आज के आर्टिकल में हम लक्ष्मी पूजन(Laxmi Pujan) का महत्त्व और लक्ष्मी पूजन की विधि के बारे में विस्तार से जानने वाले है,दीपावली शुभ मुहूर्त,दीवाली आरती पूजन।
लक्ष्मी पूजा – Laxmi Pujan
लक्ष्मी माँ को धन की देवी कहा जाता है और हर कोई अपने घर में लक्ष्मी माँ को लाना चाहता है। इसलिए आप इस दीवाली माँ लक्ष्मी को खुश कर उन्हें अपने घर ला सकते है। इससे आपके घर में पैसा टिका रहेगा और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहेगी। काफी लोगों को ये समस्या होती है कि धन आता तो है, लेकिन रूकता नहीं, तुरंत खर्च हो जाता है।
इसके लिए उन्हें लक्ष्मी माँ की आराधना कर उन्हें खुश करना होगा ताकि उनकी कृपा से आपके घर में धन की कभी कमी न हो और पैसा टिका रहें। लक्ष्मी माँ के व्रत के लिए शुक्रवार का दिन शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस व्यक्ति पर लक्ष्मी माँ अपना आशीर्वाद रखती है उसके पास कभी धन की कमी नहीं रहती है। धन सभी दोष होने पर लक्ष्मी का व्रत सर्वोत्तम माना जाता है।
लक्ष्मी पूजन क्यों आवश्यक है?
जरूरी नहीं कि आप लक्ष्मी पूजन केवल दीपावली पर ही करें, आप इसे हर शुक्रवार भी कर सकते है। अगर आप इस पूजा को पूरे विधि-विधान से करेंगे तो आपको इस पूजा का फल तुरंत प्राप्त हो जाएगा। लक्ष्मी माँ के साथ, विष्णु भगवान और कुबेर की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।
लक्ष्मी पूजन में सामग्री का बहुत महत्वपूर्ण होता है। सभी सामग्री को इकट्ठा करके फिर पूजा शुरू की जाती है। बहुत से लोगों को पता नहीं होता कि लक्ष्मी माँ की पूजा कैसे की जाती है, पूजा के लिए किन-किन सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए आप नीचे सामग्री पढ़कर उनका इस्तेमाल कर पूजा करें। आपको इसका लाभ अवश्य मिलेगा।
अगर आप घर में लक्ष्मी पूजन करवा रहें है तो आप पूरे घर की अच्छे से सफाई कर लें और स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा में जलाने वाले दीपक और कलश को भी अच्छे से साफ करें।
लक्ष्मी पूजन का कारण
कार्तिक कृष्णपक्ष की अमावस्या के दिन दीपावली मनायी जाती है। यह भागवती महालक्ष्मी का उत्सव है। जिसे सम्पूर्ण भारत में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। दीपावली हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है। इस दिन लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए पहले से ही घर-बाहर को खूब साफ-सुथरा करके सजाया संवारा जाता है। सभी नए वस्त्र आभूषण धारण करते है। सभी सज-धजकर विशेषतया स्त्रियाँ खूब शंृगार करती है।
बच्चे उत्साह और उमंग से परिपूर्ण होकर पटाखे और आतिशबाजी छोड़ते है। धर्म ग्रंथों के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री रामचन्द्र जी चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर आसुरी वृत्तियों के प्रतीक रावण आदि असुरों का संहार करके आयोध्या लौटे थे। तब आयोध्या वासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएँ जलाकर महोत्सव मनाया था। इस दिन नये वर्ष का प्रथम दिन भी माना है।
इस शुभ दिन वैश्य लोग अपने बही-खाते बदलते हैं और अपने वर्षभर की लाभ-हानि का विवरण बनाते है।
इसी दिन समुद्र मंथन के समय क्षीर सागर से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थी और श्रीविष्णु भगवान को पति रूप में स्वीकार किया था।
कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का इन्द्र इसी दिन बनाया था। तब इन्द्र ने बड़े उत्साह से दीपावली मनाई कि मेरे स्वर्ग का सिंहासन बच गया।
लक्ष्मी पूजन कैसे करें
लक्ष्मी पूजन की सामग्रीे – Lakshmi Pujan Ki Samgri
लक्ष्मी पूजन के लिए 2 बड़े घी के दीपक, 11 छोटे तेल के दीपक, फूल, माला, कलश, लाल कपड़ा, गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्ति, पैसे, गहने, नारियल, 5 चांदी के सिक्के, चंदन, कुमकुम, इलायची, चावल, लौंग, आम और पान के पत्ते, जनेऊ, दुब, मोली, मिठाई, सुपारी, गंगा जल, जलपात्र, खील, पतासे, कमलगट्टे, सूखा मेवा, जावित्री, 5 प्रकार के फल, आरती की थाली, घी, सरसों का तेल, धूप, अगरबत्ती, कपूर और चौकी आदि सामग्री उपयोग में लाई जाती है।
लक्ष्मी पूजन करने की विधि – Lakshmi Puja Vidhi
सबसे पहले चौकी को अच्छी तरह धो या साफ करके इस पर लाल कपड़ा बिछाएं। कपड़े पर लक्ष्मी जी और गणेजी की मूर्तियाँ रखें। लक्ष्मी जी को ध्यान से गणेश जी के दाहिनी तरह ही बिठाएं और दोनों मूर्तियों का चेहरा पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ ही करें। अब मूर्तियों के आगे रूपये, गहने और 5 चांदी के सिक्के रख दें। इन पाँच चांदी के सिक्कों को कुबेर जी का रूप माना जाता है। अब कपड़े के ऊपर एक मुट्ठी चावल का ढेर लगाएं और उस पर पानी का कलश रख दें।
कलश के अंदर चंदन, दुब, पंचतंत्र, सुपारी और केले या आम के पत्ते डालकर मोली से बंधा हुआ नारियल कलश पर रख दें। कोई भी बर्तन में साफ पानी भरकर उसमें गंगा जल मिक्स करें और उसके मोली बना दें। इस जलपात्र को भी लाल कपड़े पर रख दें। यह सभी काम आपको शुभ महूर्त शुरू होने से पहले करने है। जब मुहूर्त शुरू हो जाए तो अपने पूरे परिवार को पूजा स्थान पर बुला लें।
अब सबसे पहले जलपात्र के अंदर एक फूल डालें और चौकी पर जल के छींटे दें। बाद में घर के सभी सदस्यों को भी जल के छींटे दें। अब जलपात्र से एक चम्मच पानी हथेली में लें और इस मंत्र को बोलकर उस पानी को पी लें-
लक्ष्मी पूजन का मन्त्र – Lakshmi Pujan Ka Mantra
ओम केशवाय् नमः
दोबारा एक चम्मच पानी हथेली में लें और इस मंत्र को बोलकर इसे पी लें-
ओम नारायणाय नम:
तीसरी बार हाथ में पानी लें और इस मंत्र को बोलकर इसे पी लें-
ओम माधवाय नम:
अब हाथ को स्वच्छ पानी से धो लें।
दो बड़े दीपकों के अंदर घी डालें और मूर्तियों के पास रखकर जला दें। तेल के एक दिया कलश के आगे रखें और जला दें। बाकि दस दीपकों को आप अपनी इच्छानुसार कहीं भी रख सकते है। अब गणेजी और लक्ष्मी जी के आगे दो फूल रख दें। एक फूल कलश के आगे रख दें और एक फूल चांदी के सिक्कों पर रख दें। बड़े घी वाले दीपकों के पास भी एक फूल रख दें। फिर छोटी सी मोली तोड़कर लक्ष्मी के गले में पहना दें। गणेश जी की मूर्ति को जनेऊ चढ़ा दें।
अब दोनों मूर्तियों, कलश, रूपयों, चांदी के सिक्कों और दीपकों को कुमकुम से तिलक करें। फिर अपने परिवार के सभी सदस्यों को भी कुमकुम का तिलक कर दें। अब लक्ष्मी जी के पैरों में अक्षत, कमलगट्टे, जावित्री और नारियल अर्पित करें। एक पान के पत्ते में इलायची, लौंग और सुपारी रखकर गणेश जी को अर्पित करें। फिर खीर, पतासे, मिठाई का भोग लगा दें। अब थाली के अंदर पंचमुखी दीपक जलाकर और फूल रखकर पहले गणेश जी की और बाद में लक्ष्मी माँ की आरती गाएँ।
पूजा करने के बाद खुद प्रसाद लें और सभी परिवार वालों को भी मिठाई बाँटे। बड़ों का आशीर्वाद लें और छोटों को इच्छानुसार उपहार दें। गणेश जी और माता जी की आरती घंटी बजाकर न करें। पूजा के दिन शाकाहारी भोजन का ही उपयोग करें। घर में झाडू कभी खड़ा करके ना रखें और रसोई में रात को झूठे बर्तन ना छोड़े।
दीवाली 2023 – Diwali 2023
हिन्दू पंचाग के अनुसार दीवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष कार्तिक अमावस्या 12 नवंबर 2023 को है. हिन्दू पंचाग के अनुसार इस दिन चंद्रमा का गोचर तुला राशि में होगा.
दीपावली 2023, शुभ मुहूर्त – Diwali 2023
- दीपावली पर्व: 12 नवम्बर 2023, सोमवार
- अमावस्या तिथि का प्रारम्भ: 12 नवम्बर 2023 को प्रात: 5:28 AM से.
- अमावस्या तिथि का समापन: 12 नवम्बर 2023 को 4:18PM बजे तक.
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त – Lakshmi Puja muhurat 2023
- दिनांक: 12 नवम्बर 2023, सोमवार , शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक
- अवधि समय: 1 घंटे 21 मिनट
- प्रदोष काल रहेगा : 05:50PM से 08:22PM तक
- वृषभ काल रहेगा: 18:10:29 से 20:06:20 तक
गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा। जय…..
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
मस्तक पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी।। जय……….
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।। जय……….
हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा।। जय………
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी है।
कामना को पूरी करो, जाऊँ बलिहारी है।। जय……..
लक्ष्मीजी की आरती
मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसिदिन सेवत,
हर विष्णु धाता।।
जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ।।
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता।।
जय लक्ष्मी माता.......
दुर्गा रूप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।।
जय लक्ष्मी माता........
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता।।
जय लक्ष्मी माता........
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता।।
जय लक्ष्मी माता........
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता।।
जय लक्ष्मी माता.......
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता।।
जय लक्ष्मी माता.....
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उर आंनद समाता,
पाप उतर जाता।।
जय लक्ष्मी माता......
ओम जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसिदिन सेवत,
हर विष्णु धाता।।
लक्ष्मी जी की कहानी – Lakshmi Ji ki Kahani
एक साहूकार के बेटी थी। वह हर रोज पीपल सींचने जाती थी। पीपल में से लक्ष्मी जी निकलती और चली जाती। एक दिन लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी से कहा- तू मेरी सहेली बन जा। तब लड़की ने कहा कि मैं अपने पिता से पूछकर कल आऊंगी। घर जाकर पिताजी को सारी बात कह दी। तो पिताजी बोले वह तो लक्ष्मीजी है। अपने को क्या चाहिए सहेली बन जा।
दुसरे दिन वह लड़की फिर गई। जब लक्ष्मी जी निकल कर आई और कहा सहेली बन जा तो लड़की ने कहा, बन जाऊंगी और दोनों सहेली बन गई। लक्ष्मीजी ने उसको खाने का न्यौता दिया। घर आकर लड़की ने माँ-बाप को कहा कि मेरी सहेली ने मुझे खाने का न्योता दिया है। तब बाप ने कहा कि सहेली के जीमने जाइयो पर घर संभाल कर जाइयो।
जब वह लक्ष्मी जी के यहां जीमने गई तो लक्ष्मी जी ने उसे शाल दुशाला ओढ़ने के लिए दिया, रूपये परखने के दिये, सोने की चौकी, सोने की थाली में छत्तीस प्रकार का भोज करा दिया। जीम कर जब वह जाने लगी तो लक्ष्मी जी ने पल्ला पकड़ लिया और कहा कि मैं भी तरे घर जीमने आऊंगी। तो उसने कहा आ जाइयो।
घर जाकर चुपचाप बैठ गई। तब बाप ने पूछा कि बेटी सहेली के यहां जीमकर आ गई ? और तू उदास क्यों बैठी है ? तो उसने कहा पिताजी मेरे को लक्ष्मी जी ने इतना दिया अनेक प्रकार के भोजन कराए परन्तु मैं कैसे जिमाऊंगी ? अपने घर में तो कुछ भी नहीं है। तब पिता ने कहा गोबर मिट्टी से चौका की सफाई कर ले। चार मुख लाल दीया जलाकर लक्ष्मीजी का नाम लेकर रसोई में बैठ जाइयो। लड़की सफाई करके लड्डू लेकर बैठ गई।
उसी समय एक रानी नहा रही थी। उसका नौलखा हार चील उठा कर ले गई और उसके यहाँ वह नौलखा हार डाल गई उसका लड्डू ले गई बाद में वह हार को तोड़कर बाजार में गई और सामान लाने लगी तो सुनार ने पूछा कि क्या चाहिए ? तब उसने कहा कि सोने की चौकी, सोने का थाल, शाल दुशाला दे दें, मोहर दें और सामग्री दें। छत्तीस प्रकार का भोजन हो जाए इतना सामान दें।
सारी चीजें लेकर बहुत तैयार की और रसोई बनाई तब गणेशजी से कहा कि लक्ष्मी जी को बुलाओ। आगे-आगे गणेशजी और पीछे-पीछे लक्ष्मीजी आई। उसने फिर चौकी डाल दी और कहा, सहेली चौकी पर बैठ जा।
जब लक्ष्मी जी ने कहा सहेली चौकी पर तो राजा रानी के भी नहीं बैठी, किसी के भी नहीं बैठी तो उसने कहा कि मेरे यहां तो बैठना पड़ेगा। फिर लक्ष्मीजी चौकी पर बैठ गई। साहूकार की बेटी ने कहा, मैं अभी आ रही हूँ। तुम यहीं बैठी रहना और वह चली गई। लक्ष्मीजी गई नहीं और चौकी पर बैठी रही। उसको बहुत दौलत दी। हे लक्ष्मीजी जैसा तुमने साहूकार की बेटी को दिया वैसा सबको देना। कहते सुनते, हुंकारा भरते अपने सारे परिवार को खुशियाँ देना। पीहर में देना, ससुराल में देना। बेटे पोते को देना। हे लक्ष्मी माता! सबका कष्ट दूर करना, दरिद्रता दूर करना, सबकी मनोकामना पूर्ण करना।
आज के अर्टिकल में हमनें लक्ष्मी पूजा(Lakshmi Puja) का महत्त्व और लक्ष्मी पूजन के बारे में जाना , हम आशा करतें है कि आपको अच्छी जानकारी मिली होगी …धन्यवाद