कैलाश पर्वत – Kailash Parvat || 10 अनसुलझे रहस्य || पूरी जानकारी

आज के आर्टिकल में हम कैलाश पर्वत (Kailash Parvat) के बारे में विस्तार से पढेंगे ,इससे जुड़े रहस्यों के बारे में जानेंगे। कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है। कैलाश पर्वत की ऊँचाई 21, 778 फीट (6,638 मीटर) के लगभग है। यह बर्फ से ढका हुआ एक प्राचीनतम पर्वत है। जिस पर शिवजी अपने परिवार के साथ निवास करते है। इस पर्वत पर एक अलौकिक शक्ति का वास है। जिस कारण इस पर आज तक कोई चढ़ाई नहीं कर पाया।

कैलाश पर्वत

Kailash Parvat

इस पर्वत की रहस्यमयी दुनिया के चमत्कारों को कोई नहीं समझ सकता। ऐसी मान्यता है कि कैलाश पर्वत(Kailash Parvat) के हर भाग को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इस पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व को क्रिस्टकल, पश्चिम को रुबी और उत्तर को स्वर्ण के रूप में जाना जाता है। पौराणिक कथाओं की यह मान्यता है कि यह पर्वत ’कुबेर की नगरी’ है। यहीं से ही गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है। यहाँ से भोलेनाथ उन्हें अपनी जटाओं में भरकर धरती पर प्रवाहित करते है।

हर साल लाखों लोग कैलाश पर्वत के चारों ओर परिक्रमा लगाने आते है। साथ ही रास्तें में ये मानवसरोवर झील के दर्शन भी करते है।

कैलाश पर्वत का इतिहास – Kailash Parvat History

kailash parvat map

कैलाश पर्वत के बारे अलग-अलग धर्म के अनुयायी के अलग-अलग मत हैं

हिन्दू धर्मों के लोगों की मान्यता

हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत पवित्र माना जाता है। क्योंकि हिंदु धर्म के ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में यह कहा गया है कि भगवान शिव ने कैलाश पर्वत(Kailash Parvat) पर ही अपनी समाधि लगायी थी और आज भी वे अपने परिवार के साथ इस पर्वत पर रहते है।

बौद्ध धर्म के लोगों की मान्यता

तिब्बत में रहने वाले बौद्ध धर्म के अनुयायी की यह मान्यता है कि बुद्ध भगवान के अलौकिक रूप डेमचौक कैलाश पर्वत पर ही निवास करते है। इसलिए बौद्ध धर्म में भी इस पर्वत को पूजनीय माना जाता है।

जैन धर्म के लोगों की मान्यता

जैन धर्म के अनुयायी की मान्यता है कि उनके प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को इसी पर्वत पर निर्वाण की प्राप्ति हुई थी और वे लोग कैलाश पर्वत को ’अष्टापद’ कहकर पुकारते है। इसी पर्वत पर श्री भरत स्वामी ने रत्नों के 72 जिनालय बनवाये थे।

तिब्बत के डाओ अनुयायी की मान्यता

तिब्बत के डाओ अनुयायी कैलाश पर्वत को पूरी दुनिया का आध्यात्मिक केंद्र मानते है।

यह पर्वत दुनिया के 4 मुख्य धर्मों – हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म का केंद्र भी है।

kailash parvat history

कैलाश पर्वत के पास दो सरोवर

⇒ कैलाश पर्वत की चोटियों पर दो झीलें हैं।

  1. मानसरोवर झील
  2. राक्षसताल झील।

(1) मानसरोवर झील – इसका आकार सूर्य के समान है और यह दुनिया की सबसे ऊँचाई पर स्थित शुद्ध पानी की सबसे बङी झील है। यह 320 वर्ग फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है। माना जाता है कि इस झील में भी ’ऊँ’ की ध्वनि सुनाई देती है। माना जाता है कि अगर इस झील में कोई व्यक्ति एक बार स्नान कर लेता है तो उसे ’रुद्र लोक’ की प्राप्त हो जाती है।

(2) राक्षसताल झील – इसका आकार चन्द्रमा के समान है और यह दुनिया की सबसे ऊँचाई पर स्थित खारे पानी की सबसे बङी झील है। यह झील 225 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैली है। इसके बारे में मान्यता है कि इसी झील के पास रावण ने शिव जी की घोर तपस्या की थी। इसलिए इसे ’रावणताल झील’ भी कहा जाता है।

ये दोनों झीलें सौर और चन्द्र बल को प्रदर्शित करती है जिनका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। जब दक्षिण से देखते है तो एक स्वस्तिक चिह्न देखा जा सकता है।

प्रमुख नदियों का उद्गम

कैलाश पर्वत की 4 दिशाओं से 4 नदियों का उद्गम होता है – ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलज, करनाली। कैलाश की चारों दिशाओं में विभिन्न जानवरों के मुख भी हैं जिसमें से नदियों का उद्गम होता है। पूर्व में अश्वमुख, पश्चिम में हाथी का मुख, उत्तर में सिंह का मुख, दक्षिण में मोर का मुख है। यह बर्फ से ढका हुआ एक विशाल शिवलिंग है। कैलाश पर्वत पर आज तक कोई भी मनुष्य चढ़ नहीं सका है। कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश करता है तो रहस्यमयी तरीके से उसकी मौत हो जाती है। जिन लोगों ने भी इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की वे वापस कभी लौट नहीं आ पाये। कोई नहीं जान पाया कि उन लोगों के साथ क्या हुआ था ?

कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने के प्रयास

अब तक सिर्फ एक व्यक्ति चढ़ पाया़ इस पर्वत पर

11 वीं शताब्दी में तिब्बत के रहने वाले एक बौद्ध योगी ’मिलारेपा’ ने कैलाश पर्वत की चढ़ाई की थी। इस पवित्र और रहस्यमयी पर्वत पर जिंदा वापस लौटने वाले दुनिया के वे पहले और आखिरी इंसान थे। इस घटना के बाद से कैलाश पर्वत की स्थिति हमेशा के लिए बदल गयी थी।

रहस्यमयी पिरामिडों से बना होने का दावा

सन् 1999 में रूस के रहने वाले आकु के डाॅक्टर अर्न्स्ट मुलादाशेव ने इसकी खोज की थी। मुलादाशेव ने कैलाश पर्वत(Kailash Parvat) पर जाने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई थी, उनके इस टीम में भूवैज्ञानिक, भौतिकशास्त्री एवं इतिहासकार शामिल थे। अपनी इस टीम के साथ मुलादाशेव कैलाश पर्वत पर कई दिनों तक खोज करते रहे।

जब वे इस पर्वत से लौटकर वापस आये तो उन्होंने बताया कि – ’’कैलाश पर्वत कोई पर्वत नहीं, बल्कि इंसानों द्वारा बनाया गया एक विशाल पिरामिड है, यह पिरामिड प्राचीनकाल में बनाया गया था और यह चारों तरफ से छोटे-छोटे पिरामिडों से घिरा हुआ है।’’ साथ ही उनका कहना था कि कैलाश पर्वत 100 रहस्यमयी पिरामिडों से मिलकर बना है।

कुछ लोगों इस तथ्य को सच माना है क्योंकि इस तरह का ढांचा दुनिया में कहीं पर भी नहीं है। दुनिया के बाकी पर्वतों से यह पर्वत बहुत अलग है। कैलाश पर्वत का आकार चैकोर है जिस कारण इस पर्वत के चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में फैल हुए है।

सन् 2007 में रूस के एक मशहूर पर्वतारोही सरगे सिस्टियाकोव ने कैलाश पर्वत के बहुत करीब तक पहुंच गए थे। उन्होंने बताया कि ’’मैं जैसे ही इस पर्वत के करीब पहुंचा तो मेरे दिल की धङकन काफी तेज हो गई।’’ उसी दौरान मुझे काफी कमजोरी महसूस हो रही थी। तो मैंने वापिस जाने का निर्णय लिया। जैसे ही मैं नीचे की तरफ बढ़ा वैसे ही धीरे-धीरे मेरी सेहत में सुधार होने लगा।’’

कर्नल आर. सी विल्सन ने इस पर्वत पर चढ़ने की सोच थी। लेकिन उन्होंने बताया कि – ’’जैसे ही मैं कैलाश पर्वत के नजदीक पहुंचा तो अचानक ही तेजी से बर्फबारी होने लगी, जिसने उनका रास्ता रोक दिया और उन्हें आगे जाने ही नहीं दिया।”

कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने की आखिरी कोशिश

कैलाश पर्वत पर चढ़ने की आखिरी कोशिश लगभग 18 साल पहले अर्थात् सन् 2001 में की गई थी। उस समय चीन ने स्पेन की एक टीम को कैलाश पर्वत पर चढ़ने की अनुमति प्रदान की थी।

इस पर्वत पर चढ़ाई करने पर रोक लगा दी गयी है। भारत, तिब्बत और नेपाल के साथ दुनिया के कई देश ये मानते है कि ये पर्वत पवित्र है और इससे करोङों लोगों की आस्था जुङी हुई है। इसलिए किसी भी व्यक्ति का इस पर चढ़ाई करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है।

नासा द्वारा रिसर्च

वर्ष 2015 के बीच एक बार फिर ’अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी नासा’ ने सैटेलाइट द्वारा कैलाश पर्वत पर रिसर्च करने की सोची। नासा के वैज्ञानिक ये जानना चाहते थे कि आखिरीकार क्या है कैलाश पर्वत में जो आज तक कोई भी नहीं चढ़ पाया। गुगल फोटेच द्वारा यह सामने आया कि ’’साक्षात् महादेव शिव ध्यानमुद्रा में बैठे हुए है।’’

कैलाश पर्वत के रहस्यमयी राज

⇒ कैलाश पर्वत पर प्रकृति की अद्भुत ताकत

कैलाश पर्वत की ऊँचाई 6600 मीटर से अधिक है, जो दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वत माउण्ट एवरेस्ट से लगभग 2200 मीटर कम है। माउंट एवरेस्ट पर अब तक 7 हजार से अधिक बार चढ़ाई की जा चुकी है। लेकिन कैलाश पर्वत(Kailash Parvat) पर अभी तक कोई व्यक्ति नहीं चढ़ पाया है। बङे-बङे पर्वतारोही इस पर चढ़ने से मुकर चुके है। क्योंकि कुछ लोगों की मान्यता है कि इस पर्वत पर प्रकृति पर विशाल शक्ति रहती है और इस तथ्य के आगे वैज्ञानिक भी चुप है। कुछ लोग कहते है कि यहां पर प्रकृति की विशाल ताकतें है जो यहां की दिशाओं को मोङ देती है जिससे व्यक्ति को अक्सर दिशाभ्रम हो जाता है।

पृथ्वी का केंद्र

वेदों में कैलाश पर्वत को ’ब्रह्माण्ड का अंश’ बताया गया है। आज दुनिया के कई वैज्ञानिक भी इस पर्वत को पृथ्वी का केन्द्र मानते है। वैज्ञानिक बताते है कि हमारी पृथ्वी पर एक तरफ उत्तरी ध्रुव है और दूसरी तरफ दक्षिणी ध्रुव है। इन दोनों ध्रुवों के ठीक बीच में हिमालय पर्वत मौजूद है और हिमालय पर्वत का केन्द्र कैलाश पर्वत को माना जाता है।

इस प्रकार पृथ्वी का केन्द्र कैलाश पर्वत को माना गया है। इसके बारे में यह भी कहा जाता है कि यह पृथ्वी का वह बिन्दु है जहाँ आकाश इस धरती से आकर मिलता है और इस बिन्दु पर आकर दसों दशाओं का मिलन होता है। धरती के इस केन्द्र को ’अक्षमुण्डी’ के नाम से भी जाना जाता है।

डमरू और ऊँ की आवाज गूँजना

लोगों की मान्यता है कि कैलाश पर्वत के आसपास डमरू और ऊँ की आवाज गूँजती है। यह आवाज कहां से आती हैं, इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है। वैज्ञानिकों का यह मानना है कि यह आवाज हवाओं के पहाङों के टकराने से और बर्फ के पिघलने के कारण उत्पन्न होती है।

कैलाश पर्वत एक रहस्यमयी पर्वत है। लोगों का मानना है कि इस पर्वत पर कई चमत्कार होते है। इसी कारण कोई भी व्यक्ति अभी तक इस पर्वत की चढ़ाई नहीं कर पाया है। कैलाश पर्वत पर चढ़ने के लिए खास सिद्धि की आवश्यकता होती है। ऐसा मनुष्य जिसने कभी कोई पाप नहीं किया है वो ही इस पर्वत पर जिंदा चढ़ सकता है। कई लोगों ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने का प्रयत्न किया लेकिन वे नाकाम रहे थे।

kailash parvat ka rahasya

कैलाश पर्वत की धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए 2001 में चीनी सरकार ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर अलौकिक शक्ति का वास है। यहां पुण्य आत्माएं रहती हैं, इसी कारण इसे ’स्वर्ग का द्वार’ भी कहा जाता है। आज भी कई तपस्वी यहां तप करते है।

यहाँ की एक रोचक बात यह भी है कि ’यहाँ पर समय बहुत तेजी से चलता है और हमारे बालों और नाखूनों की जितनी लम्बाई दो हफ्तों में बढ़ती है उतनी कैलाश पर्वत पर सिर्फ 12 घंटों में ही बढ़ जाती है।

कई वैज्ञानिकों ने भी अपने अध्ययन में यह पाया है कि इस स्थान पर एक अलौकिक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसी कारण से कई तपस्वी इस पवित्र स्थान पर आध्यात्मिक क्रियाएं करते हैं, ताकि उनको समाधि का अनुभव हो सके।

भगवान शिव का घर

हिंदू धर्म की मान्यता है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का घर है। यहां शिवजी अपने परिवार के साथ रहते है। यही कारण है कि यह पर्वत कई लोगों के लिए मोक्ष प्राप्ति का स्थान भी है। कुछ लोगों ने तो यहाँ प्रकृति की सबसे बङी ताकत का अनुभव किया है। कुछ लोगों कहना है कि उन्हें यहाँ पर साक्षात् शिव के दर्शन हुए है। कुछ लोग कहते है कि उन्हें नीलकंठ के रूप में भगवान शिव के दर्शन हुए है।

अलौकिक शक्ति के केंद्र

यह एक ऐसा केंद्र है जिसे एक्सिस मुंडी कहा जाता है। एक्सिस मुंडी को दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक धु्रव का केंद्र कहा जाता है। यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है, जहाँ पर दसों दिशाएं मिल जाती है। रशिया के वैज्ञानिकों के अनुसार यह माना गया है कि एक्सिस मुंडी वह स्थान है, जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और हम उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते है।

कैलाश पर्वत पर सिर्फ पुण्यात्माएं ही निवास करती है

कैलाश पर्वत पर पुण्यात्माएं ही निवास कर सकती है। रशिया के वैज्ञानिकों ने कैलाश पर्वत और उसके आसपास के वातावरण का अध्ययन किया और उन्होंने बताया है कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह है जिसमें आज भी तपस्वी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलीपैथिक संपर्क करते है।

आसमान में लाइट का चमकना

कैलाश पर्वत के ऊपर 7 लाइटें चमकती है। कई लोगों ने इन लाइटों को चमकते हुए देखने का दावा किया है। जबकि वैज्ञानिकों का यह मानना है कि ऐसा पर्वत के चुंबकीय बल के कारण होता है। यहाँ का चुम्बकीय बल आसमान से मिलकर कई बार इस तरह की लाइटें का निर्माण कर सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह माना गया है कि कैलाश पर्वत पर ‘’पुण्यात्माओं का निवास’’ है।

येति मानव का रहस्य

हिमालय में निवास करने वाले लोगों का कहना है कि ’’हिमालय पर यति मानव रहता है।’’ कई लोग इसे ’भूरा भालू’ कहते है, तो कोई इसे जंगली मानव तथा कोई इसे हिम मानव कहते है। यह धारणा प्रचलित है कि यह लोगों को मारकर खा जाता है। कुछ वैज्ञानिक इसे ’निंडरथल मानव’ भी कहते है। विश्वभर में करीब 30 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि हिमालय के बर्फीले इलाकों में हिम मानव मौजूद है।

कस्तूरी मृग का रहस्य

दुनिया का सबसे दुर्लभ मृग है कस्तूरी मृग। यह हिरण उत्तर भारत, उत्तर पाकिस्तान, चीन, तिब्बत, मंगोलिया, साइबेरिया में पाया जाता है। इस हिरण की कस्तूरी बहुत ही सुंगधित है और औषधीय गुणों से युक्त है, जो उसके शरीर के पिछले हिस्से की ग्रंथि में एक पदार्थ के रूप में होती है। कस्तूरी मृग की कस्तूरी दुनिया में सबसे महंगे पशु उत्पादों में से एक है।

कैलाश पर्वत से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

1. कैलाश पर्वत कौन से देश में है ?

उत्तर – तिब्बत


2. कैलाश पर्वत पर चढ़ने वाला पहला व्यक्ति कौन है ?

उत्तर – 11 वीं सदी में एक बौद्ध भिक्षु योगी मिलारेपा


3. कैलाश पर्वत पर कौन निवास करता है ?

उत्तर – भगवान शिवजी और उनका परिवार


4. कैलाश पर्वत पर किसका कब्जा है ?

उत्तर – चीन का


5. किस सरकार ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने पर पाबंदी लगा दी ?

उत्तर – सन् 2001 में चीनी सरकार ने


6. कैलाश पर्वत की ऊँचाई कितनी है ?

उत्तर – कैलाश पर्वत की ऊँचाई 6600 मीटर से अधिक है।


7. पृथ्वी के केंद्र बिंदु पर भगवान शिव के कौन से मंदिर हैं ?

उत्तर – कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील


8. कैलाश और मानसरोवर के बीच कौन सा ताल है ?

उत्तर – राक्षसताल


9. कैलाश पर्वत पर कौनसे दो सरोवर है ?

उत्तर – मानसरोवर झील तथा राक्षसताल


10. कैलाश पर्वत से कौन सी नदियाँ निकलती है ?

उत्तर – कैलाश पर्वत की 4 दिशाओं से 4 नदियाँ का उद्गम होता है – ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलज, करनाली।

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