापने अथवा एकङो में क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए गन्टर जरीब को प्रयोग में लाते हैं।
क्योंकि 80 गन्टर जरीब 1 मील, 10 गन्टर जरीब – 1 फर्लांग तथा 10 वर्ग गन्टर जरीब – एक एकङ होता है, अतः इन मापों के लिए यह जरीब उपयोगी होती है।
🔸 चूँकि जरीब में 10 कङियों के अन्तराल पर एक टैग होता है। अतः इनसे कङियाँ गिनने का कार्य सरल हो जाता है।
🔹 मीटरी जरीब – मीटरी जरीबें प्रायः 10, 20 व 30 मीटर की लम्बाईयों में मिलती हैं।
🔸 इस्पाती फीता जरीब – अति परिशुद्ध सर्वेक्षण में इन्वार फीता या इस्पाती फीता प्रयोग में लाते हैं।
जरीब की उपयोगिता एवं विशेषताएँ –
🔸 जरीब के तीर की लम्बाई प्रायः 25 व 30 सेमी. के मध्य होती है।
🔹 जरीब रेखाओं के सिरों को मुख्य सर्वेक्षण स्टेशन कहते हैं।
🔸 सर्वेक्षण दण्ड की छङ गोल या अष्टफलकी बनायी जाती है जिससे सर्वेक्षण दण्ड को जमीन में गाङते समय हाथ में कष्ट अनुभव न हो।
🔹 सर्वेक्षण दण्ड को काली व सफेद या लाल व सफेद रंग की पट्टियों में रंग देते हैंद्ध।
🔸 सर्वेक्षण दण्ड को पट्टियों में रंगने के दो लाभ हैं – प्रथम, इससे सर्वेक्षण दण्ड स्पष्ट दिखलायी दे जाता है तथा द्वितीय, चूंकि पट्टियों की लम्बाई समान होती है, अतः आवश्यकता पङने पर सर्वेक्षण दण्ड से धरातल पर छोटी-छोटी दूरियों को मापा जा सकता है।
🔹 जरीब रेखा के जिस बिन्दु से किसी विवरण का ऑफसेट लिया जाता है, वह बिन्दु योजक स्टेशन कहलाता है।
🔸 एक जरीब रेखा के योजक स्टेशन को दूसरी जरीब रेखा के योजक स्टेशन से मिलाने वाली रेखा को टाड रेखा या संयोग रेखा कहते हैं।
🔹 जरीब तथा फीता सर्वेक्षण में दिये हुए क्षेत्र को समबाहु एवं यथासम्भव बङे-बङे त्रिभुजों में बाँटना हितकर होता है।
जरीब-मापन की बाधाओं के वर्ग –
- अवरूद्ध दृष्टि वाली बाधा
- अवरूद्ध जरीब-मापन वाली बाधा तथा
- अवरूद्ध दृष्टि व अवरूद्ध जरीब मापन वाली बाधा।
जरीब सर्वेक्षण की विशेषताएँ व समस्याएँ –
सर्वेक्षण वह कला है जिसमें धरातल पर मापी गई क्षैतिज दूरियों, कोणों एवं ऊचाइयों को मापनी के अनुसार मानचित्र के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। इसमें क्षेत्र अध्ययन, मानचित्रण एवं अभिकलन को शामिल किया जाता है।
सर्वेक्षण के सिद्धान्त –
(1) सम्पूर्ण से अंश की ओर कार्य करण।
(2) नये केन्द्रों के स्थिति निर्धारण में एक से अधिक स्वतंत्र प्रक्रमों का प्रयोग।
सर्वेक्षण में त्रुटियों के निम्न स्रोत हैं-
- प्राकृतिक स्रोत, जैसे तापमान, पवन या गुरूत्व का प्रभाव आदि।
- यंत्रीय स्रोत, जैसे दोषपूर्ण यन्त्रों का प्रयोग।
- व्यक्तिगत स्रोत जैसे सर्वेक्षक द्वारा की गई भूल।
- जरीब तथा फीता सर्वेक्षण में केवल रैखिक मापों के आधार पर किसी भू-भाग का मानचित्र या प्लान बनाया जाता है।
- जरीब तथा फीता सर्वेक्षण को कभी-कभी रैखिक सर्वेक्षण भी कहते हैं।
- जरीब तथा फीता सर्वेक्षण में किसी बिन्दु की जरीब रेखा से मापी गई तिरछी दूरी को अन्तर्लम्ब कहते हैं।
जरीब तथा फीता सर्वेक्षण प्रक्रिया निम्नलिखित सात क्रमाचार चरणों में पूर्ण की जाती है –
- क्षेत्र का कच्चा चित्र बनाना
- त्रिभुजों का निर्धारण
- क्षेत्र पुस्तिका में विवरण भरना
- क्षेत्र पुस्तिका के विवरणों को मापनी के अनुसार प्लान बनाना।
- जरीब मापन
- अन्तर्लम्बों का निर्धारण
- चुम्बकीय उत्तर ज्ञात करना।
दोस्तो आज के आर्टिकल में हमने जरीब तथा फीता सर्वेक्षण (Jarib or Feeta Sarvekshan) के बारे में विस्तार से पढ़ा ,हमें आशा है कि आप इसे अच्छे से समझ गए होंगे ।
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