आज के आर्टिकल में हम राजस्थान निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम – RTE 2011(Rajasthan Nishulk Shiksha Adhikar Adhiniyam 2011) के बारे में विस्तार से पढेंगे।
राजस्थान निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार – 2011
’’निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार 2009 की धारा-38 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार द्वारा RTE Act 2009 के प्रावधानों को लागू करने हेतु ’’राजस्थान: शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2011’’ बनाया जिसे 29 मार्च 2011 को अधिसूचित किया गया।’’
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- यह नियम RTE Act 2009 की धारा- 38 के प्रावधानों के तहत बनाया गया।
- इस नियम की अधिसूचना – 29 मार्च 2011 को जारी की गयी।
- इस अधिनियम में 10 भाग एवं 29 नियमों (10 अध्याय एवं 29 धाराएँ) है।
इस अधिनियम की 29 धाराएँ निम्नानुसार है –
धारा – 1 | इसमें नियमों का नाम का उल्लेख है। |
धारा – 2 | परिभाषाएँ |
धारा – 3 | विद्यालय प्रबन्धन समिति की संरचना और कार्य |
धारा – 4 | विद्यालय प्रबन्धन समिति की कार्यकारी समिति |
धारा – 5 | विद्यालय योजना को तैयार करना (तीन वर्षीय योजना) |
धारा – 6 | बालकों के विशेष प्रशिक्षण (प्रशिक्षण अवधि न्यूनतम 3 माह अधि. 2 वर्ष।) |
धारा – 7 | विद्यालय के आसपास का क्षेत्र या सीमाएँ |
धारा – 8 | राज्य सरकार और स्थानीय प्राधिकारी का उत्तरदायित्व |
धारा – 9 | स्थानीय प्राधिकारी घरेलु सर्वेक्षण के माध्यम से बालकों के जन्म से 14 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक का एक रिकाॅर्ड रखेगा। |
धारा – 10 | कमजोर वर्ग के बालकों को निःशुल्क प्रवेश (25 प्रतिशत) |
धारा – 11 | राज्य सरकार द्वारा प्रति बालक खर्च की प्रतिपूर्ति। |
धारा – 12 | आयु संबंधी दस्तावेज। |
धारा – 13 | प्रवेश की समयावधि (शैक्षणिक वर्ष के प्रारंभ की तारीख से 6 महीने तक)। |
धारा – 14 | विद्यालयों को मान्यता |
धारा – 15 | विद्यालयों की मान्यता वापस लेना |
धारा – 16 | विद्यालयों हेतु न्यूनतम योग्यता/शर्तें |
धारा – 17 | न्यूनतम योग्यताओं/शर्तों में शिथिलिकरण |
धारा – 18 | न्यूनतम योग्यताओं/शर्तों को अर्जित करना (5 वर्ष की अवधि के भीतर)। |
धारा – 19 | अध्यापकों के वेतन, भत्ते, सेवा के नियम एवं शर्तें |
धारा – 20 | अध्यापकों के कर्तव्य |
धारा – 21 | छात्र – शिक्षक अनुपात बनाए रखना (प्रत्येक विद्यालय में)। |
धारा – 22 | शैक्षणिक प्राधिकारी के कार्य |
धारा – 23 | प्रमाण-पत्र प्रदान करना |
धारा – 24 | अध्यापकों हेतु शिकायत निवारण तन्त्र |
धारा – 25 | बालकों/माता-पिता की शिकायत का निवारण |
धारा – 26 | राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के कर्तव्यों का निर्वहन |
धारा – 27 | राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष परिवाद प्रस्तुत की रीति |
धारा – 28 | राज्य सलाहकार परिषद् का गठन एवं इसके कर्तव्य। |
धारा – 29 | शंकाओं का निराकरण। |
अब हम को विस्तार से पढेंगे –
2011 के अधिनियम में 10 भाग एवं 29 धाराएँ
भाग – 1 प्रारम्भिक
धारा – 1 संक्षिप्त नाम, प्रसार और प्रारम्भ
(1) इन नियमों का नाम ’’राजस्थान निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम-2011’’ है।
(2) तुरन्त प्रभाव से प्रभावी होंगे।
(3) ये सम्पूर्ण राज्य में लागू होंगे।
धारा – 2 परिभाषाएँ
(1) अधिनियम से आशय – निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 (केन्द्रीय कानून संख्या 35) अभिप्रेरित है।
(2) आंगनबाङी का अर्थ भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा एकीकृत बाल विकास सेवाओं के तहत स्थापित आंगनबाङी केन्द्र से है।
(3) ब्लाॅक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी (BEEO) का होगा ब्लाॅक में प्रारम्भिक शिक्षा का प्रभारी अधिकारी।
(4) निःशक्त बालक का अर्थ होगा विकलांग अधिनियम 1995 के उल्लेखित बालक।
(5) निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा का अर्थ होगा प्रारम्भिक शिक्षा का विभागाध्यक्ष।
(6) जिला प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी का अर्थ होगा जिले में प्रारम्भिक शिक्षा का प्रभारी अधिकारी।
(7) ’जिला’ का अर्थ होगा राज्य का राजस्व जिला।
(8) ’कार्यकारी समिति’ का अर्थ होगा विद्यालय के दैनिक प्रबंधन के लिए गठित कोई विद्यालय प्रबंधन समिति।
(9) ’प्राथमिक विद्यालय’ का अर्थ होगा कक्षा 1 से 5 तक का विद्यालय।
(10) ’विद्यार्थी संचयी लेखा’ का अर्थ होगा सतत एवं व्यापक मूल्यांकन CCE के तहत संधारित रिकाॅर्ड।
(11) ’’राजस्थान गैर राजकीय शिक्षण संस्थान प्राधिकरण’’ का अर्थ होगा राज्य सरकार द्वारा अधिनियम 1989 के तहत स्थापित प्राधिकरण।
(12) ’विद्यालय प्रबंधन समिति’ का अर्थ होगा धारा 21 के अधीन गठित समिति।
(13) ’शाला मानचित्रण’ का अर्थ होगा सामाजिक व भौगोलिक बाधाओं को दूर करने के उद्देश्य से विद्यालय स्थिति की योजना।
(14) ’अनुभाग’ का अर्थ होगा अधिनियम का अनुभाग।
(15) ’राज्य’ का अर्थ होगा राजस्थान राज्य।
(16) उच्च प्राथमिक विद्यालय का अर्थ होगा कक्षा 1 से 8 तक शिक्षा प्रदान करने वाले विद्यालय। इन परिभाषाओं के अलावा अन्य शब्दों का अर्थ Act 2009 के समान ही माना जाएगा।
भाग – 2 विद्यालय प्रबंधन संमिति
धारा – 3: विद्यालय प्रबंधन समिति की संरचना एवं कार्य
(1) गैर-सहायता प्राप्त विद्यालयों के अलावा प्रत्येक विद्यालय में एक SMC का गठन किया जाएगा जिसका प्रत्येक दो वर्ष पश्चात् पुनर्गठन किया जाएगा।
उक्त समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे –
(क) विद्यालय में अद्यनरत प्रत्येक बालक का माता-पिता/ संरक्षक।
(ख) विद्यालय में कार्यरत समस्त अध्यापक।
(ग) स्थानीय प्राधिकारी के उस वार्ड, जिसमें विद्यालय स्थित है, से निर्वाचित व्यक्ति।
(घ) स्थानीय प्राधिकारी के उस ग्राम/वार्ड, जिसमें विद्यालय स्थित है, में निवास कर रहे समस्त अन्य निर्वाचित सदस्य।
(3) कार्यकारी समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य सचिव उक्त समिति के क्रमशः अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य सचिव होंगे।
(4) उक्त समिति प्रत्येक तीन माह में कम से कम एक बार अपनी बैठक करेगी और बैठकों के कार्यवृत्त और विनिश्चय समुचित रूप से अभिलिखित किये जायेंगे और जनता के लिए उपलब्ध कराये जायेंगे।
(5) उक्त समिति, धारा 21 की उपधारा (2) के खण्ड (क) से (घ) में विनिर्दिष्ट कार्यों के अतिरिक्त निम्नलिखित कार्यों का पालन करेगी।
(क) अधिनियम में यथा-प्रतिपादित बालक के अधिकारों के साथ ही समुचित सरकार, स्थानीय प्राधिकारी विद्यालय, माता पिता और संरक्षक के कर्तव्यों को भी विद्यालय के आसपास की जनसाधारण को सरल और सृजनात्मक रूप से ससूचित करना।
(ख) धारा 24 के खण्ड (क) और (ङ) तथा धारा 28 का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
(ग) धारा 27 की अनुपालना को मानीटर करना।
(घ) विद्यालय में आसपास के सभी बालकों के नामांकन और निरन्तर उपस्थिति को सुनिश्चित करना।
(ङ) अनुसूची में विनिर्दिष्ट सन्नियमों और मानकों को बनाये रखने को माॅनीटर करना।
(च) बालक के अधिकारों से किसी विचलन को, विशेष रूप से बालकों के मानसिक और शारीरिक उत्पीङन, प्रवेश से इन्कार किये जाने और धारा 3 की उपधारा (2) के अनुसार निःशुल्क हकदारियों के समयबद्ध उपबन्ध को स्थानीय प्राधिकारी की जानकारी में लाना।
(छ) आवश्यकताओं का पता लगाना, योजना तैयार करना और धारा 4 के उपबन्धों के कार्यान्वयन को मानीटर करना, नामांकन तथा उनकी (झ) विद्यालय में दोपहर के।
(ज) निःशक्ताग्रस्त बालकों की पहचान और शिक्षा की सुविधाओं को मानीटर करना और प्रारम्भिक शिक्षा में उनके भाग लेने और उसे पूरा करने को सुनिश्चित करना।
(झ) विद्यालय में दोपहर के भोजन के कार्यान्वयन को मानीटर करना।
(ञ्)विद्यालय की प्राप्तियों और व्यय का वार्षिक लेखा तैयार करना।
(6) इस अधिनियम के अधीन अपने कार्यों का निवर्हन करने के लिए उक्त समिति द्वारा प्राप्त किसी धनराशि को पृथक खाते में रखा जायेगा, जिसकी वार्षिक रूप से संपरीक्षा की जायेगी।
(7) उप-नियम (5) के खण्ड (ञ्) में और उप-नियम (6) में निर्दिष्ट लेखाओं को उक्त समिति के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष और सदस्यसचिव द्वारा हस्ताक्षरित किया जायेगा और उनके तैयार किये जाने के एक माह के भीतर स्थानीय प्राधिकारी को उपलब्ध कराया जायेगा।
धारा – 4 : विद्यालय प्रबंधन समिति की कार्यकारी समिति –
- समिति के कार्य के सुचारू रूप से चलाने के लिए समिति की एक 16 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति होगी। इसमें से तीन न्यूनतम चैथाई (75 प्रिितशत) सदस्य माता-पिता या संरक्षकों में से होंगे तथा अधिकतम 5 सदस्य पदेन/मनोनीत अन्य व्यक्ति होंगे।
- कार्यकारिणी के सदस्यों में 50 प्रतिशत महिलाएँ अर्थात् कम से कम 8 महिलाएँ आवश्यक रूप से होगी जिसके पदाधिकारी एवं सदस्यों का निर्वाचन/मनोनयन नियम 12 के अनुसार किया जायेगा।
- कार्यकारिणी की समिति में माता-पिता या संरक्षक सदस्यों का निर्वाचन प्रत्येक वर्ष के प्रारंभ में नामांकन प्रक्रिया पूर्ण होने पर 14 अगस्त से पूर्व साधारण सभा द्वारा किया जायेगा।
कार्यकारिणी समिति के अन्य पदाधिकारी निम्न होंगे –
पद | चयन प्रक्रियापूर्ण |
1. अध्यक्ष | समिति की साधारण सभा द्वारा उसके माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति हेतु निर्वाचित 11 सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति के सदस्यों द्वारा निर्वाचित। |
2. उपाध्यक्ष | समिति की साधारण सभा द्वारा उसके माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति हेतु निर्वाचित 11 माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति के सदस्यों द्वारा निर्वाचित। |
3. सदस्य (11) अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष सहित | साधारण सभा द्वारा उसके माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति हेतु निर्वाचित 11 सदस्य, जिनमें से कम से कम 6 महिलाएं, 1 अनुसूचित जाति व असूचित जन जाति से संबंधित हो। |
4. पदेन सदस्य (1) | ग्राम पंचायत/नगर पालिका के जिस वार्ड में विद्यालय स्थित है, उस वार्ड को पंच/पार्षद |
5. पदेन सदस्य सचिव (1) | प्रधााध्यापक/प्रधानाध्यापक के न होने पर वरिष्ठतम अध्यापक/प्रबोधक |
6. निर्वाचित अध्यापक (1) | विद्यालय अध्यापकों द्वारा समिति हेतु निर्वाचित एक अन्य महिला अध्यापक/प्रबोधक (यदि उपलब्ध हो) अन्यथा पुरुष अध्यापक/प्रबोधक |
7. मनोनीत सदस्य (2) | विद्यालय परिपेक्ष के विधान सभा द्वारा नामित ऐसे दो व्यक्ति (जिसमें कम से कम एक महिला हो तथा एक माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से हो) जो ग्रामीण क्षेत्र हेतु उस राजस्व ग्राम/शहरी क्षेत्र हेतु उस वार्ड का निवासी हो। जिसमें विद्यालय स्थित है अथवा समिति के माता-पिता या संरक्षक सदस्यों द्वारा मनोनीत स्थानीय शिक्षा शास्त्री अथवा विद्यालय का बालक। मनोनयन में प्रथम प्राथमिकता विधानसभा सदस्य द्वारा नामित व्यक्तियों को दी जावें, लेकिन मनोनयन से पूर्व विधान सभा सदस्य द्वारा नामित व्यक्तियों की उनसे लिखित में स्वीकृत लिया जाना आवश्यक होगा। मनोनयन में द्वितीय प्राथमिकता विद्यालय परिक्षेत्र के निवासी राष्ट्रीय/राज्य स्तर पर पुरस्कार प्राप्त शिक्षक को दी जावें। |
नोट – कार्यकारिणी समिति में महिला सदस्यों का निर्वाचन/मनोनयन इस 8 महिलाएं आवश्यक रूप से रहे।
धारा – 5 विद्यालय विकास योजना तैयार करना
- जिस वित्तीय वर्ष में SMC का गठन हुआ है, उस वित्तीय वर्ष की समाप्ति के कम से कम तीन माह पूर्व एक विद्यालय विकास योजना का निर्माण SMC द्वारा किया जाएगा। यह योजना तीन वर्षीय योजना होगी, जिसमें तीन वार्षिक उप-योजनाएं होंगी।
भाग – 3 निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार
धारा – 6 : विशेष प्रशिक्षण
- राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी के अधीन संचालित विद्यालय की SMC द्वारा विशेष प्रशिक्षण की अपेक्षा करने वाले बालकों की पहचान करेगी और उनके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करेगी।
- प्रशिक्षण की अवधि न्यूनतम 3 माह तथा अधिकतम 2 वर्ष होगी।
- आयु अनुरूप कक्षा में प्रवेश करने के पश्चात् बालक विशेष प्रशिक्षण के पश्चात् अध्यापक द्वारा विशेष ध्यान प्राप्त करता रहेगा।
भाग – 4 राज्य सरकार और स्थानीय प्राधिकारी के कर्तव्य और उत्तरदायित्व
धारा – 7 : विद्यालय के आसपास का क्षेत्र या सीमाएँ
राज्य सरकार द्वारा स्थापित किये जाने वाले विद्यालय के क्षेत्र की सीमाएँ इस प्रकार होगी –
(1) कक्षा 1 से 5 तक के बालकों हेतु विद्यालय आसपास की एक किमी. पैदल दूरी के अंदर स्थापित किया जाएगा। के बालकों के लिए विद्यालय आसपास की 2 किमी. की पैदल दूरी के भीतर स्थापित किया जायेगा।
(2) कक्षा 6 से 8 तक के बालकों के लिए विद्यालय आसपास की 2 किमी. की पैदल दूरी के भीतर स्थापित किया जायेगा।
कठिन और दूरस्थ क्षेत्रों जैसे रेगिस्तानी, पहाङी, कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों हेतु निम्न प्रकार विद्यालय स्थापित करेगा।
(1) कक्षा 1 से 5 तक का विद्यालय क्षेत्र की न्यूनतम जनसंख्या 150 व्यक्ति हो तथा 6 से 11 वर्ष आयु वर्ग के न्यूनतम 20 बालक हों।
(2) कक्षा 6 से 8 तक के विद्यालय हेतु दो निकटतम पोषक प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 5 में न्यूनतम 30 बालक हों। सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बालकों की संख्या को ध्यान में रखते हुए एक से अधिक विद्यालय भी स्थापित किए जा सकते हैं।
धारा – 8 : राज्य सरकार और स्थानीय प्राधिकारी के उत्तरदायित्व
- आसपास के विद्यालयों का अवधारण करने और उनकी स्थापना करने के प्रयोजन के लिए राज्य सरकार व स्थानीय प्राधिकारी योजना तैयार करेंगे तथा दूरस्थ क्षेत्रों, निःशक्त, अलाभप्रद बालकों, कमजोर वर्ग के बालकों की प्रत्येक वर्ष पहचान करेगा।
- सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि विद्यालय में कोई बालक जाति, धर्म, वर्ग, लिंग संबंधी दुव्र्यवहार या अन्य शारीरिक व मानसिक उत्पीङन का शिकार न हो।
- बालकों को निःशुल्क शिक्षा, पाठ्यपुस्तक तथा सहायक सामग्री दी जाएगी, साथ ही निःशक्तता से ग्रस्त कोई बालक निःशुल्क विशेष शिक्षा व सहायक सामग्री का हकदार भी होगा।
धारा – 9 : स्थानीय प्राधिकारी द्वारा बालकों के अभिलेखा का रखा जाना।
- स्थानीय प्राधिकारी अपने क्षेत्र के सभी बालकों के घरेलू सर्वेक्षण के माध्यम से जन्म से लेकर 14 वर्ष की आयु तक का एक अभिलेख रखेगा।
भाग – 5 विद्यालयों और अध्यापकों के उत्तरदायित्व
धारा – 10 : कमजोर वर्ग और अलाभप्रद समूह के बालकों का प्रवेश
- 25 प्रतिशत सीटों पर लाॅटरी द्वारा प्रवेश तथा कमजोर बच्चों को कक्ष में अन्य बालकों से पृथक नहीं रखा जाएगा।
धारा – 11 : राज्य सरकार द्वारा प्रति बालक व्यय की प्रतिपूर्ति
- भौतिक सत्यापन के बाद निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा की अनुशंसा अनुसार सरकार द्वारा RTE में निःशुल्क प्रवेश वाले 25 प्रतिशत बच्चों की फीस तथा अन्य व्यय की प्रतिपूर्ति सम्बन्धित विद्यालय को की जाएगी।
धारा – 12 : आयु के सबूत के लिए दस्तावेज
- जन्म प्रमाण पत्र
- अस्पताल/सहायक नर्स और दाई (ANM) रजिस्टर अभिलेख
- आँगनबाङी अभिलेख
- माता-पिता या संरक्षक द्वारा बालक की आयु की घोषणा।
धारा – 13 : प्रवेश के लिए अतिरिक्त/विस्तारित समयावधि –
- प्रवेश के लिए विस्तारित समयावधि विद्यालय के शैक्षणिक वर्ष के प्रारम्भ की तारीख से 6 माह होगी। यदि किसी बालक को विस्तारित समयावधि के पश्चात् किसी विद्यालय में प्रवेश दिया जाता है, वहाँ वह विद्यालयय के प्रधानाध्यापक द्वारा विशेष प्रशिक्षण की सहायता से अध्ययन पूरा करने के लिए पात्र होगा।
धारा – 14 : विद्यालयों को मान्यता –
- केन्द्र सरकार, समुचित सरकार स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित, उनके स्वामित्वाधीन किसी विद्यालय से भिन्न कोई विद्यालय राजस्थान गैर-सरकारी शैक्षिक संस्थान अधिनियम 1989 के अधीन मान्यता प्राप्त किये बिना स्थापित नहीं किया जायेगा।
धारा – 15 : विद्यालय की मान्यता वापस लेना
- राजस्थान गैर-सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम 1989 के अधीन मान्यता कभी भी वापस ली जा सकती है।
भाग – 6 अध्यापक
धारा -16 : न्यूनतम अर्हता
- RTE Act 2009 की धारा 23 की उपधारा (1) के प्रावधान लागू होंगे।
धारा -17 : न्यूनतम अर्हता का शिथिलीकरण
- यदि राज्य के पास अध्यापक शिक्षण में पाठ्यक्रम या प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए पर्याप्त संस्थाएँ नहीं है तो वहां सरकार न्यूनतम शैक्षिक अर्हताओं में छूट दे सकती है।
धारा – 18: न्यूनतम अर्हताओं का अर्जित किया जाना।
- इसके अनुसार अधिनियम लागू होने की दिनांक से 9 वर्ष तक निर्धारित योग्यता अर्जित करनी होगी।
धारा- 19 : अध्यापकों के वेतन, भत्ते, सेवा शर्तें
- राजस्थान शिक्षा अधीनस्थ सेवा नियम 1971, राजस्थान पंचायती राज नियम – 1996 और राजस्थान पंचायती राज प्रबोधक सेवा नियम-2008 के अनुसार अध्यापकों के वेतन, भत्ते तथा सेवा शर्तों के प्रावधान रहेंगे।
धारा- 20 : अध्यापकों द्वारा अनुपालन किये जाने वाले कर्तव्य
- प्रत्येक बालक के लिए शिष्य संचारी अभिलेख का संधारण करना जो विनिर्दिष्ट शिक्षा पूर्ण होने का प्रमाण पत्र देने का आधार होगा।
धारा 24, धारा 29 के अनुसार कार्य। - प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेना।
- पाठ्यचर्या निर्माण और पाठ्यक्रम विकास, प्रशिक्षण माॅड्यूल तथा पाठ्यपुस्तक विकास में भाग लेना।
धारा – 21 : प्रत्येक विद्यालय में छात्र-अध्यापक अनुपात बनाए रखना
- शिक्षक छात्र अनुपात मापदण्डानुसार विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी।
भाग – 7 पाठ्यचर्या और प्रारम्भिक शिक्षा का पूरा होना
धारा – 22 : शैक्षणिक प्राधिकारी
- RTE Act की धारा 29 के प्रयोजनों हेतु राज्य में ’’राज्य शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान’’ को शैक्षणिक प्राधिकारी बनाया गया है जो पाठ्यकर्म निर्माण एवं मूल्यांकन प्रक्रिया हेतु कार्य करेगा।
धारा – 23 : प्रमाण पत्र प्रदान करना
- प्रारम्भिक शिक्षा पूर्णता प्रमाण पत्र एक मास के भीतर विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा जारी किया जायेगा।
भाग – 8 शिकायत निवारण
धारा – 24 : अध्यापकों के लिए शिकायत निवारण तंत्र
राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित, स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन विद्यालयों में अध्यापकों की शिकायतों के निवारण के लिए व्यवस्था निम्न प्रकार से होगी।
1. ब्लाॅक स्तरीय शिकायत निवारण समिति
- अध्यक्ष ब्लाॅक विकास अधिकारी (BDO)
- सदस्य (BEEO)
- सदस्य सचिव अतिरिक्त ब्लाॅक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी
- कोई भी अध्यापक ब्लाॅक स्तरीय शिकायत निवारण समिति के निर्णय से संतुष्ट नहीं होने पर जिला स्तरीय शिकायत निवारण समिति में अपील कर सकेगा।
2. जिला स्तरीय शिकायत निवारण समिति
- अध्यक्ष – मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) जिला परिषद
- सदस्य जिला – प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी
- सदस्य सचिव – अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी
- इन दोनों समितियों की प्रत्येक तीन मास में कम से कम एक बैठक करनी होगी।
धारा – 25 : बालकों/माता-पिता की शिकायत का निवारण
- बालक एवं माता-पिता/संरक्षक द्वारा अधिनिम के उपबंधों के पालना नहीं होने तथा अतिक्रमण से उत्पन्न शिकायत सीधे SMCअध्यक्ष को की जायेगी, जिसका निवारण SMC की बैठक में किया जाएगा।
- समुचित प्राधिकारी कार्यवाही करेगा और तीन मास से कम की समयावधि के भीतर आवेदक को सूचित करेगा। आवेदक SMC कार्यवाही से संतुष्ट न होने पर राज्य बाल अधिकार आयोग/राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में जा सकता है।
भाग – 9 बाल अधिकारों का संरक्षण
धारा- 26 : राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा कृत्यों का निर्वहन
- राज्य सरकार राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों के निर्वहन में सहायता करने के लिए एक प्रकोष्ठ गठित कर सकेगी।
धारा- 27 : राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष परिवादों को प्रस्तुत करने की रीति
- राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम के अधीन बाल अधिकारों के अतिक्रमण के सम्बन्ध में परिवादों के रजिस्ट्रीकरण के लिए एक चाइल्ड हेल्प लाइन की स्थापना कर सकेगा जो उसके द्वारा आॅनलाइन तंत्र के माध्यम से मानीटरिंग की जा सकेगी।
धारा – 28 : राज्य सलाहकार परिषद का गठन और उसके कृत्य
- अधिनियम के उपबंधों को प्रभावी तरीके से क्रियान्वित करने हेतु राज्य सरकार को राय देने हेतु राज्य सरकार एक राज्य सलाहकार परिषद् का गठन करेगी जिसमें कुल 15 सदस्य होंगे। (जिसमें एक अध्यक्ष व 14 सदस्य होंगे।)
भाग – 10 प्रकीर्ण
धारा – 29 : शंकाओं का निराकरण
- किसी भी विषय पर शंका उत्पन्न होने पर मामला सरकार के शिक्षा विभाग’ को निर्दिष्ट किया जायेगा जिसका उस पर विनिश्चय अंतिम और बाध्यकारी होगा।
FAQ –
1. राजस्थान सरकार द्वारा RTE Act 2009 की किस धारा के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर ’’राजस्थान निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2011’’ बनाये गये ?
2. राजस्थान निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम-2011’’ में कितने भाग तथा नियमों का उल्लेख दिया गया है ?
3. राजस्थान निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2011 कब अधिसूचित किया गया ?
4. राजस्थान RTE नियम 2011 में प्राथमिक विद्यालय से आशय किस स्तर की कक्षाओं के विद्यालय से है ?
5. राजस्थान RTE नियम-2011 के किस नियम में विद्यालय प्रबन्धन कार्यकारिणी समिति का उल्लेख है ?
6. राजस्थान RTE नियम-2011 के तहत प्राथमिक विद्यालयों के मध्य कितनी दूरी होनी चाहिए ?
7. राजस्थान RTE नियम है। 2011 के भाग 5 में किसका उल्लेख है –
8. RTE Act का पूरा क्या है ?
9. राजस्थान निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2011 के किस भाग में विद्यालय प्रबन्धन समिति का उल्लेख है ?
10. प्राथमिक विद्यालयों की अंतिम प्रतिपूर्ति करने से पहले बच्चों के नामांकन का सत्यापन कौन कर सकता है ?
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