आज के आर्टिकल में हम संचार किसे कहते है(Sanchar kise kahate hai) ,संचार का अर्थ (Sanchar ka Arth) ,संचार के प्रकारों (Sanchar ke Parkar) के बारे में विस्तार से पढेंगे।
संचार किसे कहते है – Sanchar Kise Kahate Hain
एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति तक सूचनाओं का आदान प्रदान करने की कला संचार(Sanchar) कहलाती है या हम ऐसा भी कह सकते है कि संचार एक ऐसी घटना है जो दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य घटित होती है। हम संचार के माध्यम से अपनी अभिव्यक्तियों, इच्छाओं और सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते है। संचार आंग्ल भाषा के मीडिया (Media) शब्द का हिंदी रूपान्तरण है। मीडिया शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है- मध्य या बीच में।
संचार के तत्व कौनसे है ?
1. मैसेज- मैसेज वह जानकारी है जो भेजने वाले और प्राप्त करने वाले के बीच में आदान-प्रदान की जाती है।
2. प्रेषक- जो संदेश को प्रेषित करता है यानी जो संदेश को भेजता है उसे प्रेषक कहते है। संचार में भेजने वाली की प्रमुख भूमिका होती है।
3. माध्यम- भेजने वाला संदेश को भेजने के लिए जिस वस्तु का प्रयोग करता है उसे माध्यम कहते है। ये भेजने वाले और प्राप्त करने वाले को जोङने का कार्य करता है। रेडियो, समाचार, फैक्स, ई-मेल, मोबाइल आदि संचार के अंतर्गत आते है।
4. प्राप्तकर्ता- जिस व्यक्ति को मैसेज भेजा जाता है उसे प्राप्तकर्ता कहते है। सामान्य भाषा में कहें तो जो व्यक्ति संदेश को प्राप्त करता है, वह प्राप्तकर्ता होता है।
5. फीडबैक- जब प्राप्तकर्ता संदेश को प्राप्त करने के बाद उस विचार कर संचार के माध्यम से उस संदेश का जवाब देता है तो उसे फीडबैक कहते है। फीडबैक सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का हो सकता है और संचार क्रियाविधि में बहुत महत्वपूर्ण होता है।
संचार के प्रकार
1. मौखिक संचार
2. लिखित संचार
3. अमौखिक संचार
4. औपचारिक और अनौपचारिक संचार
5. अंतर वैयक्तिक संचार
6. अंतः वैयक्तिक संचार
7. जनसंचार
1. मौखिक संचार- संचारक द्वारा किसी भी सूचना अथवा संवाद का मुख से उच्चारण कर संवाद प्राप्तकर्ता को प्रेरित करने के लिए मौखिक संचार का प्रयोग करते है यानी जो सूचना या संदेश लिखित ना होकर मुख से उच्चारण कर संवाद प्राप्तकर्ता को बताया जाए उन्हें मौखिक संचार कहा जाता है। रेडियो, दूरदर्शन, दूरभाष, सम्मेलन या सभाएँ इसके अन्तर्गत आती है।
2. लिखित संचार- यह एक औपचारिक संचार है जिसमें सूचनाओं का आदान-प्रदान लिखित रूप से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को भेजा जाता है। इसके अन्तर्गत बुलेटिन बोर्ड, पुस्तकें, डायरियाँ और समाचार पत्र आते है।
3. अमौखिक संचार- ये न तो लिखित संचार है और न ही लिखित। इसमें एक व्यक्ति अपने शारीरिक हावभाव से या अपने हाथों इधर-उधर घुमाकर संकेत देता है।
4. औपचारिक और अनौपचारिक संचार-
औपचारिक संचार वो संचार है जिसमें सभी नियम पहले से ही निर्धारित होते है और इन्हीं नियमों का प्रयोग करते हुए हमें संचार करना होता है। औपचारिक संचार मौखिक या लिखित होते है और इनका प्रयोग हम अधिकतर स्कूल, काॅलेज तथा आॅफिस में करते है। लिखित औपचारिक संचार में लेटर, ई-मेल और फैक्स आते है और मौखिक औपचारिक संचार में मीटिंग, इंटरव्यू आदि आते है।
अनौपचारिक संचार में हम नियमों का पालन नहीं करते है। इस प्रकार का संचार हम अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों, परिजनों आदि से करते है।
5. अंतर वैयक्तिक संचार- जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के साथ बातचीत करता है तो उसे अंतः वैयक्तिक संचार कहते है। ये बातचीत आमने-सामने बैठकर या फोन पर भी हो सकती है। इस संचार प्रक्रिया में संदेशों का प्रेषण मौखिक और लिखिति दोनों हो सकता है। इस संचार में फीडबैक तुरंत मिल जाता है।
6. अंतः वैयक्तिक संचार- यह संचार की वह प्रक्रिया में जिसमें व्यक्ति स्वयं से ही संचार करता है। यह एक मनोवैज्ञानिक संचार है जिसमें मानव व्यक्तिगत चिंतन-मनन करता है। जब कोई व्यक्ति कोई बात सोचता है या कोई सपना देखता है तो ये गतिविधियाँ अंतः वैयक्तिक संचार है।
7. जन संचार- यह संचार का वह माध्यम है जिसके द्वारा कोई भी संदेश अनेक माध्यमों के द्वारा जन समुदाय तक पहुँचाया जाता है। जन समुदायों की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने में जन संचार की महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्तमान समय में जन संचार के अनेक माध्यम है जैसे- समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन और इंटनेट आदि।
संचार की बाधाएं
1. भाषा की जटिलता- अगर संचार में ऐसी भाषा का प्रयोग किया जाए जो प्राप्तकर्ता द्वारा समझी ना जा सके तो संचार में जटिलता उत्पन्न हो जाती है।
2. मनोवैज्ञानिक मतभेद- अगर संदेश भेजने वाले और प्राप्त करने वाले के मध्य मनोवैज्ञानिक दूरी अधिक है तो वे एक-दूसरे की बात सुनना पसंद नहीं करत है। जिसकी वजह से संचार बाधित होता है।
3. भौगोलिक दूरी- अगर भेजने वाले और प्राप्त करने के वाले के बीच भौगोलिक दूरी ज्यादा है तो भी ये बाधा बन सकती है, क्योंकि इसमें संदेश समय पर न पहुँचने जैसे समस्याएँ उत्पन्न हो जाती है।
4. संचार की तकनीक- अगर सूचना प्रदान करने के लिए सही माध्यम का चुनाव नहीं किया जाता है या फिर किसी टेक्नीकल समस्या की वजह से सूचना प्राप्तकर्ता तक नहीं पहुँच पाती है, तो भी यह एक गम्भीर समस्या हो सकती है।
5. संगठन में मानवीय संबंध- अगर संगठन में कार्य करने वाले व्यक्ति के बीच मृदुल मानवीय संबंधों का अभाव है तो भी यह संचार की बाधा बन सकता है।
संचार के महत्व
- कार्य की सफलता एक कुशल संचार पर निर्भर करती है। किसी संगठन के द्वारा किसी कार्य को शुरू करने या आगे बढ़ाने के लिए संचार द्वारा ही लोगों तक उसकी सूचना पहुँचाई जा सकती है।
- निदेशन एवं परामर्श सेवाओं के संचालन में, चाहे वह विद्यालय परिसर में चलें या अन्य संस्थाओं द्वारा समुदाय में चलाई जाएं, संचार तकनीकी का सहयोग विभिन्न प्रकार से लाभप्रद सिद्ध हो सकता है। निदेशन एवं परामर्श सेवाओं के लिए तरह-तरह की सूचनाएं, जानकारी और आंकङे संचार द्वारा ही प्राप्त किए जा सकते है।
- किसी कम्पनी के प्रबंधक अपने कर्मचारियों को मोटिवेट करने के लिए भी संचार का इस्तेमाल करते है। प्रबंधक कर्मचारियों को उचित दिशा में काम करने के लिए निर्देश देता है।
- सूचनाओं का आदान-प्रदान कर समन्वय स्थापित करने के लिए भी संचार महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष :
आज के आर्टिकल में हमने संचार किसे कहते है(Sanchar kise kahate hai) ,संचार का अर्थ (Sanchar ka Arth) ,संचार के प्रकारों (Sanchar ke Parkar) के बारे में विस्तार से पढ़ा ,हम आशा करतें है कि आप संचार को अच्छे से समझ गए होंगे ।
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