दोस्तों आज की पोस्ट में राष्ट्रपति की वीटो शक्तियाँ को विस्तार से बताया गया है ,हमें आशा है आप इसे
अच्छे से समझेंगे
राष्ट्रपति की वीटो शक्तियाँ(President’s veto powers)
भारतीय संविधान द्वारा राष्ट्रपति को स्पष्टतः वीटो शक्ति प्रदान नहीं की गयी है किन्तु संवैधानिक परम्परा
के रूप में राष्ट्रपति को अधोलिखित तीन प्रकार की वीटो शक्तियाँ प्राप्त हैं। यथा –
1. आत्यांतिक वीटो(Exorbitant veto)
जब किसी विधेयक पर राष्ट्रपति अपनी अनुमति नहीं देता है तब विधेयक का अस्तित्व समाप्त होा जाता है।
इसे आत्यांत्तिक वीटो या पूर्ण वीटो कहा जाता है। सामान्यतया इस वीटो शक्ति का प्रयोग गैर सरकारी विधेयकों
के सम्बन्ध में किया जाता है।
सरकारी विधेयकों के सम्बन्ध में इस शक्ति का प्रयोग तक सम्भव है जबकि विधेयक को पारित करने वाली
सरकार, विधेयक पर राष्ट्रपति की अनुमति के पूर्व अपना त्याग पत्र दे देती है तथा नयी सरकार विधेयक पर
अनुमति न देने की राष्ट्रपति से सिफारिश करती है।
ध्यातव्य है कि राष्ट्रपति की आत्यांतिक वीटो शक्ति मंत्रिमण्डल के इच्छाधीन होती है। सर्वप्रथम इस शक्ति
का प्रयोग 1954 में ’पेप्सू विनियोग विधेयक’ के मामले में,, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा
किया गया था।
2. निलम्बनकारी वीटो(Suspense veto)
अनुच्छेद 111 के तहत राष्ट्रपति किसी विधेयक को (धन विधेयक तथा संविधान संशोधन विधेयक के सिवाय)
संसद को पुर्विचार के लिए वापस कर सकता है।
लौटाये जाने का प्रभाव सिर्फ अनमति का निलम्बन होता है क्योंकि संसद द्वारा पुनःपारित कर दिये जाने पर
राष्ट्रपति अनुमति देने के लिए बाध्य होता है। अतः इसे निलम्बनकारी वीटो कहा जाता है।
इस शक्ति का प्रयोग सर्वप्रथम 1991 में राष्ट्रपति वेंकटरमन ने ’संसद सदस्यों के ’वेतन, भत्ते तथा पेंशन (संशोधन)
विधेयक’ के सम्बन्ध में किया था।
तत्पश्चात् 1997 में डाॅ. के. आर. नारायण ने उत्तर प्रदेश एवं बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने सम्बन्धी प्रस्ताव के
सम्बन्ध में तथा 2006 में डाॅ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने ’सांसद (अयोग्यता निवारण) संशोधन विधेयक’ के सम्बन्ध
में इस शक्ति का प्रयोग किया था।
3. जेबी वीटो(JB veto)
संविधान के तहत् किसी विधेयक पर राष्ट्रपति द्वारा अनुमति देने या देने के लिए किसी समय-सीमा का प्रतिबन्ध नहीं है।
अतः जब राष्ट्रपति किसी विधेयक पर अपनी अनुमति नहीं देता है या पुनर्विचार के लिए संसद को वापस नहीं करता है
तब वह जेबी वीटो शक्ति’ का प्रयोग करता है।
इस शक्ति का प्रयोग सर्वप्रथम राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने 1986 में ’भारतीय डाक (संशोधन) विधेयक’ के सम्बन्ध
में किया था।
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