दोस्तो आज के आर्टिकल में हम तीस्ता नदी (Tista Nadi) के बारे में पूरी जानकारी पढने वाले है ,हम आशा करतें है कि आप कुछ नई जानकारियाँ प्राप्त करोगे।
Tista Nadi – तीस्ता नदी
तीस्ता नदी(Teesta Nadi) से सम्बन्धित पहले हम कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्यों को देख लेते है।
- तीस्ता नदी भारत के सिक्किम, पश्चिम बंगाल, रंगपुर और बांग्लादेश से होकर बहती है।
- पश्चिमी बंगाल में यह नदी दार्जिलिङ जिले में बहती है।
- तीस्ता नदी ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी है।
- तीस्ता नदी का दो-तिहाई क्षेत्र भारत में है और एक-तिहाई क्षेत्र बांग्लादेश में है।
- तिस्ता नदी को भारत के सिक्किम और पश्चिम बंगाल की जीवन रेखा कहा जाता है।
- तिस्ता नदी सिक्किम और पश्चिमी बंगाल का सीमा निर्धारण करती है।
- तीस्ता नदी के जल को लेकर भारत और बांग्लादेश के मध्य एक बङा विवाद है।
तीस्ता नदी की स्थिति
⇒ तीस्ता नदी की कुल लम्बाई 309 किलोमीटर (192 मील) है। तीस्ता नदी का कुल अपवाह क्षेत्र 12,540 वर्ग किलोमीटर है।
तीस्ता नदी कहाँ से निकलती है?
⇒तीस्ता नदी सिक्किम राज्य के हिमालयी क्षेत्र के पाहुनरी ग्लेशियर से निकलती है। फिर पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है और बाद में बांग्लादेश में रंगपुर से बहती हुई ब्रह्मपुत्र नदी में (फुलचोरी नामक स्थान पर) मिल जाती है। तीस्ता नदी की लम्बाई 413 किलोमीटर है। यह नदी सिक्किम में 150 किलोमीटर क्षेत्र में बहती है। पश्चिम बंगाल के 142 किलोमीटर क्षेत्र में बहती है। बांग्लादेश में 120 किलोमीटर क्षेत्र में बहती है।
तीस्ता नदी की सहायक नदियाँ
दाएँ ओर से आने वाली तीस्ता नदी की सहायक नदियाँ-
- रिंगयों छू नदी
- रांघाप छू नदी
- रंगीत नदी।
🔸 रंगीत नदी तीस्ता नदी की सबसे महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है।
बाएँ ओर से आने वाली तीस्ता नदी की सहायक नदियाँ-
- रानी खोला नदी
- रांगपो नदी
- लांचू नदी
- दिक्षु नदी।
तीस्ता नदी(Teesta Nadi) जल विवाद क्या है ?
⇒ तिस्ता नदी के जल की क्या आवश्यकता है ?
तिस्ता नदी का 83 फीसदी हिस्सा भारत में और 17 फीसदी हिस्सा बांग्लादेश में है।
सिक्किम के साथ उत्तरी बंगाल के 5 जिलों के करीब एक करोङ लोग इस नदी पर खेती और अपनी जरूरतों के लिए निर्भर है। ठीक इसी बांग्लादेश की भी एक बङी आबादी इस पर निर्भर है। तीस्ता नदी के जल पर सिक्किम की 2 फीसदी जनता, और बांग्लादेश के 20 फीसदी जनता, पश्चिम बंगाल की 25 फीसदी जनता कृषि, सिंचाई और पेयजल पर निर्भर रहती है।
बांग्लादेश का करीब 14 प्रतिशत इलाका सिंचाई के लिए इसी नदी के पानी पर निर्भर है और बांग्लादेश को 7.3 प्रतिशत आबादी को इस नदी के माध्यम से प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है। पश्चिम बंगाल के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए भी तिस्ता नदी अधिक महत्त्वपूर्ण है। इसी कारण बांग्लादेश भारत से तिस्ता नदी का 50 प्रतिशत जल देने की माँग कर रहा है। बांग्लादेश की सम्पूर्ण आजीविका ही तिस्ता नदी पर निर्भर है।
पश्चिम बंगाल के उत्तर बंगाल के छह जिले भी तीस्ता नदी के जल पर निर्भर है। बांग्लादेश के उत्तरी क्षेत्र में चावल और चाय की खेती काफी होती है और इसके लिए तीस्ता नदी का जल आवश्यक है। तीस्ता नदी के जल की मात्रा भी घटी-बढ़ती रहती है। तीस्ता नदी के जल में बारिश के मौसम में बाढ के हालात हो जाते है और गर्मी के मौसम में जल की मात्रा बिल्कुल ही घट जाती है।
भारत और बांग्लादेश के बीच 54 नदियाँ साझा रूप में बहती है।
‘तिस्ता नदी जल विवाद’ किन देशों के मध्य है ?
’तीस्ता नदी जल विवाद’ भारत और बांग्लादेश के बीच में है। क्योंकि तीस्ता नदी भारत और बांग्लादेश दोनों में बहती है। तीस्ता नदी का दो-तिहाई क्षेत्र भारत में है और एक-तिहाई क्षेत्र बांग्लादेश में है। इस नदी का भारत में 83 फीसदी हिस्सा है और बांग्लादेश में 17 फीसदी हिस्सा है।
’तिस्ता नदी जल विवाद’ पर हुई वार्ता –
बांग्लादेश के पाकिस्तान से आजाद होने के बाद वर्ष 1972 में दोनों देशों ने नदी सम्बन्धी मुद्दों के समाधान के लिए एक ’संयुक्त जल आयोग’ का गठन किया था। इस आयोग ने अपनी पहली रिपोर्ट 9 साल बाद यानी वर्ष 1983 में दी। इसके अनुसार वर्ष 1983 में भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी को लेकर एक समझौता हुआ। इस समझौता के अनुसार 39 प्रतिशत जल भारत को मिलेगा। बांग्लादेश को 36 प्रतिशत जल मिलेगा। 25 प्रतिशत जल का आवंटन नहीं किया। लेकिन बाद में भारत ने तीस्ता नदी के 25 प्रतिशत बचे जल का प्रयोग स्वयं किया।
वर्ष 1998 में बांग्लादेश ने तीस्ता नदी पर एक बांध बना दिया था और भारत से बांग्लादेश ने अपनी तीन फसलों-खरीब, रबी, जायद के लिए पानी माँगा। तब भारत ने बांग्लादेश को पानी देने का आश्वासन दे दिया। लेकिन इसका भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला।
वर्ष 2011 में भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ढाका के दौरे पर गये थे, उन्होंने इस दौर के दौरान दोनों देशों के बीच ’तीस्ता नदी’ के जल बंटवारे समझौते पर सहमति दी थी। इस समझौते के अनुसार अगले 15 साल तक 42.5 प्रतिशत पानी भारत अपने क्षेत्र के लिए रखा और बांग्लादेश को 37.5 प्रतिशत पानी दे दिया। इस तरह 80 प्रतिशत जल का बंटवारा हो गया। बाकी 20 प्रतिशत अन्य किसी भी क्षेत्र को मिल जायेगा।
लेकिन बाद में भारत ने 20 प्रतिशत का प्रयोग स्वयं किया। इस प्रकार भारत ने तिस्ता नदी के 62.5 प्रतिशत जल का प्रयोग स्वयं किया। किन्तु पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया और यह समझौता रद्द हो गया था।
समझौतों के प्रारूप अनुसार 48 फीसदी पानी बांग्लादेश को मिलना चाहिए लेकिन पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार का मानना है कि इससे उत्तर बंगाल के छह जिलों में सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो जायेगी।
’तिस्ता नदी जल विवाद’ पर हुई वार्ता –
वर्ष 2013 में कांग्रेस सरकार और बांग्लादेश की शेख हसीना की सरकार ने एक जल समझौता किया, जिसके अनुसार दोनों देशों की 50-50 प्रतिशत जल पर 18 वर्ष तक हिस्सेदारी होगी। लेकिन पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस समझौते के पक्ष में नहीं थी। क्योंकि उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में जल की आवश्यकता अधिक है, इसलिए समानुपात जल वितरण संभव नहीं है।
बांग्लादेश चाहता था कि तीस्ता नदी का पानी 50-50 प्रतिशत पानी दोनों देशों को मिलना चाहिए।
पश्चिम बंगाल का कहना है कि वर्षा के समय में तीस्ता नदी में जल पर्याप्त रहता है। लेकिन गर्मी के मौसम में इसमें जल काफी कम हो जाता है। गर्मी के मौसम में तीस्ता नदी में जल इतना कम होता है कि इसका बँटवारा ही नहीं हो सकता।
साल 2014 में जब भारत के प्रधानमंत्री मोदी बने तो बांग्लादेश को मोदी से उम्मीद थी। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ढाका के दौरे पर गये और एक नया प्रस्ताव रखा गया लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस पर सहमत नहीं हुई। प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से भी बात की थी। उनको विश्वास दिलाया कि वे सहयोग के माध्यम से तीस्ता पर एक ’निष्पक्ष समाधान’ तक पहुँच सकते हैं। ममता बनर्जी के विरोध के कारण वर्ष 2015 में भी तीस्ता के जल की समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया।
तीस्ता नदी के जल को लेकर अभी तक कोई पूर्ण समझौता नहीं हो पाया है।
⇒ तीस्ता नदी जल विवाद पर चीन की भूमिका –
तीस्ता नदी जल विवाद पर इस समय चीन की भूमिका उभर आयी है।
हाल ही में तीस्ता नदी के प्रबंधन संबंधी एक परियोजना के लिए बांग्लादेश चीन से लगभग 1 अरब डाॅलर के ऋण पर बातचीत कर रहा है।
बांग्लादेश की इस परियोजना का उद्देश्य तीस्ता नदी बेसिन का कुशल प्रबंधन करना है जिससे ग्रीष्मकाल के शुष्क मौसम में उत्पन्न होने वाले जल अभाव को कम किया जा सके, बाढ़ एवं सिंचाई प्रबंधन किया जा सके।
बांग्लादेश और चीन के बीच यह ऋण वार्ता भारत के लिए चिंताजनक हो सकता है क्योंकि इस समय चीन भारत के पङोसियों को अपने पक्ष में करके भारत को नियंत्रित करना चाहता है।
हाल ही में चीन ने बांग्लादेश से आयातित 97 प्रतिशत वस्तुओं पर शून्य शुल्क की घोषणा की थी। इसके अलावा चीन ने बांग्लादेश को 30 बिलियन डाॅलर की वित्तीय सहायता प्रदान करने का वादा किया है।
भारत और बांग्लादेश के संबंध अच्छे रहे है लेकिन चीन ने जिस तरह अपनी गतिविधियाँ तीव्र की हैं वह चिंताजनक है। चीन बांग्लादेश का सबसे बङा व्यापारिक साझेदार और निर्यातक है।
निष्कर्ष :
आज के आर्टिकल में हम तीस्ता नदी (Tista Nadi) के बारे में पूरी जानकारी पढ़ी ,हम आशा करतें है कि आपने इस टॉपिक को अच्छे से तैयार कर लिया होगा …धन्यवाद