आज के आर्टिकल में हम राजस्थान जीके के अंतर्गत कालीबंगा सभ्यता (Kalibangan sabhyata) के बारे में विस्तार से पढेंगे ।
- कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ- ’’काले रंग की चूङियाँ’’ है।
- ⋅कालीबंगा सभ्यता की खोज 1951 में अमलानन्द घोष ने की थी।
- कालीबंगा सभ्यता का काल लगभग 2300 ई.पू. माना गया है।
- ⋅कालीबंगा का उत्खनन कार्य बी. बी. लाल तथा वी. के. थापर ने 1961 से 1969 के बीच करवाया।
- कालीबंगा, राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में है।
- ⋅कालीबंगा की सभ्यता सरस्वती नदी घाटी में फैली थी।
- कालीबंगा वर्तमान में घग्घर नदी के बाएं किनारे फैली हुई है।
- ⋅कालीबंगा में प्राक् हङप्पा एवं हङप्पा कालीन संस्कृति के अवशेष मिले है।
कालीबंगा(Kalibangan sabhyata) की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषताएं निम्न हैं-
- जुते हुए खेत
- लकङी की नालियां
- पशु बली देने के साक्ष्य
- कच्चे मकानों के अधिक अवशेष
- खोपङी के शल्य चिकित्सा के प्रमाण
- चित्रित ईंट
- घरों में कुएं के अवशेष
- यज्ञ वेदियों के प्रमाण
- कालीबंगा की सभ्यता हङप्पा और मोहनजोदङो के समकालीन थी।
- ⋅कालीबंगा में प्राप्त मुहरों की लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है।
- कपास की खेती के सर्वप्रथम साक्ष्य कालीबंगा की सभ्यता में मिले है।
- विश्व का एकमात्र प्राचीनतम कृषि साक्ष्य ग्रिड प्रणाली से समकोण दिशा में जूता हुआ खेत प्राक् हङप्पा बस्ती के दक्षिण-पूर्व की ओर परकोटे के बाहर मिला है। इसमें जौ, गेहूँ एक साथ बोई जाती थी।
- कालीबंगा सभ्यता की लिपि दांई से बांई ओर लिखी जाती थी।
- ⋅कालीबंगा में जुते हुए खेत में दो प्रकार के खांचे (पाङे) थे। इसमें जो कम दूरी का था उसमें चना एवं अधिक दूरी के खांचे में सरसों बोई जाती थी।
- कालीबंगा सभ्यता के लोग शव का गाङते (दफनाते) थे।
- हङप्पा सभ्यता से सम्बन्धित कालीबंगा में भी रेत के टीले दिखाई देते है – पश्चिम मेें छोटा टीला जिसे ’गढ़ी क्षेत्र’ कहा जाता है। पूर्व में बङा टीला जिसे ’नगर क्षेत्र’ कहा जाता है।
- कालीबंगा के कब्रिस्तान के गड्ढे में सिर उत्तर दिशा में रखकर टिकाया हुआ मिला है।
- एक शव के साथ ताम्र दर्पण एवं कान के कुण्डल भी मिला है।
- कालीबंगा से जाने वाली पूर्व, पश्चिम एवं उत्तर दक्षिण की सङके एक दूसरे को समकोण पर काटती है (सङकों की चौड़ाई 7.2 मीटर थी।)
- ⋅कालीबंगा में भवनों के द्वार सङकों पर नहीं खुलते थे। ये सम्भवतः गलियों की तरफ खुलते थे।
- कालीबंगा में गली की चौड़ाई 1.8 मीटर थी।
- ⋅कालीबंगा में भवनों की छतें लकङी की बाल्लियों तथा मिट्टी से बनाई जाती थी।
- कालीबंगा की अन्य महत्त्वपूर्ण उपलब्धि बेलनाकार तन्दूर है।
- ⋅कालीबंगा में प्राप्त चूल्हे वर्तमान तन्दूर के समान है।
- हवनकुंड कालीबंगा में मिला है।
- मोहनजोदङो की भांति कालीबंगा में लिंग, मातृशक्ति आदि की मूर्तियां नहीं मिली जिससे यहां के निवासियों की धार्मिक भावना का पता नहीं चलता है।
- कालीबंगा में तंदूरों की प्रथा का होना ईरान व पश्चिमी एशिया से इस सभ्यता का संबंध होने का द्योतक है।
- राज्य सरकार द्वारा कालीबंगा में प्राप्त पुरावशेषों के संरक्षण हेतु यहां एक संग्रहालय की स्थापना कर दी गयी है।
कालीबंगा(Kalibangan sabhyata) से मिली प्रमुख सामग्री-
- मिट्टी से निर्मित केक
- बैल की खण्डित मूर्ति
- तामङे के मणके
- शंख की चूङी
- पक्की मिट्टी की खिलौना गाङी
- हड्डियों की बनी सलाइयां
- पत्थर के सिलबट्टे
- मिट्टी की गेंद
- तांबे का परशु
- मैसोपोटामिया की मोहर
- ऊंट की अस्थियां
- भग्न वैदिकाएं
- मृद भांड
कालीबंगा के निवासियों के प्रमुख पशु-
- बकरी
- गाय
- बैल
- भैंस
- सुअर
- भैंसा
- ऊंट
- कुत्ता
⇒ कुत्ता कालीबंगा सभ्यता का पालतू जानवर था।
⇒ ऐसी सम्भावना है कि भूंचाल, रेत की आंधी के कारण कालीबंगा स्थल रेत में दब गया जिसके कारण यह सभ्यता नष्ट हो गई।
कालीबंगा में शवों की अन्तयेष्टि के तीन प्रकार थे-
- पूर्ण समाधिकरण
- आंशिक समाधिकरण
- दाह संस्कार।